< ヨブ 記 25 >
तब बिलदद ने, जो शूही था, अपना मत देना प्रारंभ किया:
2 神は大權を握りたまふ者 畏るべき者にましまし 高き處に平和を施したまふ
“प्रभुत्व एवं अतिशय सम्मान के अधिकारी परमेश्वर ही हैं; वही सर्वोच्च स्वर्ग में व्यवस्था की स्थापना करते हैं.
3 その軍旅數ふることを得んや 其光明なに物をか照さざらん
क्या परमेश्वर की सेना गण्य है? कौन है, जो उनके प्रकाश से अछूता रह सका है?
4 然ば誰か神の前に正義かるべき 婦人の產し者いかでか清かるべき
तब क्या मनुष्य परमेश्वर के सामने युक्त प्रमाणित हो सकता है? अथवा नारी से जन्मे किसी को भी शुद्ध कहा जा सकता है?
यदि परमेश्वर के सामने चंद्रमा प्रकाशमान नहीं है तथा तारों में कोई शुद्धता नहीं है,
तब मनुष्य क्या है, जो मात्र एक कीड़ा है, मानव प्राणी, जो मात्र एक केंचुआ ही है!”