< Isaiæ 54 >
1 Lauda sterilis quæ non paris: decanta laudem, et hinni quæ non pariebas: quoniam multi filii desertæ magis quam eius, quæ habet virum, dicit Dominus.
१“हे बाँझ, तू जो पुत्रहीन है जयजयकार कर; तू जिसे प्रसव-पीड़ा नहीं हुई, गला खोलकर जयजयकार कर और पुकार! क्योंकि त्यागी हुई के लड़के सुहागिन के लड़कों से अधिक होंगे, यहोवा का यही वचन है।
2 Dilata locum tentorii tui, et pelles tabernaculorum tuorum extende, ne parcas: longos fac funiculos tuos, et clavos tuos consolida.
२अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएँ; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूँटों को दृढ़ कर।
3 Ad dexteram enim, et ad lævam penetrabis: et semen tuum Gentes hereditabit, et civitates desertas inhabitabit.
३क्योंकि तू दाएँ-बाएँ फैलेगी, और तेरा वंश जाति-जाति का अधिकारी होगा और उजड़े हुए नगरों को फिर से बसाएगा।
4 Noli timere quia non confunderis, neque erubesces: non enim te pudebit, quia confusionis adolescentiæ tuæ oblivisceris, et opprobrii viduitatis tuæ non recordaberis amplius.
४“मत डर, क्योंकि तेरी आशा फिर नहीं टूटेगी; मत घबरा, क्योंकि तू फिर लज्जित न होगी और तुझ पर उदासी न छाएगी; क्योंकि तू अपनी जवानी की लज्जा भूल जाएगी, और अपने विधवापन की नामधराई को फिर स्मरण न करेगी।
5 Quia dominabitur tui qui fecit te, Dominus exercituum nomen eius: et redemptor tuus sanctus Israel, Deus omnis terræ vocabitur.
५क्योंकि तेरा कर्ता तेरा पति है, उसका नाम सेनाओं का यहोवा है; और इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ानेवाला है, वह सारी पृथ्वी का भी परमेश्वर कहलाएगा।
6 Quia et mulierem derelictam et mœrentem spiritu vocavit te Dominus, et uxorem ab adolescentia abiectam, dixit Deus tuus.
६क्योंकि यहोवा ने तुझे ऐसा बुलाया है, मानो तू छोड़ी हुई और मन की दुःखिया और जवानी की त्यागी हुई स्त्री हो, तेरे परमेश्वर का यही वचन है।
7 Ad punctum in modico dereliqui te, et in miserationibus magnis congregabo te.
७क्षण भर ही के लिये मैंने तुझे छोड़ दिया था, परन्तु अब बड़ी दया करके मैं फिर तुझे रख लूँगा।
8 In momento indignationis abscondi faciem meam parumper a te, et in misericordia sempiterna misertus sum tui: dixit redemptor tuus Dominus.
८क्रोध के आवेग में आकर मैंने पल भर के लिये तुझ से मुँह छिपाया था, परन्तु अब अनन्त करुणा से मैं तुझ पर दया करूँगा, तेरे छुड़ानेवाले यहोवा का यही वचन है।
9 Sicut in diebus Noe istud mihi est, cui iuravi ne inducerem aquas Noe ultra super terram: sic iuravi ut non irascar tibi, et non increpem te.
९यह मेरी दृष्टि में नूह के समय के जल-प्रलय के समान है; क्योंकि जैसे मैंने शपथ खाई थी कि नूह के समय के जल-प्रलय से पृथ्वी फिर न डूबेगी, वैसे ही मैंने यह भी शपथ खाई है कि फिर कभी तुझ पर क्रोध न करूँगा और न तुझको धमकी दूँगा।
10 Montes enim commovebuntur, et colles contremiscent: misericordia autem mea non recedet a te, et fœdus pacis meæ non movebitur: dixit miserator tuus Dominus.
१०चाहे पहाड़ हट जाएँ और पहाड़ियाँ टल जाएँ, तो भी मेरी करुणा तुझ पर से कभी न हटेगी, और मेरी शान्तिदायक वाचा न टलेगी, यहोवा, जो तुझ पर दया करता है, उसका यही वचन है।
11 Paupercula tempestate convulsa, absque ulla consolatione. Ecce ego sternam per ordinem lapides tuos, et fundabo te in sapphiris,
११“हे दुःखियारी, तू जो आँधी की सताई है और जिसको शान्ति नहीं मिली, सुन, मैं तेरे पत्थरों की पच्चीकारी करके बैठाऊँगा, और तेरी नींव नीलमणि से डालूँगा।
12 et ponam iaspidem propugnacula tua: et portas tuas in lapides sculptos, et omnes terminos tuos in lapides desiderabiles.
१२तेरे कलश मैं माणिकों से, तेरे फाटक लालड़ियों से और तेरे सब सीमाओं को मनोहर रत्नों से बनाऊँगा।
13 Universos filios tuos doctos a Domino: et multitudinem pacis filiis tuis.
१३तेरे सब लड़के यहोवा के सिखाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।
14 Et in iustitia fundaberis: recede procul a calumnia, quia non timebis: et a pavore, quia non appropinquabit tibi.
१४तू धार्मिकता के द्वारा स्थिर होगी; तू अंधेर से बचेगी, क्योंकि तुझे डरना न पड़ेगा; और तू भयभीत होने से बचेगी, क्योंकि भय का कारण तेरे पास न आएगा।
15 Ecce accola veniet, qui non erat mecum, advena quondam tuus adiungetur tibi.
१५सुन, लोग भीड़ लगाएँगे, परन्तु मेरी ओर से नहीं; जितने तेरे विरुद्ध भीड़ लगाएँगे वे तेरे कारण गिरेंगे।
16 Ecce ego creavi fabrum sufflantem in igne prunas, et proferentem vas in opus suum, et ego creavi interfectorem ad disperdendum.
१६सुन, एक लोहार कोएले की आग धोंककर इसके लिये हथियार बनाता है, वह मेरा ही सृजा हुआ है। उजाड़ने के लिये भी मेरी ओर से एक नाश करनेवाला सृजा गया है।
17 Omne vas, quod fictum est contra te, non dirigetur: et omnem linguam resistentem tibi in iudicio, iudicabis. Hæc est hereditas servorum Domini, et iustitia eorum apud me, dicit Dominus.
१७जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएँ, उनमें से कोई सफल न होगा, और जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभी से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।”