< Lucam 21 >
1 Respiciens autem vidit eos, qui mittebant munera sua in gazophylacium, divites.
१फिर उसने आँख उठाकर धनवानों को अपना-अपना दान भण्डार में डालते हुए देखा।
2 Vidit autem et quamdam viduam pauperculam mittentem æra minuta duo.
२और उसने एक कंगाल विधवा को भी उसमें दो दमड़ियाँ डालते हुए देखा।
3 Et dixit: Vere dico vobis, quia vidua hæc pauper, plus quam omnes misit.
३तब उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है।
4 Nam omnes hi ex abundanti sibi miserunt in munera Dei: hæc autem ex eo, quod deest illi, omnem victum suum, quem habuit, misit.
४क्योंकि उन सब ने अपनी-अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।”
5 Et quibusdam dicentibus de templo quod bonis lapidibus, et donis ornatum esset, dixit:
५जब कितने लोग मन्दिर के विषय में कह रहे थे, कि वह कैसे सुन्दर पत्थरों और भेंट की वस्तुओं से संवारा गया है, तो उसने कहा,
6 Hæc, quæ videtis, venient dies, in quibus non relinquetur lapis super lapidem, qui non destruatur.
६“वे दिन आएँगे, जिनमें यह सब जो तुम देखते हो, उनमें से यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।”
7 Interrogaverunt autem illum, dicentes: Præceptor, quando hæc erunt, et quod signum cum fieri incipient?
७उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, यह सब कब होगा? और ये बातें जब पूरी होने पर होंगी, तो उस समय का क्या चिन्ह होगा?”
8 Qui dixit: Videte ne seducamini: multi enim venient in nomine meo, dicentes quia ego sum: et tempus appropinquavit: nolite ergo ire post eos.
८उसने कहा, “सावधान रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुत से मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूँ; और यह भी कि समय निकट आ पहुँचा है: तुम उनके पीछे न चले जाना।
9 Cum autem audieritis prælia, et seditiones, nolite terreri: oportet primum hæc fieri, sed nondum statim finis.
९और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा न जाना; क्योंकि इनका पहले होना अवश्य है; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त न होगा।”
10 Tunc dicebat illis: Surget gens contra gentem, et regnum adversus regnum.
१०तब उसने उनसे कहा, “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा।
11 Et terræmotus magni erunt per loca, et pestilentiæ, et fames, terroresque de cælo, et signa magna erunt.
११और बड़े-बड़े भूकम्प होंगे, और जगह-जगह अकाल और महामारियाँ पड़ेंगी, और आकाश में भयंकर बातें और बड़े-बड़े चिन्ह प्रगट होंगे।
12 Sed ante hæc omnia iniicient vobis manus suas, et persequentur tradentes in synagogas, et custodias, trahentes ad reges, et præsides propter nomen meum:
१२परन्तु इन सब बातों से पहले वे मेरे नाम के कारण तुम्हें पकड़ेंगे, और सताएँगे, और आराधनालयों में सौंपेंगे, और बन्दीगृह में डलवाएँगे, और राजाओं और राज्यपालों के सामने ले जाएँगे।
13 continget autem vobis in testimonium.
१३पर यह तुम्हारे लिये गवाही देने का अवसर हो जाएगा।
14 Ponite ergo in cordibus vestris non præmeditari quemadmodum respondeatis.
१४इसलिए अपने-अपने मन में ठान रखो कि हम पहले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे।
15 Ego enim dabo vobis os, et sapientiam, cui non poterunt resistere, et contradicere omnes adversarii vestri.
१५क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूँगा, कि तुम्हारे सब विरोधी सामना या खण्डन न कर सकेंगे।
16 Trademini autem a parentibus, et fratribus, et cognatis, et amicis, et morte afficient ex vobis:
१६और तुम्हारे माता-पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएँगे; यहाँ तक कि तुम में से कितनों को मरवा डालेंगे।
17 et eritis odio omnibus propter nomen meum:
१७और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।
18 et capillus de capite vestro non peribit.
१८परन्तुतुम्हारे सिर का एक बाल भी बाँका न होगा।
19 In patientia vestra possidebitis animas vestras.
१९अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।
20 Cum autem videritis circumdari ab exercitu Ierusalem, tunc scitote quia appropinquavit desolatio eius:
२०“जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है।
21 tunc qui in Iudæa sunt, fugiant ad montes: et qui in medio eius, discedant: et qui in regionibus, non intrent in eam.
२१तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएँ, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएँ; और जो गाँवों में हो वे उसमें न जाएँ।
22 Quia dies ultionis hi sunt, ut impleantur omnia, quæ scripta sunt.
२२क्योंकि यह पलटा लेने के ऐसे दिन होंगे, जिनमें लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएँगी।
23 Væ autem prægnantibus, et nutrientibus in illis diebus. Erit enim pressura magna super terram, et ira populo huic.
२३उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय, हाय! क्योंकि देश में बड़ा क्लेश और इन लोगों पर बड़ी आपत्ति होगी।
24 Et cadent in ore gladii: et captivi ducentur in omnes Gentes. Et Ierusalem calcabitur a Gentibus: donec impleantur tempora nationum.
२४वे तलवार के कौर हो जाएँगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुँचाए जाएँगे, और जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्यजातियों से रौंदा जाएगा।
25 Et erunt signa in sole, et luna, et stellis, et in terris pressura Gentium præ confusione sonitus maris, et fluctuum:
२५“और सूरज और चाँद और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश-देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे।
26 arescentibus hominibus præ timore, et expectatione, quæ supervenient universo orbi: nam virtutes cælorum movebuntur:
२६और भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाँट देखते-देखतेलोगों के जी में जी न रहेगाक्योंकि आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी।
27 et tunc videbunt Filium hominis venientem in nube cum potestate magna, et maiestate.
२७तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे।
28 His autem fieri incipientibus, respicite, et levate capita vestra: quoniam appropinquat redemptio vestra.
२८जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।”
29 Et dixit illis similitudinem: Videte ficulneam, et omnes arbores:
२९उसने उनसे एक दृष्टान्त भी कहा, “अंजीर के पेड़ और सब पेड़ों को देखो।
30 cum producunt iam ex se fructum, scitis quoniam prope est æstas.
३०ज्यों ही उनकी कोंपलें निकलती हैं, तो तुम देखकर आप ही जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है।
31 Ita et vos cum videritis hæc fieri, scitote quoniam prope est regnum Dei.
३१इसी रीति से जब तुम ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट है।
32 Amen dico vobis, quia non præteribit generatio hæc, donec omnia fiant.
३२मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा।
33 Cælum, et terra transibunt: verba autem mea non transibunt.
३३आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
34 Attendite autem vobis, ne forte graventur corda vestra in crapula, et ebrietate, et curis huius vitæ: et superveniat in vos repentina dies illa:
३४“इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फंदे के समान अचानक आ पड़े।
35 tamquam laqueus enim superveniet in omnes, qui sedent super faciem omnis terræ.
३५क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा।
36 Vigilate itaque, omni tempore orantes, ut digni habeamini fugere ista omnia, quæ futura sunt, et stare ante Filium hominis.
३६इसलिए जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, औरमनुष्य के पुत्र के सामने खड़ेहोने के योग्य बनो।”
37 Erat autem diebus docens in templo: noctibus vero exiens, morabatur in monte, qui vocatur Oliveti.
३७और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था।
38 Et omnis populus manicabat ad eum in templo audire eum.
३८और भोर को तड़के सब लोग उसकी सुनने के लिये मन्दिर में उसके पास आया करते थे।