< Hiezechielis Prophetæ 6 >
1 Et factus est sermo Domini ad me, dicens:
१फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा
2 Fili hominis pone faciem tuam ad montes Israel, et prophetabis ad eos,
२“हे मनुष्य के सन्तान अपना मुख इस्राएल के पहाड़ों की ओर करके उनके विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर,
3 et dices: Montes Israel audite verbum Domini Dei: Hæc dicit Dominus Deus montibus, et collibus, rupibus, et vallibus: Ecce ego inducam super vos gladium, et disperdam excelsa vestra,
३और कह, हे इस्राएल के पहाड़ों, प्रभु यहोवा का वचन सुनो! प्रभु यहोवा पहाड़ों और पहाड़ियों से, और नालों और तराइयों से यह कहता है: देखो, मैं तुम पर तलवार चलवाऊँगा, और तुम्हारे पूजा के ऊँचे स्थानों को नाश करूँगा।
4 et demoliar aras vestras, et confringentur simulachra vestra: et deiiciam interfectos vestros ante idola vestra.
४तुम्हारी वेदियाँ उजड़ेंगी और तुम्हारी सूर्य की प्रतिमाएँ तोड़ी जाएँगी; और मैं तुम में से मारे हुओं को तुम्हारी मूरतों के आगे फेंक दूँगा।
5 Et dabo cadavera filiorum Israel ante faciem simulachrorum vestrorum: et dispergam ossa vestra circum aras vestras.
५मैं इस्राएलियों के शवों को उनकी मूरतों के सामने रखूँगा, और उनकी हड्डियों को तुम्हारी वेदियों के आस-पास छितरा दूँगा
6 In omnibus habitationibus vestris, urbes desertæ erunt, et excelsa demolientur, et dissipabuntur: et interibunt aræ vestræ, et confringentur: et cessabunt idola vestra, et conterentur delubra vestra, et delebuntur opera vestra.
६तुम्हारे जितने बसाए हुए नगर हैं, वे सब ऐसे उजड़ जाएँगे, कि तुम्हारे पूजा के ऊँचे स्थान भी उजाड़ हो जाएँगे, तुम्हारी वेदियाँ उजड़ेंगी और ढाई जाएँगी, तुम्हारी मूरतें जाती रहेंगी और तुम्हारी सूर्य की प्रतिमाएँ काटी जाएँगी; और तुम्हारी सारी कारीगरी मिटाई जाएगी।
7 Et cadet interfectus in medio vestri: et scietis quia ego sum Dominus.
७तुम्हारे बीच मारे हुए गिरेंगे, और तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
8 Et relinquam in vobis eos, qui fugerint gladium in Gentibus, cum dispersero vos in terris.
८“तो भी मैं कितनों को बचा रखूँगा। इसलिए जब तुम देश-देश में तितर-बितर होंगे, तब अन्यजातियों के बीच तुम्हारे कुछ लोग तलवार से बच जाएँगे।
9 Et recordabuntur mei liberati vestri in Gentibus, ad quas captivi ducti sunt: quia contrivi cor eorum fornicans, et recedens a me; et oculos eorum fornicantes post idola sua: et displicebunt sibimet super malis quæ fecerunt in universis abominationibus suis.
९वे बचे हुए लोग, उन जातियों के बीच, जिनमें वे बँधुए होकर जाएँगे, मुझे स्मरण करेंगे; और यह भी कि हमारा व्यभिचारी हृदय यहोवा से कैसे हट गया है और व्यभिचारिणी की सी हमारी आँखें मूरतों पर कैसी लगी हैं, जिससे यहोवा का मन टूटा है। इस रीति से उन बुराइयों के कारण, जो उन्होंने अपने सारे घिनौने काम करके की हैं, वे अपनी दृष्टि में घिनौने ठहरेंगे।
10 Et scient quia ego Dominus non frustra locutus sum ut facerem eis malum hoc.
१०तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ, और उनकी सारी हानि करने को मैंने जो यह कहा है, उसे व्यर्थ नहीं कहा।”
11 Hæc dicit Dominus Deus: Percute manum tuam, et allide pedem tuum, et dic: Heu! ad omnes abominationes malorum domus Israel: quia gladio, fame, et peste ruituri sunt.
११प्रभु यहोवा यह कहता है: “अपना हाथ मारकर और अपना पाँव पटककर कह, इस्राएल के घराने के सारे घिनौने कामों पर हाय, हाय, क्योंकि वे तलवार, भूख, और मरी से नाश हो जाएँगे।
12 Qui longe est, peste morietur: qui autem prope, gladio corruet: et qui relictus fuerit, et obsessus, fame morietur: et complebo indignationem meam in eis.
१२जो दूर हो वह मरी से मरेगा, और जो निकट हो वह तलवार से मार डाला जाएगा; और जो बचकर नगर में रहते हुए घेरा जाए, वह भूख से मरेगा। इस भाँति मैं अपनी जलजलाहट उन पर पूरी रीति से उतारूँगा।
13 Et scietis quia ego Dominus, cum fuerint interfecti vestri in medio idolorum vestrorum in circuitu ararum vestrarum, in omni colle excelso, et in cunctis summitatibus montium, et subtus omne lignum nemorosum, et subtus universam quercum frondosam, locum ubi accenderunt thura redolentia universis idolis suis.
१३जब हर एक ऊँची पहाड़ी और पहाड़ों की हर एक चोटी पर, और हर एक हरे पेड़ के नीचे, और हर एक घने बांज वृक्ष की छाया में, जहाँ-जहाँ वे अपनी सब मूरतों को सुखदायक सुगन्ध-द्रव्य चढ़ाते हैं, वहाँ उनके मारे हुए लोग अपनी वेदियों के आस-पास अपनी मूरतों के बीच में पड़े रहेंगे; तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
14 Et extendam manum meam super eos: et faciam terram desolatam, et destitutam a deserto Deblatha in omnibus habitationibus eorum: et scient quia ego Dominus.
१४मैं अपना हाथ उनके विरुद्ध बढ़ाकर उस देश को सारे घरों समेत जंगल से ले दिबला की ओर तक उजाड़ ही उजाड़ कर दूँगा। तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”