< 詩篇 33 >

1 正しき者よ、主によって喜べ、さんびは直き者にふさわしい。
ऐ सादिक़ो, ख़ुदावन्द में ख़ुश रहो। हम्द करना रास्तबाज़ों की ज़ेबा है।
2 琴をもって主をさんびせよ、十弦の立琴をもって主をほめたたえよ。
सितार के साथ ख़ुदावन्द का शुक्र करो, दस तार की बरबत के साथ उसकी सिताइश करो।
3 新しい歌を主にむかって歌い、喜びの声をあげて巧みに琴をかきならせ。
उसके लिए नया गीत गाओ, बुलन्द आवाज़ के साथ अच्छी तरह बजाओ।
4 主のみことばは直く、そのすべてのみわざは真実だからである。
क्यूँकि ख़ुदावन्द का कलाम रास्त है; और उसके सब काम बावफ़ा हैं।
5 主は正義と公平とを愛される。地は主のいつくしみで満ちている。
वह सदाक़त और इन्साफ़ को पसंद करता है; ज़मीन ख़ुदावन्द की शफ़क़त से मा'मूर है।
6 もろもろの天は主のみことばによって造られ、天の万軍は主の口の息によって造られた。
आसमान ख़ुदावन्द के कलाम से, और उसका सारा लश्कर उसके मुँह के दम से बना।
7 主は海の水を水がめの中に集めるように集め、深い淵を倉におさめられた。
वह समन्दर का पानी तूदे की तरह जमा' करता है; वह गहरे समन्दरों को मख़ज़नों में रखता है।
8 全地は主を恐れ、世に住むすべての者は主を恐れかしこめ。
सारी ज़मीन ख़ुदावन्द से डरे, जहान के सब बाशिन्दे उसका ख़ौफ़ रख्खें।
9 主が仰せられると、そのようになり、命じられると、堅く立ったからである。
क्यूँकि उसने फ़रमाया और हो गया; उसने हुक्म दिया और वाके' हुआ।
10 主はもろもろの国のはかりごとをむなしくし、もろもろの民の企てをくじかれる。
ख़ुदावन्द क़ौमों की मश्वरत को बेकार कर देता है; वह उम्मतों के मन्सूबों को नाचीज़ बना देता है।
11 主のはかりごとはとこしえに立ち、そのみこころの思いは世々に立つ。
ख़ुदावन्द की मसलहत हमेशा तक क़ाईम रहेगी, और उसके दिल के ख़याल नसल दर नसल।
12 主をおのが神とする国はさいわいである。主がその嗣業として選ばれた民はさいわいである。
मुबारक है वह क़ौम जिसका ख़ुदा ख़ुदावन्द है, और वह उम्मत जिसको उसने अपनी ही मीरास के लिए बरगुज़ीदा किया।
13 主は天から見おろされ、すべての人の子らを見、
ख़ुदावन्द आसमान पर से देखता है, सब बनी आदम पर उसकी निगाह है।
14 そのおられる所から地に住むすべての人をながめられる。
अपनी सुकूनत गाह से वह ज़मीन के सब बाशिन्दों को देखता है।
15 主はすべて彼らの心を造り、そのすべてのわざに心をとめられる。
वही है जो उन सबके दिलों को बनाता, और उनके सब कामों का ख़याल रखता है।
16 王はその軍勢の多きによって救を得ない。勇士はその力の大いなるによって助けを得ない。
किसी बादशाह को फ़ौज की कसरत न बचाएगी; और किसी ज़बरदस्त आदमी को उसकी बड़ी ताक़त रिहाई न देगी।
17 馬は勝利に頼みとならない。その大いなる力も人を助けることはできない。
बच निकलने के लिए घोड़ा बेकार है, वह अपनी शहज़ोरी से किसी को नबचाएगा।
18 見よ、主の目は主を恐れる者の上にあり、そのいつくしみを望む者の上にある。
देखो ख़ुदावन्द की निगाह उन पर है जो उससे डरते हैं; जो उसकी शफ़क़त के उम्मीदवार हैं,
19 これは主が彼らの魂を死から救い、ききんの時にも生きながらえさせるためである。
ताकि उनकी जान मौत से बचाए, और सूखे में उनको ज़िन्दा रख्खे।
20 われらの魂は主を待ち望む。主はわれらの助け、われらの盾である。
हमारी जान को ख़ुदावन्द की उम्मीद है; वही हमारी मदद और हमारी ढाल है।
21 われらは主の聖なるみ名に信頼するがゆえに、われらの心は主にあって喜ぶ。
हमारा दिल उसमें ख़ुश रहेगा, क्यूँकि हम ने उसके पाक नाम पर भरोसा किया है।
22 主よ、われらが待ち望むように、あなたのいつくしみをわれらの上にたれてください。
ऐ ख़ुदावन्द, जैसी तुझ पर हमारी उम्मीद है, वैसी ही तेरी रहमत हम पर हो।

< 詩篇 33 >