< Iohannem 8 >

1 Jesus autem perrexit in montem Oliveti:
और येशु जैतून पर्वत पर चले गये.
2 et diluculo iterum venit in templum, et omnis populus venit ad eum, et sedens docebat eos.
भोर को वह दोबारा मंदिर में आए और लोगों के मध्य बैठकर उनको शिक्षा देने लगे.
3 Adducunt autem scribæ et pharisæi mulierem in adulterio deprehensam: et statuerunt eam in medio,
उसी समय फ़रीसियों व शास्त्रियों ने व्यभिचार के कार्य में पकड़ी गई एक स्त्री को लाकर मध्य में खड़ा कर दिया
4 et dixerunt ei: Magister, hæc mulier modo deprehensa est in adulterio.
और मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते हुए पकड़ी गई है.
5 In lege autem Moyses mandavit nobis hujusmodi lapidare. Tu ergo quid dicis?
मोशेह ने व्यवस्था में हमें ऐसी स्त्रियों को पथराव द्वारा मार डालने की आज्ञा दी है; किंतु आप क्या कहते हैं?”
6 Hoc autem dicebant tentantes eum, ut possent accusare eum. Jesus autem inclinans se deorsum, digito scribebat in terra.
उन्होंने मसीह येशु को परखने के लिए यह प्रश्न किया था कि उन पर आरोप लगाने के लिए उन्हें कोई आधार मिल जाए. किंतु मसीह येशु झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगे.
7 Cum ergo perseverarent interrogantes eum, erexit se, et dixit eis: Qui sine peccato est vestrum, primus in illam lapidem mittat.
जब वे मसीह येशु से बार-बार प्रश्न करते रहे, मसीह येशु ने सीधे खड़े होकर उनसे कहा, “तुममें से जिस किसी ने कभी कोई पाप न किया हो, वही उसे सबसे पहला पत्थर मारे.”
8 Et iterum se inclinans, scribebat in terra.
और वह दोबारा झुककर भूमि पर लिखने लगे.
9 Audientes autem unus post unum exibant, incipientes a senioribus: et remansit solus Jesus, et mulier in medio stans.
यह सुनकर वरिष्ठ से प्रारंभ कर एक-एक करके सब वहां से चले गए—केवल वह स्त्री और मसीह येशु ही वहां रह गए.
10 Erigens autem se Jesus, dixit ei: Mulier, ubi sunt qui te accusabant? nemo te condemnavit?
मसीह येशु ने सीधे खड़े होते हुए स्त्री की ओर देखकर उससे पूछा, “हे स्त्री! वे सब कहां हैं? क्या तुम्हें किसी ने भी दंडित नहीं किया?”
11 Quæ dixit: Nemo, Domine. Dixit autem Jesus: Nec ego te condemnabo: vade, et jam amplius noli peccare.
उसने उत्तर दिया, “किसी ने भी नहीं, प्रभु.” मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हें दंडित नहीं करता. जाओ, अब फिर पाप न करना.”
12 Iterum ergo locutus est eis Jesus, dicens: Ego sum lux mundi: qui sequitur me, non ambulat in tenebris, sed habebit lumen vitæ.
मंदिर में अपनी शिक्षा को दोबारा आरंभ करते हुए मसीह येशु ने लोगों से कहा, “संसार की ज्योति मैं ही हूं. जो कोई मेरे पीछे चलता है, वह अंधकार में कभी न चलेगा क्योंकि जीवन की ज्योति उसी में बसेगी.”
13 Dixerunt ergo ei pharisæi: Tu de teipso testimonium perhibes; testimonium tuum non est verum.
तब फ़रीसियों ने उनसे कहा, “तुम अपने ही विषय में गवाही दे रहे हो इसलिये तुम्हारी गवाही स्वीकार नहीं की जा सकती है.”
14 Respondit Jesus, et dixit eis: Et si ego testimonium perhibeo de meipso, verum est testimonium meum: quia scio unde veni et quo vado; vos autem nescitis unde venio aut quo vado.
मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि मैं स्वयं अपने विषय में गवाही दे भी रहा हूं, तो भी मेरी गवाही स्वीकार की जा सकती है क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं कहां से आया हूं और कहां जा रहा हूं; किंतु तुम लोग नहीं जानते कि मैं कहां से आया और कहां जा रहा हूं.
15 Vos secundum carnem judicatis: ego non judico quemquam;
तुम लोग मानवीय सोच से अन्य लोगों का न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता.
16 et si judico ego, judicium meum verum est, quia solus non sum: sed ego et qui misit me, Pater.
यदि मैं किसी का न्याय करूं भी तो वह सही ही होगा, क्योंकि इसमें मैं अकेला नहीं—इसमें मैं और मेरे भेजने वाला पिता भी शामिल हैं.
17 Et in lege vestra scriptum est, quia duorum hominum testimonium verum est.
तुम्हारी व्यवस्था में ही यह लिखा है कि दो व्यक्तियों की गवाही सच के रूप में स्वीकार की जा सकती है.
18 Ego sum qui testimonium perhibeo de meipso, et testimonium perhibet de me qui misit me, Pater.
एक गवाह तो मैं ही हूं, जो स्वयं अपने विषय में गवाही दे रहा हूं और मेरे विषय में अन्य गवाह—मेरे भेजनेवाले—पिता परमेश्वर हैं.”
19 Dicebant ergo ei: Ubi est Pater tuus? Respondit Jesus: Neque me scitis, neque Patrem meum: si me sciretis, forsitan et Patrem meum sciretis.
तब उन्होंने मसीह येशु से पूछा, “कहां है तुम्हारा यह पिता?” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “न तो तुम मुझे जानते हो और न ही मेरे पिता को; यदि तुम मुझे जानते तो मेरे पिता को भी जान लेते.”
20 Hæc verba locutus est Jesus in gazophylacio, docens in templo: et nemo apprehendit eum, quia necdum venerat hora ejus.
मसीह येशु ने ये वचन मंदिर परिसर में शिक्षा देते समय कहे, फिर भी किसी ने उन पर हाथ नहीं डाला क्योंकि उनका समय अभी नहीं आया था.
21 Dixit ergo iterum eis Jesus: Ego vado, et quæretis me, et in peccato vestro moriemini. Quo ego vado, vos non potestis venire.
मसीह येशु ने उनसे फिर कहा, “मैं जा रहा हूं. तुम मुझे खोजते-खोजते अपने ही पाप में मर जाओगे. जहां मैं जा रहा हूं, तुम वहां नहीं आ सकते.”
22 Dicebant ergo Judæi: Numquid interficiet semetipsum, quia dixit: Quo ego vado, vos non potestis venire?
तब यहूदी अगुए आपस में विचार करने लगे, “कहीं वह आत्महत्या तो नहीं करेगा क्योंकि वह कह रहा है, ‘जहां मैं जा रहा हूं, वहां तुम नहीं आ सकते’?”
23 Et dicebat eis: Vos de deorsum estis, ego de supernis sum. Vos de mundo hoc estis, ego non sum de hoc mundo.
मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूं, तुम इस संसार के हो, मैं इस संसार का नहीं हूं.
24 Dixi ergo vobis quia moriemini in peccatis vestris: si enim non credideritis quia ego sum, moriemini in peccato vestro.
मैं तुमसे कह चुका हूं कि तुम्हारे पापों में ही तुम्हारी मृत्यु होगी. क्योंकि जब तक तुम यह विश्वास न करोगे कि मैं ही हूं, जो मैं कहता हूं, तुम्हारी अपने ही पापों में मृत्यु होना निश्चित है.”
25 Dicebant ergo ei: Tu quis es? Dixit eis Jesus: Principium, qui et loquor vobis.
तब उन्होंने उनसे पूछा, “कौन हो तुम?” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुमसे मैं अब तक क्या कहता आ रहा हूं?
26 Multa habeo de vobis loqui, et judicare; sed qui me misit, verax est; et ego quæ audivi ab eo, hæc loquor in mundo.
तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है. मैं संसार से वही कहता हूं, जो मैंने अपने भेजनेवाले से सुना है. मेरे भेजनेवाले विश्वासयोग्य हैं.”
27 Et non cognoverunt quia Patrem ejus dicebat Deum.
वे अब तक यह समझ नहीं पाए थे कि मसीह येशु उनसे पिता परमेश्वर के विषय में कह रहे थे.
28 Dixit ergo eis Jesus: Cum exaltaveritis Filium hominis, tunc cognoscetis quia ego sum, et a meipso facio nihil, sed sicut docuit me Pater, hæc loquor:
मसीह येशु ने उनसे कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊंचा उठाओगे तब तुम जान लोगे कि मैं वही हूं और यह भी कि मैं स्वयं कुछ नहीं कहता, मैं वही कहता हूं, जो पिता ने मुझे सिखाया है.
29 et qui me misit, mecum est, et non reliquit me solum: quia ego quæ placita sunt ei, facio semper.
मेरे भेजनेवाले मेरे साथ हैं, उन्होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सदा वही करता हूं, जिसमें उनकी खुशी है.”
30 Hæc illo loquente, multi crediderunt in eum.
ये सब सुनकर अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया.
31 Dicebat ergo Jesus ad eos, qui crediderunt ei, Judæos: Si vos manseritis in sermone meo, vere discipuli mei eritis,
तब मसीह येशु ने उन यहूदियों से, जिन्होंने उन्हें मान्यता दे दी थी, कहा, “यदि तुम मेरी शिक्षाओं का पालन करते रहोगे तो वास्तव में मेरे शिष्य होगे.
32 et cognoscetis veritatem, et veritas liberabit vos.
तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा.”
33 Responderunt ei: Semen Abrahæ sumus, et nemini servivimus umquam: quomodo tu dicis: Liberi eritis?
उन्होंने मसीह येशु को उत्तर दिया, “हम अब्राहाम के वंशज हैं और हम कभी भी किसी के दास नहीं हुए. तुम यह कैसे कहते हो ‘तुम स्वतंत्र हो जाओगे’?”
34 Respondit eis Jesus: Amen, amen dico vobis: quia omnis qui facit peccatum, servus est peccati.
मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: हर एक व्यक्ति, जो पाप करता है, वह पाप का दास है.
35 Servus autem non manet in domo in æternum: filius autem manet in æternum. (aiōn g165)
दास हमेशा घर में नहीं रहता; पुत्र हमेशा रहता है. (aiōn g165)
36 Si ergo vos filius liberaverit, vere liberi eritis.
इसलिये यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करे तो तुम वास्तव में स्वतंत्र हो जाओगे.
37 Scio quia filii Abrahæ estis: sed quæritis me interficere, quia sermo meus non capit in vobis.
मैं जानता हूं कि तुम अब्राहाम के वंशज हो, फिर भी तुम मेरी हत्या करने की ताक में हो; यह इसलिये कि तुमने मेरे संदेश को ह्रदय में ग्रहण नहीं किया.
38 Ego quod vidi apud Patrem meum, loquor: et vos quæ vidistis apud patrem vestrum, facitis.
मैं वही कहता हूं, जो मैंने साक्षात अपने पिता को करते हुए देखा है, परंतु तुम वह करते हो, जो तुमने अपने पिता से सुना है.”
39 Responderunt, et dixerunt ei: Pater noster Abraham est. Dicit eis Jesus: Si filii Abrahæ estis, opera Abrahæ facite.
उन्होंने मसीह येशु से कहा, “हमारे पिता अब्राहाम हैं.” मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अब्राहाम की संतान हो तो अब्राहाम के समान व्यवहार भी करो.
40 Nunc autem quæritis me interficere, hominem, qui veritatem vobis locutus sum, quam audivi a Deo: hoc Abraham non fecit.
तुम मेरी हत्या करना चाहते हो—मैं, जिसने परमेश्वर से प्राप्‍त सच तुम पर प्रकट किया है. अब्राहाम का व्यवहार ऐसा नहीं था.
41 Vos facitis opera patris vestri. Dixerunt itaque ei: Nos ex fornicatione non sumus nati: unum patrem habemus Deum.
तुम्हारा व्यवहार तुम्हारे ही पिता के समान है.” इस पर उन्होंने विरोध किया, “हम अवैध संतान नहीं हैं, हमारा एक ही पिता है—परमेश्वर.”
42 Dixit ergo eis Jesus: Si Deus pater vester esset, diligeretis utique et me; ego enim ex Deo processi, et veni: neque enim a meipso veni, sed ille me misit.
मसीह येशु ने उनसे कहा, “यदि परमेश्वर तुम्हारे पिता होते तो तुम मुझसे प्रेम करते क्योंकि मैं परमेश्वर से हूं. मैं अपनी इच्छा से नहीं आया; परमेश्वर ने मुझे भेजा है.
43 Quare loquelam meam non cognoscitis? Quia non potestis audire sermonem meum.
मेरी बातें तुम इसलिये नहीं समझते कि तुममें मेरा संदेश सुनने की क्षमता नहीं है.
44 Vos ex patre diabolo estis: et desideria patris vestri vultis facere. Ille homicida erat ab initio, et in veritate non stetit: quia non est veritas in eo: cum loquitur mendacium, ex propriis loquitur, quia mendax est, et pater ejus.
तुम अपने पिता शैतान से हो और उसी पिता की इच्छाओं को पूरा करना चाहते हो. वह प्रारंभ से ही हत्यारा है और सच उसका आधार कभी रहा ही नहीं क्योंकि सच उसमें है ही नहीं. जब वह कुछ भी कहता है, अपने स्वभाव के अनुसार झूठ ही कहता है, क्योंकि वह झूठा और झूठ का पिता है.
45 Ego autem si veritatem dico, non creditis mihi.
मैं सच कहता हूं इसलिये तुम मेरा विश्वास नहीं करते.
46 Quis ex vobis arguet me de peccato? si veritatem dico vobis, quare non creditis mihi?
तुममें से कौन मुझे पापी प्रमाणित कर सकता है? तो जब मैं सच कहता हूं तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते?
47 Qui ex Deo est, verba Dei audit. Propterea vos non auditis, quia ex Deo non estis.
वह, जो परमेश्वर का है, परमेश्वर के वचनों को सुनता है. ये वचन तुम इसलिये नहीं सुनते कि तुम परमेश्वर के नहीं हो.”
48 Responderunt ergo Judæi, et dixerunt ei: Nonne bene dicimus nos quia Samaritanus es tu, et dæmonium habes?
इस पर यहूदी अगुए बोले, “तो क्या हमारा यह मत सही नहीं कि तुम शमरियावासी हो और तुममें दुष्टात्मा समाया हुआ है?”
49 Respondit Jesus: Ego dæmonium non habeo: sed honorifico Patrem meum, et vos inhonorastis me.
मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मुझमें दुष्टात्मा नहीं है. मैं अपने पिता का सम्मान करता हूं और तुम मेरा अपमान करते हो.
50 Ego autem non quæro gloriam meam: est qui quærat, et judicet.
मैं अपनी महिमा के लिए प्रयास नहीं करता हूं; एक हैं, जो इसके लिए प्रयास करते हैं और निर्णय भी वही करते हैं.
51 Amen, amen dico vobis: si quis sermonem meum servaverit, mortem non videbit in æternum. (aiōn g165)
मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: यदि कोई मेरी शिक्षा का पालन करेगा, उसकी मृत्यु कभी न होगी.” (aiōn g165)
52 Dixerunt ergo Judæi: Nunc cognovimus quia dæmonium habes. Abraham mortuus est, et prophetæ; et tu dicis: Si quis sermonem meum servaverit, non gustabit mortem in æternum. (aiōn g165)
इस पर यहूदियों ने मसीह येशु से कहा, “अब हमें निश्चय हो गया कि तुममें दुष्टात्मा है. अब्राहाम और भविष्यद्वक्ताओं की मृत्यु हो चुकी और तुम कहते हो कि जो कोई तुम्हारी शिक्षा का पालन करेगा, उसकी मृत्यु कभी न होगी. (aiōn g165)
53 Numquid tu major es patre nostro Abraham, qui mortuus est? et prophetæ mortui sunt. Quem teipsum facis?
क्या तुम हमारे पिता अब्राहाम से भी बड़े हो? उनकी मृत्यु हुई और भविष्यद्वक्ताओं की भी. तुम अपने आपको समझते क्या हो?”
54 Respondit Jesus: Si ego glorifico meipsum, gloria mea nihil est: est Pater meus, qui glorificat me, quem vos dicitis quia Deus vester est,
मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं स्वयं को गौरवान्वित करता हूं तो मेरी महिमा व्यर्थ है. जिन्होंने मुझे गौरवान्वित किया है वह मेरे पिता हैं, जिन्हें तुम अपना परमेश्वर मानते हो.
55 et non cognovistis eum: ego autem novi eum. Et si dixero quia non scio eum, ero similis vobis, mendax. Sed scio eum, et sermonem ejus servo.
तुम उन्हें नहीं जानते, मैं उन्हें जानता हूं. यदि मैं यह कहता कि मैं उन्हें नहीं जानता तो मैं भी तुम्हारे समान झूठा साबित हो जाऊंगा. मैं उन्हें जानता हूं, इसलिये उनके आदेशों का पालन करता हूं.
56 Abraham pater vester exsultavit ut videret diem meum: vidit, et gavisus est.
तुम्हारे पिता अब्राहाम मेरा दिन देखने की आशा में मगन हुए थे. उन्होंने इसे देखा और आनंदित हुए.”
57 Dixerunt ergo Judæi ad eum: Quinquaginta annos nondum habes, et Abraham vidisti?
तब यहूदियों ने कटाक्ष किया, “तुम्हारी आयु तो अभी पचास वर्ष की भी नहीं है और तुमने अब्राहाम को देखा है?”
58 Dixit eis Jesus: Amen, amen dico vobis, antequam Abraham fieret, ego sum.
मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: अब्राहाम के जन्म के पूर्व से ही मैं हूं.”
59 Tulerunt ergo lapides, ut jacerent in eum: Jesus autem abscondit se, et exivit de templo.
यह सुनते ही उन्होंने मसीह येशु का पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए किंतु मसीह येशु उनकी दृष्टि से बचते हुए मंदिर से निकल गए.

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