< ヨブ 記 20 >
2 「これによって、わたしは答えようとの思いを起し、これがために心中しきりに騒ぎ立つ。
२“मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूँ, और इसलिए बोलने में फुर्ती करता हूँ।
3 わたしはわたしをはずかしめる非難を聞く、しかし、わたしの悟りの霊がわたしに答えさせる。
३मैंने ऐसी डाँट सुनी जिससे मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है।
4 あなたはこの事を知らないのか、昔から地の上に人の置かれてよりこのかた、
४क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया,
5 悪しき人の勝ち誇はしばらくであって、神を信じない者の楽しみはただつかのまであることを。
५दुष्टों की विजय क्षण भर का होता है, और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है?
6 たといその高さが天に達し、その頭が雲におよんでも、
६चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए, और उसका सिर बादलों तक पहुँचे,
7 彼はおのれの糞のように、とこしえに滅び、彼を見た者は言うであろう、『彼はどこにおるか』と。
७तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा; और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहाँ रहा?
8 彼は夢のように飛び去って、再び見ることはない。彼は夜の幻のように追い払われるであろう。
८वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा।
9 彼を見た目はかさねて彼を見ることがなく、彼のいた所も再び彼を見ることがなかろう。
९जिसने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा।
10 その子らは貧しい者に恵みを求め、その手は彼の貨財を償うであろう。
१०उसके बच्चे कंगालों से भी विनती करेंगे, और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा।
11 その骨には若い力が満ちている、しかしそれは彼と共にちりに伏すであろう。
११उसकी हड्डियों में जवानी का बल भरा हुआ है परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा।
12 たとい悪は彼の口に甘く、これを舌の裏にかくし、
१२“चाहे बुराई उसको मीठी लगे, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे,
13 これを惜しんで捨てることなく、口の中に含んでいても、
१३और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन् उसे अपने तालू के बीच दबा रखे,
14 その食物は彼の腹の中で変り、彼の内で毒蛇の毒となる。
१४तो भी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा।
15 彼は貨財をのんでも、またそれを吐き出す、神がそれを彼の腹から押し出されるからだ。
१५उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; परमेश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा।
16 彼は毒蛇の毒を吸い、まむしの舌は彼を殺すであろう。
१६वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा।
17 彼は蜜と凝乳の流れる川々を見ることができない。
१७वह नदियों अर्थात् मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा।
18 彼はほねおって獲たものを返して、それを食うことができない。その商いによって得た利益をもって楽しむことができない。
१८जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा।
19 彼が貧しい者をしえたげ、これを捨てたからだ。彼は家を奪い取っても、それを建てることができない。
१९क्योंकि उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, उसने घर को छीन लिया, जिसे उसने नहीं बनाया।
20 彼の欲張りは足ることを知らぬゆえ、その楽しむ何物をも救うことができないであろう。
२०“लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, इसलिए वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा।
21 彼が残して食べなかった物とては一つもない。それゆえ、その繁栄はながく続かないであろう。
२१कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; इसलिए उसका कुशल बना न रहेगा
22 その力の満ちている時、彼は窮境に陥り、悩みの手がことごとく彼の上に臨むであろう。
२२पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; तब सब दुःखियों के हाथ उस पर उठेंगे।
23 彼がその腹を満たそうとすれば、神はその激しい怒りを送って、それを彼の上に降り注ぎ、彼の食物とされる。
२३ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने पर होगा, परमेश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा।
24 彼は鉄の武器を免れても、青銅の矢は彼を射通すであろう。
२४वह लोहे के हथियार से भागेगा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा।
25 彼がこれをその身から引き抜けば、きらめく矢じりがその肝から出てきて、恐れが彼の上に臨む。
२५वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, उसकी चमकीली नोंक उसके पित्त से होकर निकलेगी, भय उसमें समाएगा।
26 もろもろの暗黒が彼の宝物のためにたくわえられ、人が吹き起したものでない火が彼を焼きつくし、その天幕に残っている者を滅ぼすであろう。
२६उसके गड़े हुए धन पर घोर अंधकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूँकी हुई न हो; और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा।
27 天は彼の罪をあらわし、地は起って彼を攻めるであろう。
२७आकाश उसका अधर्म प्रगट करेगा, और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होगी।
28 その家の財産は奪い去られ、神の怒りの日に消えうせるであろう。
२८उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह परमेश्वर के क्रोध के दिन बह जाएगी।
29 これが悪しき人の神から受ける分、神によって定められた嗣業である」。
२९परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, और उसके लिये परमेश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।”