< Amsal 8 >
1 Dengar! Kebijaksanaan berseru-seru, hikmat mengangkat suara.
१क्या बुद्धि नहीं पुकारती है? क्या समझ ऊँचे शब्द से नहीं बोलती है?
2 Ia berdiri di bukit-bukit di sisi jalan, dan di persimpangan-persimpangan.
२बुद्धि तो मार्ग के ऊँचे स्थानों पर, और चौराहों में खड़ी होती है;
3 Di pintu gerbang, di jalan masuk ke kota, di situlah terdengar suaranya.
३फाटकों के पास नगर के पैठाव में, और द्वारों ही में वह ऊँचे स्वर से कहती है,
4 "Hai, umat manusia, kepadamu aku berseru; setiap insan di bumi, perhatikanlah himbauanku!
४“हे लोगों, मैं तुम को पुकारती हूँ, और मेरी बातें सब मनुष्यों के लिये हैं।
5 Kamu yang belum berpengalaman, belajarlah mempunyai pikiran yang tajam; kamu yang bebal, belajarlah menjadi insaf.
५हे भोलों, चतुराई सीखो; और हे मूर्खों, अपने मन में समझ लो
6 Perhatikanlah perkataan-perkataanku, karena semuanya tepat dan bermutu.
६सुनो, क्योंकि मैं उत्तम बातें कहूँगी, और जब मुँह खोलूँगी, तब उससे सीधी बातें निकलेंगी;
7 Yang kukatakan, betul semua, sebab aku benci kepada dusta.
७क्योंकि मुझसे सच्चाई की बातों का वर्णन होगा; दुष्टता की बातों से मुझ को घृणा आती है।
8 Perkataan-perkataanku jujur semua, tak satu pun yang berbelit atau salah.
८मेरे मुँह की सब बातें धर्म की होती हैं, उनमें से कोई टेढ़ी या उलट-फेर की बात नहीं निकलती है।
9 Bagi orang cerdas, perkataanku benar, bagi orang yang arif, perkataanku tepat.
९समझवाले के लिये वे सब सहज, और ज्ञान प्राप्त करनेवालों के लिये अति सीधी हैं।
10 Hargailah nasihatku melebihi perak asli, pentingkanlah pengetahuan melebihi emas murni.
१०चाँदी नहीं, मेरी शिक्षा ही को चुन लो, और उत्तम कुन्दन से बढ़कर ज्ञान को ग्रहण करो।
11 Akulah hikmat, lebih berharga dari berlian; tak dapat dibandingkan dengan apa pun yang kauidamkan.
११क्योंकि बुद्धि, बहुमूल्य रत्नों से भी अच्छी है, और सारी मनभावनी वस्तुओं में कोई भी उसके तुल्य नहीं है।
12 Akulah hikmat; padaku ada pengertian, kebijaksanaan dan pengetahuan.
१२मैं जो बुद्धि हूँ, और मैं चतुराई में वास करती हूँ, और ज्ञान और विवेक को प्राप्त करती हूँ।
13 Menghormati TUHAN berarti membenci kejahatan; aku tidak menyukai kesombongan dan keangkuhan. Aku benci tingkah laku yang jahat dan kata-kata tipu muslihat.
१३यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड और अहंकार, बुरी चाल से, और उलट-फेर की बात से मैं बैर रखती हूँ।
14 Akulah yang memberi ilham. Dan aku juga yang mewujudkannya. Aku cerdas dan kuat pula.
१४उत्तम युक्ति, और खरी बुद्धि मेरी ही है, मुझ में समझ है, और पराक्रम भी मेरा है।
15 Raja-raja kubantu menjalankan pemerintahan, para penguasa kutolong menegakkan keadilan.
१५मेरे ही द्वारा राजा राज्य करते हैं, और अधिकारी धर्म से शासन करते हैं;
16 Karena jasaku, para pembesar dan para bangsawan memerintah dan menjalankan keadilan.
१६मेरे ही द्वारा राजा, हाकिम और पृथ्वी के सब न्यायी शासन करते हैं।
17 Aku mengasihi mereka yang suka kepadaku; yang mencari aku, akan menemukan aku.
१७जो मुझसे प्रेम रखते हैं, उनसे मैं भी प्रेम रखती हूँ, और जो मुझ को यत्न से तड़के उठकर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं।
18 Padaku tersedia kekayaan juga kehormatan dan kemakmuran.
१८धन और प्रतिष्ठा, शाश्वत धन और धार्मिकता मेरे पास हैं।
19 Yang kaudapat dari aku melebihi emas murni; lebih berharga dari perak asli.
१९मेरा फल शुद्ध सोने से, वरन् कुन्दन से भी उत्तम है, और मेरी उपज उत्तम चाँदी से अच्छी है।
20 Aku mengikuti jalan keadilan, aku melangkah di jalan kejujuran.
२०मैं धर्म के मार्ग में, और न्याय की डगरों के बीच में चलती हूँ,
21 Orang yang mengasihi aku, kujadikan kaya; kupenuhi rumahnya dengan harta benda.
२१जिससे मैं अपने प्रेमियों को धन-सम्पत्ति का भागी करूँ, और उनके भण्डारों को भर दूँ।
22 Aku diciptakan TUHAN sebagai yang pertama, akulah hasil karya-Nya yang semula pada zaman dahulu kala.
२२“यहोवा ने मुझे काम करने के आरम्भ में, वरन् अपने प्राचीनकाल के कामों से भी पहले उत्पन्न किया।
23 Aku dibentuk sejak permulaan zaman, pada mulanya, sebelum bumi diciptakan.
२३मैं सदा से वरन् आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही से ठहराई गई हूँ।
24 Aku lahir sebelum tercipta samudra raya, sebelum muncul sumber-sumber air.
२४जब न तो गहरा सागर था, और न जल के सोते थे, तब ही से मैं उत्पन्न हुई।
25 Aku lahir sebelum gunung-gunung ditegakkan, sebelum bukit-bukit didirikan,
२५जब पहाड़ और पहाड़ियाँ स्थिर न की गई थीं, तब ही से मैं उत्पन्न हुई।
26 sebelum TUHAN menciptakan bumi dan padang-padangnya, bahkan sebelum diciptakan-Nya gumpalan tanah yang pertama.
२६जब यहोवा ने न तो पृथ्वी और न मैदान, न जगत की धूलि के परमाणु बनाए थे, इनसे पहले मैं उत्पन्न हुई।
27 Aku menyaksikan ketika langit dihamparkan, dan cakrawala direntangkan di atas lautan,
२७जब उसने आकाश को स्थिर किया, तब मैं वहाँ थी, जब उसने गहरे सागर के ऊपर आकाशमण्डल ठहराया,
28 ketika TUHAN menempatkan awan di angkasa, dan membuka sumber-sumber samudra,
२८जब उसने आकाशमण्डल को ऊपर से स्थिर किया, और गहरे सागर के सोते फूटने लगे,
29 ketika Ia memerintahkan air laut supaya jangan melewati batas-batasnya. Aku pun turut hadir di sana ketika alas bumi diletakkan-Nya.
२९जब उसने समुद्र की सीमा ठहराई, कि जल उसकी आज्ञा का उल्लंघन न कर सके, और जब वह पृथ्वी की नींव की डोरी लगाता था,
30 Aku berada di samping-Nya sebagai anak kesayangan-Nya, setiap hari akulah kebahagiaan-Nya; selalu aku bermain-main di hadapan-Nya.
३०तब मैं प्रधान कारीगर के समान उसके पास थी; और प्रतिदिन मैं उसकी प्रसन्नता थी, और हर समय उसके सामने आनन्दित रहती थी।
31 Aku bersenang-senang di atas bumi-Nya, dan merasa bahagia di antara manusia.
३१मैं उसकी बसाई हुई पृथ्वी से प्रसन्न थी और मेरा सुख मनुष्यों की संगति से होता था।
32 Karena itu, dengarkanlah aku, hai orang muda! Turutilah petunjukku, maka kau akan bahagia.
३२“इसलिए अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो; क्या ही धन्य हैं वे जो मेरे मार्ग को पकड़े रहते हैं।
33 Terimalah petuah dan jadilah bijaksana, janganlah engkau meremehkannya.
३३शिक्षा को सुनो, और बुद्धिमान हो जाओ, उसको अनसुना न करो।
34 Bahagialah orang yang mendengarkan aku yang setiap hari duduk menanti di pintu rumahku, dan berjaga-jaga di gerbang kediamanku.
३४क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो मेरी सुनता, वरन् मेरी डेवढ़ी पर प्रतिदिन खड़ा रहता, और मेरे द्वारों के खम्भों के पास दृष्टि लगाए रहता है।
35 Siapa mendapat aku, memperoleh kehidupan, kepadanya TUHAN berkenan.
३५क्योंकि जो मुझे पाता है, वह जीवन को पाता है, और यहोवा उससे प्रसन्न होता है।
36 Siapa tidak mendapat aku, merugikan diri sendiri; orang yang membenciku, mencintai maut."
३६परन्तु जो मुझे ढूँढ़ने में विफल होता है, वह अपने ही पर उपद्रव करता है; जितने मुझसे बैर रखते, वे मृत्यु से प्रीति रखते हैं।”