< I Samuelis 30 >
1 Cumque venissent David et viri eius in Siceleg die tertia, Amalecitæ impetum fecerant ex parte australi in Siceleg, et percusserant Siceleg, et succenderant eam igni.
१तीसरे दिन जब दाऊद अपने जनों समेत सिकलग पहुँचा, तब उन्होंने क्या देखा, कि अमालेकियों ने दक्षिण देश और सिकलग पर चढ़ाई की। और सिकलग को मार के फूँक दिया,
2 Et captivas duxerant mulieres ex ea, a minimo usque ad magnum: et non interfecerant quemquam, sed secum duxerant, et pergebant itinere suo.
२और उसमें की स्त्री आदि छोटे बड़े जितने थे, सब को बन्दी बनाकर ले गए; उन्होंने किसी को मार तो नहीं डाला, परन्तु सभी को लेकर अपना मार्ग लिया।
3 Cum ergo venissent David et viri eius ad civitatem, et invenissent eam succensam igni, et uxores suas, et filios suos, et filias ductas esse captivas,
३इसलिए जब दाऊद अपने जनों समेत उस नगर में पहुँचा, तब नगर तो जला पड़ा था, और स्त्रियाँ और बेटे-बेटियाँ बँधुआई में चली गई थीं।
4 levaverunt David et populus qui erat cum eo voces suas, et planxerunt donec deficerent in eis lacrymæ.
४तब दाऊद और वे लोग जो उसके साथ थे चिल्लाकर इतना रोए, कि फिर उनमें रोने की शक्ति न रही।
5 Siquidem et duæ uxores David captivæ ductæ fuerant, Achinoam Iezrahelites, et Abigail uxor Nabal Carmeli.
५दाऊद की दोनों स्त्रियाँ, यिज्रेली अहीनोअम, और कर्मेली नाबाल की स्त्री अबीगैल, बन्दी बना ली गई थीं।
6 Et contristatus est David valde: volebat enim eum populus lapidare, quia amara erat anima uniuscuiusque viri super filiis suis et filiabus: confortatus est autem David in Domino Deo suo.
६और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे-बेटियों के कारण बहुत शोकित होकर उस पर पथरवाह करने की चर्चा कर रहे थे। परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बाँधा।
7 Et ait ad Abiathar sacerdotem filium Achimelech: Applica ad me ephod. Et applicavit Abiathar ephod ad David,
७तब दाऊद ने अहीमेलेक के पुत्र एब्यातार याजक से कहा, “एपोद को मेरे पास ला।” तब एब्यातार एपोद को दाऊद के पास ले आया।
8 et consuluit David Dominum, dicens: Persequar latrunculos hos, et comprehendam eos, an non? Dixitque ei Dominus: Persequere: absque dubio enim comprehendes eos, et excuties prædam.
८और दाऊद ने यहोवा से पूछा, “क्या मैं इस दल का पीछा करूँ? क्या उसको जा पकड़ूँगा?” उसने उससे कहा, “पीछा कर; क्योंकि तू निश्चय उसको पकड़ेगा, और निःसन्देह सब कुछ छुड़ा लाएगा;”
9 Abiit ergo David ipse, et sexcenti viri qui erant cum eo, et venerunt usque ad Torrentem Besor: et lassi quidam substiterunt.
९तब दाऊद अपने छः सौ साथी जनों को लेकर बसोर नामक नदी तक पहुँचा; वहाँ कुछ लोग छोड़े जाकर रह गए।
10 Persecutus est autem David ipse, et quadringenti viri: substiterant enim ducenti, qui lassi transire non poterant Torrentem Besor.
१०दाऊद तो चार सौ पुरुषों समेत पीछा किए चला गया; परन्तु दो सौ जो ऐसे थक गए थे, कि बसोर नदी के पार न जा सके वहीं रहे।
11 Et invenerunt virum Ægyptium in agro, et adduxerunt eum ad David: dederuntque ei panem ut comederet, et biberet aquam,
११उनको एक मिस्री पुरुष मैदान में मिला, उन्होंने उसे दाऊद के पास ले जाकर रोटी दी; और उसने उसे खाया, तब उसे पानी पिलाया,
12 sed et fragmen massæ caricarum, et duas ligaturas uvæ passæ. Quæ cum comedisset, reversus est spiritus eius, et refocillatus est: non enim comederat panem, neque biberat aquam, tribus diebus et tribus noctibus.
१२फिर उन्होंने उसको अंजीर की टिकिया का एक टुकड़ा और दो गुच्छे किशमिश दिए। और जब उसने खाया, तब उसके जी में जी आया; उसने तीन दिन और तीन रात से न तो रोटी खाई थी और न पानी पिया था।
13 Dixit itaque ei David: Cuius es tu? vel unde? et quo pergis? Qui ait: Puer Ægyptius ego sum, servus viri Amalecitæ: dereliquit autem me dominus meus, quia ægrotare cœpi nudiustertius.
१३तब दाऊद ने उससे पूछा, “तू किसका जन है? और कहाँ का है?” उसने कहा, “मैं तो मिस्री जवान और एक अमालेकी मनुष्य का दास हूँ; और तीन दिन हुए कि मैं बीमार पड़ा, और मेरा स्वामी मुझे छोड़ गया।
14 Siquidem nos erupimus ad australem plagam Cerethi, et contra Iudam, et ad meridiem Caleb, et Siceleg succendimus igni.
१४हम लोगों ने करेतियों की दक्षिण दिशा में, और यहूदा के देश में, और कालेब की दक्षिण दिशा में चढ़ाई की; और सिकलग को आग लगाकर फूँक दिया था।”
15 Dixitque ei David: Potes me ducere ad cuneum istum? Qui ait: Iura mihi per Deum, quod non occidas me, et non tradas me in manus domini mei, et ego ducam te ad cuneum istum. Et iuravit ei David.
१५दाऊद ने उससे पूछा, “क्या तू मुझे उस दल के पास पहुँचा देगा?” उसने कहा, “मुझसे परमेश्वर की यह शपथ खा, कि तू मुझे न तो प्राण से मारेगा, और न मेरे स्वामी के हाथ कर देगा, तब मैं तुझे उस दल के पास पहुँचा दूँगा।”
16 Qui cum duxisset eum, ecce illi discumbebant super faciem universæ terræ comedentes et bibentes, et quasi festum celebrantes diem, pro cuncta præda, et spoliis quæ ceperant de Terra Philisthiim, et de Terra Iuda.
१६जब उसने उसे पहुँचाया, तब देखने में आया कि वे सब भूमि पर छिटके हुए खाते पीते, और उस बड़ी लूट के कारण, जो वे पलिश्तियों के देश और यहूदा देश से लाए थे, नाच रहे हैं।
17 Et percussit eos David a vespere usque ad vesperam alterius diei, et non evasit ex eis quisquam, nisi quadringenti viri adolescentes, qui ascenderant camelos, et fugerant.
१७इसलिए दाऊद उन्हें रात के पहले पहर से लेकर दूसरे दिन की साँझ तक मारता रहा; यहाँ तक कि चार सौ जवानों को छोड़, जो ऊँटों पर चढ़कर भाग गए, उनमें से एक भी मनुष्य न बचा।
18 Eruit ergo David omnia, quæ tulerant Amalecitæ, et duas uxores suas eruit.
१८और जो कुछ अमालेकी ले गए थे वह सब दाऊद ने छुड़ाया; और दाऊद ने अपनी दोनों स्त्रियों को भी छुड़ा लिया।
19 Nec defuit quidquam a parvo usque ad magnum, tam de filiis quam de filiabus, et de spoliis, et quæcumque rapuerant, omnia reduxit David.
१९वरन् उनके क्या छोटे, क्या बडे़, क्या बेटे, क्या बेटियाँ, क्या लूट का माल, सब कुछ जो अमालेकी ले गए थे, उसमें से कोई वस्तु न रही जो उनको न मिली हो; क्योंकि दाऊद सब का सब लौटा लाया।
20 Et tulit universos greges et armenta, et minavit ante faciem suam: dixeruntque: Hæc est præda David.
२०और दाऊद ने सब भेड़-बकरियाँ, और गाय-बैल भी लूट लिए; और इन्हें लोग यह कहते हुए अपने जानवरों के आगे हाँकते गए, कि यह दाऊद की लूट है।
21 Venit autem David ad ducentos viros, qui lassi subsisterant, nec sequi potuerant David, et residere eos iusserat in Torrente Besor: qui egressi sunt obviam David, et populo qui erat cum eo. Accedens autem David ad populum, salutavit eos pacifice.
२१तब दाऊद उन दो सौ पुरुषों के पास आया, जो ऐसे थक गए थे कि दाऊद के पीछे-पीछे न जा सके थे, और बसोर नाले के पास छोड़ दिए गए थे; और वे दाऊद से और उसके संग के लोगों से मिलने को चले; और दाऊद ने उनके पास पहुँचकर उनका कुशल क्षेम पूछा।
22 Respondensque omnis vir pessimus, et iniquus de viris, qui ierant cum David, dixit: Quia non venerunt nobiscum, non dabimus eis quidquam de præda, quam eruimus: sed sufficiat unicuique uxor sua et filii: quos cum acceperint, recedant.
२२तब उन लोगों में से जो दाऊद के संग गए थे सब दुष्ट और ओछे लोगों ने कहा, “ये लोग हमारे साथ नहीं चले थे, इस कारण हम उन्हें अपने छुड़ाए हुए लूट के माल में से कुछ न देंगे, केवल एक-एक मनुष्य को उसकी स्त्री और बाल-बच्चे देंगे, कि वे उन्हें लेकर चले जाएँ।”
23 Dixit autem David: Non sic facietis fratres mei de his, quæ tradidit nobis Dominus, et custodivit nos, et dedit latrunculos, qui eruperant adversum nos, in manus nostras:
२३परन्तु दाऊद ने कहा, “हे मेरे भाइयों, तुम उस माल के साथ ऐसा न करने पाओगे जिसे यहोवा ने हमें दिया है; और उसने हमारी रक्षा की, और उस दल को जिसने हमारे ऊपर चढ़ाई की थी हमारे हाथ में कर दिया है।
24 nec audiet vos quisquam super sermone hoc. æqua enim pars erit descendentis ad prælium, et remanentis ad sarcinas, et similiter divident.
२४और इस विषय में तुम्हारी कौन सुनेगा? लड़ाई में जानेवाले का जैसा भाग हो, सामान के पास बैठे हुए का भी वैसा ही भाग होगा; दोनों एक ही समान भाग पाएँगे।”
25 Et factum est hoc ex die illa, et deinceps constitutum et præfinitum, et quasi lex in Israel usque in diem hanc.
२५और दाऊद ने इस्राएलियों के लिये ऐसी ही विधि और नियम ठहराया, और वह उस दिन से लेकर आगे को वरन् आज लों बना है।
26 Venit ergo David in Siceleg, et misit dona de præda senioribus Iuda proximis suis, dicens: Accipite benedictionem de præda hostium Domini:
२६सिकलग में पहुँचकर दाऊद ने यहूदी पुरनियों के पास जो उसके मित्र थे लूट के माल में से कुछ कुछ भेजा, और यह सन्देश भेजा, “यहोवा के शत्रुओं से ली हुई लूट में से तुम्हारे लिये यह भेंट है।”
27 His, qui erant in Bethel, et qui in Ramoth ad Meridiem, et qui in Iether,
२७अर्थात् बेतेल के दक्षिण देश के रामोत, यत्तीर,
28 et qui in Aroer, et qui in Sephamoth, et qui in Esthamo,
२८अरोएर, सिपमोत, एश्तमो,
29 et qui in Rachal, et qui in urbibus Ierameel, et qui in urbibus Ceni,
२९राकाल, यरहमेलियों के नगरों, केनियों के नगरों,
30 et qui in Arama, et qui in lacu Asan, et qui in Athach,
३०होर्मा, कोराशान, अताक,
31 et qui in Hebron, et reliquis qui erant in his locis, in quibus commoratus fuerat David ipse, et viri eius.
३१हेब्रोन आदि जितने स्थानों में दाऊद अपने जनों समेत फिरा करता था, उन सब के पुरनियों के पास उसने कुछ कुछ भेजा।