< तीतुस 1 >

1 पौलुस की ओर से, जो परमेश्वर का दास और यीशु मसीह का प्रेरित है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के विश्वास को स्थापित करने और सच्चाई का ज्ञान स्थापित करने के लिए जो भक्ति के साथ सहमत हैं,
Paulus servus Dei, Apostolus autem Jesu Christi secundum fidem electorum Dei, et agnitionem veritatis, quæ secundum pietatem est
2 उस अनन्त जीवन की आशा पर, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने जो झूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है, (aiōnios g166)
in spem vitæ æternæ, quam promisit qui non mentitur, Deus, ante tempora sæcularia: (aiōnios g166)
3 पर ठीक समय पर अपने वचन को उस प्रचार के द्वारा प्रगट किया, जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मुझे सौंपा गया।
manifestavit autem temporibus suis verbum suum in prædicatione, quæ credita est mihi secundum præceptum Salvatoris nostri Dei:
4 तीतुस के नाम जो विश्वास की सहभागिता के विचार से मेरा सच्चा पुत्र है: परमेश्वर पिता और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु की ओर से तुझे अनुग्रह और शान्ति होती रहे।
Tito dilecto filio secundum communem fidem, gratia, et pax a Deo Patre, et Christo Jesu Salvatore nostro.
5 मैं इसलिए तुझे क्रेते में छोड़ आया था, कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारें, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर-नगर प्राचीनों को नियुक्त करे।
Hujus rei gratia reliqui te Cretæ, ut ea quæ desunt, corrigas, et constituas per civitates presbyteros, sicut et ego disposui tibi,
6 जो निर्दोष और एक ही पत्नी का पति हो, जिनके बच्चे विश्वासी हो, और जिन पर लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं।
si quis sine crimine est, unius uxoris vir, filios habens fideles, non in accusatione luxuriæ, aut non subditos.
7 क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी, न पियक्कड़, न मारपीट करनेवाला, और न नीच कमाई का लोभी।
Oportet enim episcopum sine crimine esse, sicut Dei dispensatorem: non superbum, non iracundum, non vinolentum, non percussorem, non turpis lucri cupidum:
8 पर पहुनाई करनेवाला, भलाई का चाहनेवाला, संयमी, न्यायी, पवित्र और जितेन्द्रिय हो;
sed hospitalem, benignum, sobrium, justum, sanctum, continentem,
9 और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुँह भी बन्द कर सके।
amplectentem eum, qui secundum doctrinam est, fidelem sermonem: ut potens sit exhortari in doctrina sana, et eos qui contradicunt, arguere.
10 १० क्योंकि बहुत से अनुशासनहीन लोग, निरंकुश बकवादी और धोखा देनेवाले हैं; विशेष करके खतनावालों में से।
Sunt enim multi etiam inobedientes, vaniloqui, et seductores: maxime qui de circumcisione sunt:
11 ११ इनका मुँह बन्द करना चाहिए: ये लोग नीच कमाई के लिये अनुचित बातें सिखाकर घर के घर बिगाड़ देते हैं।
quos oportet redargui: qui universas domos subvertunt, docentes quæ non oportet, turpis lucri gratia.
12 १२ उन्हीं में से एक जन ने जो उन्हीं का भविष्यद्वक्ता है, कहा है, “क्रेती लोग सदा झूठे, दुष्ट पशु और आलसी पेटू होते हैं।”
Dixit quidam ex illis, proprius ipsorum propheta: Cretenses semper mendaces, malæ bestiæ, ventres pigri.
13 १३ यह गवाही सच है, इसलिए उन्हें कड़ाई से चेतावनी दिया कर, कि वे विश्वास में पक्के हो जाएँ।
Testimonium hoc verum est. Quam ob causam increpa illos dure, ut sani sint in fide,
14 १४ यहूदियों की कथा कहानियों और उन मनुष्यों की आज्ञाओं पर मन न लगाएँ, जो सत्य से भटक जाते हैं।
non intendentes judaicis fabulis, et mandatis hominum, aversantium se a veritate.
15 १५ शुद्ध लोगों के लिये सब वस्तुएँ शुद्ध हैं, पर अशुद्ध और अविश्वासियों के लिये कुछ भी शुद्ध नहीं वरन् उनकी बुद्धि और विवेक दोनों अशुद्ध हैं।
Omnia munda mundis: coinquinatis autem et infidelibus, nihil est mundum, sed inquinatæ sunt eorum et mens et conscientia.
16 १६ वे कहते हैं, कि हम परमेश्वर को जानते हैं पर अपने कामों से उसका इन्कार करते हैं, क्योंकि वे घृणित और आज्ञा न माननेवाले हैं और किसी अच्छे काम के योग्य नहीं।
Confitentur se nosse Deum, factis autem negant: cum sint abominati, et incredibiles, et ad omne opus bonum reprobi.

< तीतुस 1 >