< Romanos 16 >
1 Commendo autem vobis Phœben sororem nostram, quæ est in ministerio ecclesiæ, quæ est in Cenchris:
१मैं तुम से फीबे के लिए, जो हमारी बहन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, विनती करता हूँ।
2 ut eam suscipiatis in Domino digne sanctis: et assistatis ei in quocumque negotio vestri indiguerit: etenim ipsa quoque astitit multis, et mihi ipsi.
२कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उसको तुम से प्रयोजन हो, उसकी सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन् मेरी भी उपकारिणी हुई है।
3 Salutate Priscam et Aquilam, adjutores meos in Christo Jesu
३प्रिस्का और अक्विला को जो यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार।
4 (qui pro anima mea suas cervices supposuerunt: quibus non solus ego gratias ago, sed et cunctæ ecclesiæ gentium),
४उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन् अन्यजातियों की सारी कलीसियाएँ भी उनका धन्यवाद करती हैं।
5 et domesticam ecclesiam eorum. Salutate Epænetum dilectum mihi, qui est primitivus Asiæ in Christo.
५और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उनके घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहला फल है, नमस्कार।
6 Salutate Mariam, quæ multum laboravit in vobis.
६मरियम को जिसने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार।
7 Salutate Andronicum et Juniam, cognatos, et concaptivos meos: qui sunt nobiles in Apostolis, qui et ante me fuerunt in Christo.
७अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटुम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझसे पहले मसीही हुए थे, नमस्कार।
8 Salutate Ampliatum dilectissimum mihi in Domino.
८अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार।
9 Salutate Urbanum adjutorem nostrum in Christo Jesu, et Stachyn dilectum meum.
९उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्तखुस को नमस्कार।
10 Salutate Apellen probum in Christo.
१०अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्कार। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार।
11 Salutate eos qui sunt ex Aristoboli domo. Salutate Herodionem cognatum meum. Salutate eos qui sunt ex Narcisi domo, qui sunt in Domino.
११मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उनको नमस्कार।
12 Salutate Tryphænam et Tryphosam, quæ laborant in Domino. Salutate Persidem carissimam, quæ multum laboravit in Domino.
१२त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिय पिरसिस को जिसने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार।
13 Salutate Rufum electum in Domino, et matrem ejus, et meam.
१३रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उसकी माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार।
14 Salutate Asyncritum, Phlegontem, Hermam, Patrobam, Hermen, et qui cum eis sunt, fratres.
१४असुंक्रितुस और फिलगोन और हिर्मेस, पत्रुबास, हर्मास और उनके साथ के भाइयों को नमस्कार।
15 Salutate Philologum et Juliam, Nereum, et sororem ejus, et Olympiadem, et omnes qui cum eis sunt, sanctos.
१५फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उसकी बहन, और उलुम्पास और उनके साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार।
16 Salutate invicem in osculo sancto. Salutant vos omnes ecclesiæ Christi.
१६आपस में पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो: तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्कार।
17 Rogo autem vos fratres, ut observetis eos qui dissensiones et offendicula, præter doctrinam, quam vos didicistis, faciunt, et declinate ab illis.
१७अब हे भाइयों, मैं तुम से विनती करता हूँ, कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट डालने, और ठोकर खिलाने का कारण होते हैं, उनसे सावधान रहो; और उनसे दूर रहो।
18 Hujuscemodi enim Christo Domino nostro non serviunt, sed suo ventri: et per dulces sermones et benedictiones seducunt corda innocentium.
१८क्योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं, परन्तु अपने पेट की सेवा करते है; और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे सादे मन के लोगों को बहका देते हैं।
19 Vestra enim obedientia in omnem locum divulgata est. Gaudeo igitur in vobis. Sed volo vos sapientes esse in bono, et simplices in malo.
१९तुम्हारे आज्ञा मानने की चर्चा सब लोगों में फैल गई है; इसलिए मैं तुम्हारे विषय में आनन्द करता हूँ; परन्तु मैं यह चाहता हूँ, कि तुम भलाई के लिये बुद्धिमान, परन्तु बुराई के लिये भोले बने रहो।
20 Deus autem pacis conterat Satanam sub pedibus vestris velociter. Gratia Domini nostri Jesu Christi vobiscum.
२०शान्ति का परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पाँवों के नीचे शीघ्र कुचल देगा। हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।
21 Salutat vos Timotheus adjutor meus, et Lucius, et Jason, et Sosipater cognati mei.
२१तीमुथियुस मेरे सहकर्मी का, और लूकियुस और यासोन और सोसिपत्रुस मेरे कुटुम्बियों का, तुम को नमस्कार।
22 Saluto vos ego Tertius, qui scripsi epistolam, in Domino.
२२मुझ पत्री के लिखनेवाले तिरतियुस का प्रभु में तुम को नमस्कार।
23 Salutat vos Cajus hospes meus, et universa ecclesia. Salutat vos Erastus arcarius civitatis, et Quartus, frater.
२३गयुस का जो मेरी और कलीसिया का पहुनाई करनेवाला है उसका तुम्हें नमस्कार: इरास्तुस जो नगर का भण्डारी है, और भाई क्वारतुस का, तुम को नमस्कार।
24 Gratia Domini nostri Jesu Christi cum omnibus vobis. Amen.
२४हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे। आमीन।
25 Ei autem, qui potens est vos confirmare juxta Evangelium meum, et prædicationem Jesu Christi, secundum revelationem mysterii temporibus æternis taciti (aiōnios )
२५अब जो तुम को मेरे सुसमाचार अर्थात् यीशु मसीह के विषय के प्रचार के अनुसार स्थिर कर सकता है, उस भेद के प्रकाश के अनुसार जो सनातन से छिपा रहा। (aiōnios )
26 (quod nunc patefactum est per Scripturas prophetarum secundum præceptum æterni Dei, ad obeditionem fidei), in cunctis gentibus cogniti, (aiōnios )
२६परन्तु अब प्रगट होकर सनातन परमेश्वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है, कि वे विश्वास से आज्ञा माननेवाले हो जाएँ। (aiōnios )
27 soli sapienti Deo, per Jesum Christum, cui honor et gloria in sæcula sæculorum. Amen. (aiōn )
२७उसी एकमात्र अद्वैत बुद्धिमान परमेश्वर की यीशु मसीह के द्वारा युगानुयुग महिमा होती रहे। आमीन। (aiōn )