< Ii Regum 1 >

1 Prævaricatus est autem Moab in Israel, postquam mortuus est Achab.
अहाब के मरने के बाद मोआब इस्राएल के विरुद्ध बलवा करने लगा।
2 Ceciditque Ochozias per cancellos cœnaculi sui, quod habebat in Samaria, et ægrotavit: misitque nuncios, dicens ad eos: Ite, consulite Beelzebub deum Accaron, utrum vivere queam de infirmitate mea hac.
अहज्याह एक जालीदार खिड़की में से, जो सामरिया में उसकी अटारी में थी, गिर पड़ा, और बीमार हो गया। तब उसने दूतों को यह कहकर भेजा, “तुम जाकर एक्रोन के बाल-जबूब नामक देवता से यह पूछ आओ, कि क्या मैं इस बीमारी से बचूँगा कि नहीं?”
3 Angelus autem Domini locutus est ad Eliam Thesbiten, dicens: Surge, et ascende in occursum nunciorum regis Samariæ, et dices ad eos: Numquid non est Deus in Israel, ut eatis ad consulendum Beelzebub deum Accaron?
तब यहोवा के दूत ने तिशबी एलिय्याह से कहा, “उठकर सामरिया के राजा के दूतों से मिलने को जा, और उनसे कह, ‘क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो तुम एक्रोन के बाल-जबूब देवता से पूछने जाते हो?’
4 Quam ob rem hæc dicit Dominus: De lectulo, super quem ascendisti, non descendes, sed morte morieris. Et abiit Elias.
इसलिए अब यहोवा तुझ से यह कहता है, ‘जिस पलंग पर तू पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परन्तु मर ही जाएगा।’” तब एलिय्याह चला गया।
5 Reversique sunt nuncii ad Ochoziam. Qui dixit eis: Quare reversi estis?
जब अहज्याह के दूत उसके पास लौट आए, तब उसने उनसे पूछा, “तुम क्यों लौट आए हो?”
6 At illi responderunt ei: Vir occurrit nobis, et dixit ad nos: Ite, et revertimini ad regem, qui misit vos, et dicetis ei: Hæc dicit Dominus: Numquid, quia non erat Deus in Israel, mittis ut consulatur Beelzebub deus Accaron? Idcirco de lectulo, super quem ascendisti, non descendes, sed morte morieris.
उन्होंने उससे कहा, “एक मनुष्य हम से मिलने को आया, और कहा कि, ‘जिस राजा ने तुम को भेजा उसके पास लौटकर कहो, यहोवा यह कहता है, कि क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो तू एक्रोन के बाल-जबूब देवता से पूछने को भेजता है? इस कारण जिस पलंग पर तू पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परन्तु मर ही जाएगा।’”
7 Qui dixit eis: Cuius figuræ et habitus est vir ille, qui occurrit vobis, et locutus est verba hæc?
उसने उनसे पूछा, “जो मनुष्य तुम से मिलने को आया, और तुम से ये बातें कहीं, उसका कैसा रंग-रूप था?”
8 At illi dixerunt: Vir pilosus, et zona pellicea accinctus renibus. Qui ait: Elias Thesbites est.
उन्होंने उसको उत्तर दिया, “वह तो रोंआर मनुष्य था और अपनी कमर में चमड़े का फेंटा बाँधे हुए था।” उसने कहा, “वह तिशबी एलिय्याह होगा।”
9 Misitque ad eum quinquagenarium principem, et quinquaginta qui erant sub eo. Qui ascendit ad eum: sedentique in vertice montis, ait: Homo Dei, rex præcepit ut descendas.
तब उसने उसके पास पचास सिपाहियों के एक प्रधान को उसके पचासों सिपाहियों समेत भेजा। प्रधान ने एलिय्याह के पास जाकर क्या देखा कि वह पहाड़ की चोटी पर बैठा है। उसने उससे कहा, “हे परमेश्वर के भक्त राजा ने कहा है, ‘तू उतर आ।’”
10 Respondensque Elias, dixit quinquagenario: Si homo Dei sum, descendat ignis de cælo, et devoret te, et quinquaginta tuos. Descendit itaque ignis de cælo, et devoravit eum, et quinquaginta qui erant cum eo.
१०एलिय्याह ने उस पचास सिपाहियों के प्रधान से कहा, “यदि मैं परमेश्वर का भक्त हूँ तो आकाश से आग गिरकर तुझे तेरे पचासों समेत भस्म कर डाले।” तब आकाश से आग उतरी और उसे उसके पचासों समेत भस्म कर दिया।
11 Rursumque misit ad eum principem quinquagenarium alterum, et quinquaginta cum eo. Qui locutus est illi: Homo Dei, hæc dicit rex: Festina, descende.
११फिर राजा ने उसके पास पचास सिपाहियों के एक और प्रधान को, पचासों सिपाहियों समेत भेज दिया। प्रधान ने उससे कहा, “हे परमेश्वर के भक्त राजा ने कहा है, ‘फुर्ती से तू उतर आ।’”
12 Respondens Elias ait: Si homo Dei ego sum, descendat ignis de cælo, et devoret te, et quinquaginta tuos. Descendit ergo ignis de cælo, et devoravit illum, et quinquaginta eius.
१२एलिय्याह ने उत्तर देकर उनसे कहा, “यदि मैं परमेश्वर का भक्त हूँ तो आकाश से आग गिरकर तुझे और तेरे पचासों समेत भस्म कर डाले।” तब आकाश से परमेश्वर की आग उतरी और उसे उसके पचासों समेत भस्म कर दिया।
13 Iterum misit principem quinquagenarium tertium, et quinquaginta qui erant cum eo. Qui cum venisset, curvavit genua contra Eliam, et precatus est eum, et ait: Homo Dei, noli despicere animam meam, et animas servorum tuorum qui mecum sunt.
१३फिर राजा ने तीसरी बार पचास सिपाहियों के एक और प्रधान को, पचासों सिपाहियों समेत भेज दिया, और पचास का वह तीसरा प्रधान चढ़कर, एलिय्याह के सामने घुटनों के बल गिरा, और गिड़गिड़ाकर उससे विनती की, “हे परमेश्वर के भक्त मेरा प्राण और तेरे इन पचास दासों के प्राण तेरी दृष्टि में अनमोल ठहरें।
14 Ecce descendit ignis de cælo, et devoravit duos principes quinquagenarios primos, et quinquagenos, qui cum eis erant: sed nunc obsecro ut miserearis animæ meæ.
१४पचास-पचास सिपाहियों के जो दो प्रधान अपने-अपने पचासों समेत पहले आए थे, उनको तो आग ने आकाश से गिरकर भस्म कर डाला, परन्तु अब मेरा प्राण तेरी दृष्टि में अनमोल ठहरे।”
15 Locutus est autem Angelus Domini ad Eliam, dicens: Descende cum eo, ne timeas. Surrexit igitur, et descendit cum eo ad regem,
१५तब यहोवा के दूत ने एलिय्याह से कहा, “उसके संग नीचे जा, उससे मत डर।” तब एलिय्याह उठकर उसके संग राजा के पास नीचे गया,
16 et locutus est ei: Hæc dicit Dominus: Quia misisti nuncios ad consulendum Beelzebub deum Accaron, quasi non esset Deus in Israel, a quo posses interrogare sermonem, ideo de lectulo, super quem ascendisti, non descendes, sed morte morieris.
१६और उससे कहा, “यहोवा यह कहता है, ‘तूने तो एक्रोन के बाल-जबूब देवता से पूछने को दूत भेजे थे तो क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं कि जिससे तू पूछ सके? इस कारण तू जिस पलंग पर पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परन्तु मर ही जाएगा।’”
17 Mortuus est ergo iuxta sermonem Domini, quem locutus est Elias, et regnavit Ioram frater eius pro eo, anno secundo Ioram filii Iosaphat regis Iudæ: non enim habebat filium.
१७यहोवा के इस वचन के अनुसार जो एलिय्याह ने कहा था, वह मर गया। और उसकी सन्तान न होने के कारण यहोराम उसके स्थान पर यहूदा के राजा यहोशापात के पुत्र यहोराम के दूसरे वर्ष में राज्य करने लगा।
18 Reliqua autem verborum Ochoziæ, quæ operatus est, nonne hæc scripta sunt in Libro sermonum dierum regum Israel?
१८अहज्याह के और काम जो उसने किए वह क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

< Ii Regum 1 >