< Psalmorum 125 >
1 Canticum graduum. Qui confidunt in Domino, sicut mons Sion: non commovebitur in æternum, qui habitat
१दाऊद की यात्रा का गीत जो यहोवा पर भरोसा रखते हैं, वे सिय्योन पर्वत के समान हैं, जो टलता नहीं, वरन् सदा बना रहता है।
2 in Ierusalem. Montes in circuitu eius: et Dominus in circuitu populi sui, ex hoc nunc et usque in sæculum.
२जिस प्रकार यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ हैं, उसी प्रकार यहोवा अपनी प्रजा के चारों ओर अब से लेकर सर्वदा तक बना रहेगा।
3 Quia non relinquet Dominus virgam peccatorum super sortem iustorum: ut non extendant iusti ad iniquitatem manus suas.
३दुष्टों का राजदण्ड धर्मियों के भाग पर बना न रहेगा, ऐसा न हो कि धर्मी अपने हाथ कुटिल काम की ओर बढ़ाएँ।
4 Benefac Domine bonis, et rectis corde.
४हे यहोवा, भलों का और सीधे मनवालों का भला कर!
5 Declinantes autem in obligationes, adducet Dominus cum operantibus iniquitatem: pax super Israel.
५परन्तु जो मुड़कर टेढ़े मार्गों में चलते हैं, उनको यहोवा अनर्थकारियों के संग निकाल देगा! इस्राएल को शान्ति मिले!