< Philippenses 1 >

1 Paulus, et Timotheus servi Iesu Christi, omnibus sanctis in Christo Iesu, qui sunt Philippis, cum episcopis, et diaconibus.
मसीह यीशु को सेवक मय पौलुस अऊर तीमुथियुस को तरफ सी, सब परमेश्वर को लोगों को नाम जो मसीह यीशु म सहभागिता म होय क फिलिप्पी शहर म रह्य हंय, मुखिया अऊर सेवकों को संग रह्य हय।
2 Gratia vobis, et pax a Deo Patre nostro, et Domino Iesu Christo.
हमरो पिता परमेश्वर अऊर प्रभु यीशु मसीह को तरफ सी तुम्ख अनुग्रह अऊर शान्ति मिलती रहे।
3 Gratias ago Deo meo in omni memoria vestri,
मय जब-जब तुम्ख याद करू हय, तब-तब अपनो परमेश्वर ख धन्यवाद देऊ हय;
4 semper in cunctis orationibus meis pro omnibus vobis, cum gaudio deprecationem faciens,
अऊर जब कभी तुम सब को लायी प्रार्थना करू हय, त सदा खुशी को संग प्रार्थना करू हय।
5 super communicatione vestra in Evangelio Christi a prima die usque nunc.
येकोलायी कि तुम पहिले दिन सी ले क अज तक सुसमाचार ख फैलावन म मोरो सहभागी रह्यो हय।
6 Confidens hoc ipsum, quia qui cœpit in vobis opus bonum, perficiet usque in diem Christi Iesu.
मोख या बात को भरोसा हय कि जेन तुम म अच्छो काम सुरू करयो हय, उच ओख यीशु मसीह को दुबारा आवन को दिन तक पूरो करेंन।
7 Sicut est mihi iustum hoc sentire pro omnibus vobis: eo quod habeam vos in corde, et in vinculis meis, et in defensione, et confirmatione Evangelii, socios gaudii mei omnes vos esse.
मोख यो उचित लगय हय कि मय तुम सब लायी असोच बिचार करू, कहालीकि तुम मोरो मन म बैठ्यो हय, मय कैद म हय तब भी अऊर सुसमाचार लायी उत्तर अऊर प्रमान देन म तुम सब मोरो संग अनुग्रह म सहभागी हय।
8 Testis enim mihi est Deus, quomodo cupiam omnes vos in visceribus Iesu Christi.
येको म परमेश्वर मोरो गवाह हय कि मय मसीह यीशु जसी प्रीति कर क् तुम सब की इच्छा पूरी करू हय।
9 Et hoc oro ut charitas vestra magis ac magis abundet in scientia, et in omni sensu:
मय या प्रार्थना करू हय कि तुम्हरो प्रेम सच्चो ज्ञान सी अऊर सब तरह को विवेक सहित अऊर भी बड़तो जाय,
10 ut probetis potiora, ut sitis sinceri, et sine offensa in diem Christi,
यहां तक की तुम अच्छो सी अच्छो बातों ख प्रिय हय परखो, अऊर मसीह को दुबारा आवन वालो दिन तक सच्चो बन्यो रहो, अऊर दोषी मत बनो;
11 repleti fructu iustitiæ per Iesum Christum, in gloriam et laudem Dei.
अऊर ऊ सच्चायी को फर सी जो यीशु मसीह को द्वारा होवय हय, भरपूर होत जावो जेकोसी परमेश्वर की महिमा अऊर स्तुति होती रह्य।
12 Scire autem vos volo fratres, quia quæ circa me sunt, magis ad profectum venerunt Evangelii:
हे भाऊवों अऊर बहिनों, मय चाहऊं हय कि तुम यो जान लेवो कि मोरो पर जो बितयो हय, ओको सी सुसमाचार की बढ़ती भयी हय।
13 ita ut vincula mea manifesta fierent in Christo in omni prætorio, et in ceteris omnibus,
यहां तक कि राजभवन को पूरो सुरक्षा दलो ख अऊर यहां को सब लोगों ख यो प्रगट भय गयो हय कि मय मसीह को सेवक आय अऊर कैद म हय।
14 et plures e fratribus in Domino confidentes vinculis meis, abundantius auderent sine timore Verbum Dei loqui.
अऊर प्रभु म जो मोरो विश्वासी भाऊ अऊर बहिन हंय, उन म सी अधिकांश मोरो कैद म होन को वजह, निडर होय क परमेश्वर को वचन बेधड़क सुनावन को साहस करय हंय।
15 Quidam quidem et propter invidiam, et contentionem: quidam autem et propter bonam voluntatem Christum prædicant:
यो त सच हय उन म कुछ त जलन अऊर कुछ त बहस कर क् मसीह को प्रचार करय हंय पर कुछ लोग भली इच्छा सी करय हय।
16 quidam ex charitate: scientes quoniam in defensionem Evangelii positus sum.
यो त प्रेम को वजह करय हय कहालीकि हि जानय हय कि परमेश्वर न यो काम मोख सुसमाचार कि रक्षा करन लायी मोख दियो हय।
17 Quidam autem ex contentione Christum annunciant non sincere, existimantes pressuram se suscitare vinculis meis.
पर दूसरों लोग सच्चायी को संग नहीं, बल्की स्वार्थपूर्न इच्छा सी मसीह को प्रचार करय हय; कहालीकि हि सोचय हय कि येको सी हि कैद म मोरो लायी मुश्किले पैदा कर सकेंन।
18 Quid enim? Dum omni modo sive per occasionem, sive per veritatem Christus annuncietur: et in hoc gaudeo, sed et gaudebo.
येको सी कोयी फरक नहीं पड़य महत्वपूर्ण त यो आय कि मय येको सी खुश हय, कि यो तरह सी यां ऊ तरीका सी चाहे बुरो उद्देश होना यां चाहे भलो प्रचार त मसीह कोच होवय हय अऊर मय हमेशा येको सी खुश रहूं।
19 Scio enim quia hoc mihi proveniet ad salutem, per vestram orationem, et subministrationem Spiritus Iesu Christi,
कहालीकि मय जानु हय तुम्हरी प्रार्थना को द्वारा अऊर यीशु मसीह की पवित्र आत्मा को द्वारा जेल सी रिहायी प्राप्त करू।
20 secundum expectationem, et spem meam, quia in nullo confundar: sed in omni fiducia sicut semper, et nunc magnificabitur Christus in corpore meo, sive per vitam, sive per mortem.
मय त याच गहरी इच्छा अऊर आशा रखू हय कि मय कोयी बात म शर्मिन्दा नहीं होऊं, पर जसो मोरी बड़ी साहस को वजह मसीह कि महिमा मोरो शरीर को द्वारा हमेशा होती रही हय, वसीच अब भी हो, चाहे मय जीन्दो रहूं या मर जाऊं।
21 Mihi enim vivere Christus est, et mori lucrum.
कहालीकि जीवन का हय? मोरो लायी, जीवन मसीह हय, अऊर मृत्यु, मोरो लायी फायदा हय।
22 Quod si vivere in carne, hic mihi fructus operis est, et quid eligam ignoro.
पर यदि शरीर म जीन्दो रहनोच मोरो काम लायी जादा फायदेमंद हय त मय नहीं जानु कि मोख कौन ख चुननो चाहिये।
23 Coarctor autem e duobus: desiderium habens dissolvi, et esse cum Christo, multo magis melius:
कहालीकि अब मय दोयी दिशावों को बीच म मोख कठिनायी होय रही हय; मय अपनो जीवन सी बिदा होय क मसीह को जवर जानो चाहऊं हय, कहालीकि या बात मोरो लायी बहुतच अच्छी हय,
24 permanere autem in carne, necessarium propter vos.
पर मोरो शरीर म रहनो तुम्हरो लायी जादा जरूरी हय।
25 Et hoc confidens scio quia manebo, et permanebo omnibus vobis ad profectum vestrum, et gaudium fidei:
येकोलायी कि मोख येको भरोसा हय येकोलायी मय जानु हय कि मय जीन्दो रहूं, जेकोसी तुम विश्वास म मजबूत होत जावो अऊर ओको म खुश रहो;
26 ut gratulatio vestra abundet in Christo Iesu in me, per meum adventum iterum ad vos.
अऊर जो घमण्ड तुम मोरो बारे म करय हय, ऊ मोरो फिर तुम्हरो जवर आवन सी मसीह यीशु म एक होन को द्वारा अऊर जादा बढ़ जावो।
27 Tantum digne Evangelio Christi conversamini: ut sive cum venero, et videro vos, sive absens audiam de vobis quia statis in uno spiritu unanimes, collaborantes fidei Evangelii:
केवल इतनो करो कि तुम्हरो चाल चलन मसीह को सुसमाचार को लायक हो कि चाहे मय आय क तुम्ख देखूं, चाहे नहीं भी आऊं, तुम्हरो बारे म योच सुनू कि तुम एकच आत्मा म स्थिर रहो, अऊर एक चित्त होय क सुसमाचार को विश्वास लायी मेहनत करतो रह्य हय,
28 et in nullo terreamini ab adversariis: quæ illis est causa perditionis, vobis autem salutis, et hoc a Deo:
अऊर कोयी बात म विरोधियों सी डरो मत। हमेशा साहसी रहो, अऊर यो उन्को लायी विनाश को स्पष्ट चिन्ह हय, पर तुम्हरो लायी उद्धार को अऊर यो परमेश्वर को तरफ सी हय।
29 quia vobis donatum est pro Christo, non solum ut in eum credatis, sed ut etiam pro illo patiamini:
कहालीकि मसीह की सेवा करन को सौभाग्य तुम्ख दियो गयो हय यो नहीं केवल ओको पर विश्वास करन को वजह पर ओको लायी तकलीफ झेलन को द्वारा भी मिल्यो हय;
30 idem certamen habentes, quale et vidistis in me, et nunc audistis de me.
अऊर तुम्ख वसोच युद्ध करनो हय, जसो तुम न मोख करतो देख्यो हय, अऊर अब भी सुनय हय कि मय वसोच करू हय।

< Philippenses 1 >