< ヨブ 記 25 >
तब बिलदद ने, जो शूही था, अपना मत देना प्रारंभ किया:
2 「大権と恐れとは神と共にある。彼は高き所で平和を施される。
“प्रभुत्व एवं अतिशय सम्मान के अधिकारी परमेश्वर ही हैं; वही सर्वोच्च स्वर्ग में व्यवस्था की स्थापना करते हैं.
3 その軍勢は数えることができるか。何物かその光に浴さないものがあるか。
क्या परमेश्वर की सेना गण्य है? कौन है, जो उनके प्रकाश से अछूता रह सका है?
4 それで人はどうして神の前に正しくありえようか。女から生れた者がどうして清くありえようか。
तब क्या मनुष्य परमेश्वर के सामने युक्त प्रमाणित हो सकता है? अथवा नारी से जन्मे किसी को भी शुद्ध कहा जा सकता है?
5 見よ、月さえも輝かず、星も彼の目には清くない。
यदि परमेश्वर के सामने चंद्रमा प्रकाशमान नहीं है तथा तारों में कोई शुद्धता नहीं है,
6 うじのような人、虫のような人の子はなおさらである」。
तब मनुष्य क्या है, जो मात्र एक कीड़ा है, मानव प्राणी, जो मात्र एक केंचुआ ही है!”