< जकर्याह 12 >
1 १ इस्राएल के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन: यहोवा जो आकाश का ताननेवाला, पृथ्वी की नींव डालनेवाला और मनुष्य की आत्मा का रचनेवाला है, यहोवा की यह वाणी है,
The burden of a word of YHWH on Israel. A declaration of YHWH, Stretching out the heavens, and founding earth, And forming the spirit of man in his midst:
2 २ “देखो, मैं यरूशलेम को चारों ओर की सब जातियों के लिये लड़खड़ा देने के नशा का कटोरा ठहरा दूँगा; और जब यरूशलेम घेर लिया जाएगा तब यहूदा की दशा भी ऐसी ही होगी।
“Behold, I am making Jerusalem a cup of reeling To all the surrounding peoples, And it is also against Judah, In the siege against Jerusalem.
3 ३ और उस समय पृथ्वी की सारी जातियाँ यरूशलेम के विरुद्ध इकट्ठी होंगी, तब मैं उसको इतना भारी पत्थर बनाऊँगा, कि जो उसको उठाएँगे वे बहुत ही घायल होंगे।
And it has come to pass in that day, I make Jerusalem a burdensome stone to all the peoples, All loading it are completely pressed down, And gathered against it have been all nations of the earth.
4 ४ यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं हर एक घोड़े को घबरा दूँगा, और उसके सवार को घायल करूँगा। परन्तु मैं यहूदा के घराने पर कृपादृष्टि रखूँगा, जब मैं अन्यजातियों के सब घोड़ों को अंधा कर डालूँगा।
In that day,” a declaration of YHWH, “I strike every horse with astonishment, And its rider with madness, And on the house of Judah I open My eyes, And every horse of the peoples I strike with blindness.
5 ५ तब यहूदा के अधिपति सोचेंगे, ‘यरूशलेम के निवासी अपने परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा की सहायता से मेरे सहायक बनेंगे।’
And leaders of Judah have said in their heart, The inhabitants of Jerusalem [are] strength to me, In YHWH of Hosts their God.
6 ६ “उस समय मैं यहूदा के अधिपतियों को ऐसा कर दूँगा, जैसी लकड़ी के ढेर में आग भरी अँगीठी या पूले में जलती हुई मशाल होती है, अर्थात् वे दाएँ-बाएँ चारों ओर के सब लोगों को भस्म कर डालेंगे; और यरूशलेम जहाँ अब बसी है, वहीं बसी रहेगी, यरूशलेम में ही।
In that day I make the leaders of Judah As a hearth of fire among trees, And as a torch of fire in a sheaf, And they have consumed—on the right and on the left—all the surrounding peoples, And Jerusalem has again inhabited her place in Jerusalem.
7 ७ “और यहोवा पहले यहूदा के तम्बुओं का उद्धार करेगा, कहीं ऐसा न हो कि दाऊद का घराना और यरूशलेम के निवासी अपने-अपने वैभव के कारण यहूदा के विरुद्ध बड़ाई मारें।
And YHWH has saved the tents of Judah first, So that the beauty of the house of David does not become great against Judah, And the beauty of the inhabitant of Jerusalem.
8 ८ उस दिन यहोवा यरूशलेम के निवासियों को मानो ढाल से बचा लेगा, और उस समय उनमें से जो ठोकर खानेवाला हो वह दाऊद के समान होगा; और दाऊद का घराना परमेश्वर के समान होगा, अर्थात् यहोवा के उस दूत के समान जो उनके आगे-आगे चलता था।
In that day YHWH covers over the inhabitant of Jerusalem, And the stumbling among them has been in that day as David, And the house of David as God—As the Messenger of YHWH—before them.
9 ९ उस दिन मैं उन सब जातियों का नाश करने का यत्न करूँगा जो यरूशलेम पर चढ़ाई करेंगी।
And it has come to pass in that day, I seek to destroy all the nations Who are coming in against Jerusalem,
10 १० “मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करनेवाली और प्रार्थना सिखानेवाली आत्मा उण्डेलूँगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्थात् जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिये ऐसे रोएँगे जैसे एकलौते पुत्र के लिये रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहलौठे के लिये करते हैं।
And I have poured on the house of David, And on the inhabitant of Jerusalem, The Spirit of grace and supplications, And they have looked to Me whom they pierced, And they have mourned over Him, Like a mourning over the only one, And they have been in bitterness for Him, Like a bitterness over the firstborn.
11 ११ उस समय यरूशलेम में इतना रोना-पीटना होगा जैसा मगिद्दोन की तराई में हदद्रिम्मोन में हुआ था।
In that day, great is the mourning of Jerusalem, As the mourning of Hadadrimmon in the Valley of Megiddon,
12 १२ सारे देश में विलाप होगा, हर एक परिवार में अलग-अलग; अर्थात् दाऊद के घराने का परिवार अलग, और उनकी स्त्रियाँ अलग; नातान के घराने का परिवार अलग, और उनकी स्त्रियाँ अलग;
And the land has mourned—every family apart, The family of the house of David apart, And their women apart; The family of the house of Nathan apart, And their women apart;
13 १३ लेवी के घराने का परिवार अलग और उनकी स्त्रियाँ अलग; शिमियों का परिवार अलग; और उनकी स्त्रियाँ अलग;
The family of the house of Levi apart, And their women apart; The family of Shimei apart, And their women apart,
14 १४ और जितने परिवार रह गए हों हर एक परिवार अलग - अलग और उनकी स्त्रियाँ भी अलग-अलग।
All the families that are left, Every family apart, and their women apart!”