< रोमियों 8 >

1 इसलिए अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᏩᎭ ᏗᎬᏩᎾᏚᎪᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎬᏩᏯᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏇᏓᎵ ᎨᏒ ᎾᏂᏍᏓᏩᏕᎬᎾ ᏥᎩ, ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂ ᏣᏂᏍᏓᏩᏕᎦ.
2 क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
ᎠᏓᏅᏙᏰᏃ ᎬᏂᏛ ᎠᏓᏁᎯ, ᎾᏍᎩ ᎬᏂᏛ ᎦᎶᏁᏛ ᏥᏌ ᏨᏗᏓᎴᎲᏍᎦ, ᎾᏍᎩ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏤᎵ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᎠᏊᏓᎴᏒ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎴ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎤᎾᏤᎵ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏱ ᎠᏆᏚᏓᎸᎢ.
3 क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया, अर्थात् अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी।
ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏰᏃ ᎢᎬᏩᏛᏁᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᎠᏩᎾᎦᎳᎯᏳ ᎨᏒ ᎤᏇᏓᎵ ᎢᏳᏩᏂᏌᏛ, — ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏩᏒ ᎤᏪᏥ ᏧᏅᏎ ᎾᏍᎩᏯ ᏗᏟᎶᏍᏔᏅᎯ ᎠᏍᎦᎾ ᎤᏇᏓᎵ, ᎠᎴ ᎠᏍᎦᏂ ᏧᎬᏩᎴᎢ, ᏚᏭᎪᏓᏁᎴ ᎤᏎᎪᎩᏎ ᎠᏍᎦᏅᎢᏍᏗ ᎨᏒ ᎤᏇᏓᎸ ᎠᏯᎥᎢ;
4 इसलिए कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए।
ᎾᏍᎩ ᏅᏓᏳᎵᏍᏙᏙᏗᏱ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏂᎦᏪᏍᎬ ᎾᏍᎩᏯ ᏚᏳᎪᏛ ᎢᎦᏛᏁᎰᎲᏍᏗᏱ, ᎠᏴ ᎤᏇᏓᎵ ᎨᏒ ᎢᏗᏍᏓᏩᏕᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ, ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂ ᎢᏗᏍᏓᏩᏕᎩ.
5 क्योंकि शारीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।
ᎾᏍᎩᏰᏃ ᎤᏇᏓᎵ ᏧᎾᏘᏂᏙᎯ ᎤᏇᏓᎵᏉ ᎤᏤᎵ ᎤᎬᏩᎵ ᎤᎾᎦᏌᏯᏍᏙᎢ, ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ Ꮎ ᎠᏓᏅᏙ ᏧᎾᏘᏂᏙᎯ ᎠᏓᏅᏙᏉ ᎤᏤᎵ ᎤᎬᏩᎵ ᎤᎾᎦᏌᏯᏍᏙᎢ.
6 शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है।
ᎤᏇᏓᎵᏰᏃ ᎠᎦᏌᏯᏍᏙᏗᏱ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᏩᎵᏰᎢᎶᎯᎭ; ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂ ᎠᏕᏌᏯᏍᏙᏗᏱ ᎬᏂᏛ ᎠᎴ ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᏗᎨᏒ ᏩᎵᏰᎢᎶᎯᎭ.
7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है।
ᎤᏇᏓᎵᏰᏃ ᎠᎦᏌᏯᏍᏙᏗᏱ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏗᎦᏘᎴᎩ; ᎥᏝᏰᏃ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵ ᏗᎧᎿᎭᏩᏕᎩ ᏱᎩ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᎤᏙᎩᏳᎯ ᎾᏍᎩ ᏰᎵ ᏱᏅᎬᏛᎦ;
8 और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।
ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏇᏓᎵ ᏧᎾᏘᏂᏙᎯ ᎨᏒ ᎥᏝ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎣᏍᏛ ᎤᏰᎸᏗ ᏱᏅᎬᎾᏛᎦ.
9 परन्तु जबकि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं।
ᏂᎯᏍᎩᏂ ᎥᏝ ᎤᏇᏓᎵ ᏗᏣᏘᏂᏙᎯ ᏱᎩ, ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂ ᏗᏣᏘᏂᏙᎯ, ᎢᏳᏃ ᎰᏩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏓᏅᏙ ᏱᏥᏯᎠ. ᎠᎴ ᎢᏳ ᎩᎶ ᎦᎶᏁᏛ ᎤᏓᏅᏙ ᏄᏪᎲᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎥᏝ [ ᎦᎶᏁᏛ ] ᎤᏤᎵ ᏱᎦᎩ.
10 १० यदि मसीह तुम में है, तो देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्तु आत्मा धार्मिकता के कारण जीवित है।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎦᎶᏁᏛ ᎢᏥᏯᎡᏍᏗ, ᎠᏰᎸ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎤᏲᎱᏒᎯ ᎠᏍᎦᏂ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ; ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂ ᎬᏃᏛ ᏚᏳᎪᏛ ᎢᏯᏛᏁᏗ ᎨᏒ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ.
11 ११ और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᏥᏌ ᎤᏲᎱᏒ ᏧᎴᏔᏅᎯ ᎤᏓᏅᏙ ᎢᏥᏯᎡᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ ᎤᏲᎱᏒ ᏧᎴᏔᏅᎯ ᎾᏍᏉ ᏙᏓᎬᏃᎯᏍᏔᏂ ᏗᏲᎱᏍᎩ ᏗᏥᏰᎸᎢ ᏓᎬᏔᏂ ᎤᏓᏅᏙ ᎾᏍᎩ ᏥᏥᏯᎠ.
12 १२ तो हे भाइयों, हम शरीर के कर्जदार नहीं, कि शरीर के अनुसार दिन काटें।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎢᏓᎵᏅᏟ, ᎡᎩᏚᎦ, ᎥᏝ ᎤᏇᏓᎵ ᏱᎩᏚᎦ, ᎾᏍᎩ ᎤᏇᏓᎵ ᎢᎩᏍᏓᏩᏗᏓᏍᏗᏱ ᎢᏕᎲᎢ.
13 १३ क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे।
ᎢᏳᏰᏃ ᎢᏤᎲ ᎤᏇᏓᎵ ᎨᏒ ᎢᏥᏍᏓᏩᏗᏙᎮᏍᏗ, ᏙᏓᏥᏲᎱᏏ; ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎠᏓᏅᏙ ᎬᏗ ᎠᏰᎸ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᎢᏥᎯᎮᏍᏗ, ᏕᏨᏁᏍᏗ.
14 १४ इसलिए कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं।
ᎾᏂᎥᏰᏃ ᎩᎶᎢ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏓᏅᏙ ᏧᎾᏘᏂᏙᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏪᏥ.
15 १५ क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिससे हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं।
ᎥᏝᏰᏃ ᎠᏓᏅᏙ ᎠᏥᎾᏝᎢ ᏔᎵᏁ ᎡᏥᏁᎸᎯ ᏱᎩ, ᎾᏍᎩ ᎢᏥᎾᏰᎯᏍᏗᏱ; ᏧᏪᏥᏍᎩᏂ ᎢᎨᎬᏁᎸᎯ ᎤᎾᏓᏅᏙ ᎡᏥᏁᎸ, ᎾᏍᎩ ᎢᏛᏗᏍᎬ, ᎠᏆ! ᎡᏙᏓ! ᏥᏓᏗᏍᎪᎢ.
16 १६ पवित्र आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं।
ᎠᏓᏅᏙᏰᏃ ᎤᏩᏒ ᏓᎵᎪᏁᎭ ᏗᎦᏓᏅᏙ ᎬᏂᎨᏒ ᎾᏅᏁᎲ, ᎾᏍᎩ ᎠᏴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏪᏥ ᎨᏒᎢ.
17 १७ और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब हम उसके साथ दुःख उठाए तो उसके साथ महिमा भी पाएँ।
ᎠᎴ ᎢᏳ ᏧᏪᏥ ᏱᎩ, ᎿᎭᏉ ᎢᎦᏘᏰᎯ ᏧᎬᏩᎶᏗ; ᎢᎦᏘᏰᏗ ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏓᏁᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎦᎶᏁᏛ ᎢᏧᎳᎭ ᎢᎦᏘᏰᏗ; ᎢᏳᏃ ᎰᏩ ᏱᎦᏠᏯᏍᏗᎭ ᎠᎩᎵᏲᎬᎢ, ᎾᏍᏉ ᎢᎦᏠᏯᏍᏙᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎠᏥᎸᏉᏗᏍᎬᎢ.
18 १८ क्योंकि मैं समझता हूँ, कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं।
ᎦᏓᏅᏖᏍᎬᏰᏃ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎪᎯ ᎠᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏒ ᎥᏝ ᏗᎬᏟᎶᏍᏙᏗ ᏱᎩ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᎡᎩᎾᏄᎪᏫᏎᏗ ᎨᏒᎢ.
19 १९ क्योंकि सृष्टि बड़ी आशा भरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की प्रतीक्षा कर रही है।
ᎤᎵᏂᎩᏛᏰᏃ ᎤᏚᎩ ᎤᏩᏒ ᎠᎦᏁᎳᏅᎯ ᎨᏒ ᎠᎦᏘᏯ ᎨᏥᎾᏄᎪᏫᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏪᏥ.
20 २० क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करनेवाले की ओर से व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई।
ᎠᎦᏁᎳᏅᎯᏰᏃ ᎠᏲᎩ ᎾᎬᏁᎴᎢ, ᎥᏝ ᎣᏏᏳ ᎤᏰᎸᏒ ᎢᏳᏍᏗ, ᎣᏏᏳᏍᎩᏂ ᎤᏰᎸᏅ ᎢᏳᏍᏗ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏩᏁᎸᎯ, ᎤᏚᎩ ᎤᏮᏗᏱ ᎤᏰᎸᏅ,
21 २१ कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।
ᎾᏍᎩ ᎠᎦᏁᎳᏅᎯ ᎤᏩᏒ ᎾᏍᏉ ᎤᏚᏓᎴᏍᏗᏱ ᎠᏲᎩ ᎨᏒ ᎤᎾᏝᎥᎢ, ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏂᏗᎨᏥᎾᏝᎥᎾ ᎨᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏪᏥ ᎤᎾᏤᎵᎦ ᏫᏗᎨᏥᎪᏗᏱ.
22 २२ क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
ᎢᏗᎦᏔᎭᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᎾᏂᎥ ᎨᎦᏁᎳᏅᎯ ᎨᏒ ᎢᏧᎳᎭ ᎤᏂᎵᏰᏗᏍᎬ ᎠᎴ ᎠᏂᎩᎵᏲᎬ ᎪᎯ ᎢᏯᏍᏗ.
23 २३ और केवल वही नहीं पर हम भी जिनके पास आत्मा का पहला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात् अपनी देह के छुटकारे की प्रतीक्षा करते हैं।
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎤᏅᏒᏉ, ᎢᎬᏒᏍᎩᏂ ᎾᏍᏉ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏱᏱ ᎤᎾᏄᎪᏫᏒᎯ ¯ ᎠᏓᏅᏙ ᏥᎨᎭ, ᎠᏴ ᎾᏍᏉ ᎢᎬᏒ ᎨᏒ ᎭᏫᏂ ᏕᎩᎵᏰᏗᎭ, ᎢᏗᎦᏘᏴ ᏧᏪᏥ ᎢᎨᎬᏁᏗ, ᎾᏍᎩ ᏗᏗᏰᎸ ᏧᎫᏴᏗᏱ ᏧᏭᏓᎴᏍᏗᏱ.
24 २४ आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहाँ रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा?
ᎤᏚᎩᏉᏰᏃ ᎢᎬᎭ ᎡᎩᏍᏕᎸᏗᏱ; ᎤᏚᎩᏍᎩᏂ ᎣᏩᏒ ᎠᎪᎲᎯ ᏥᎨᏐᎢ ᎥᏝ ᎤᏚᎩ ᏲᏩᏐᎢ; ᎪᎱᏍᏗᏰᏃ ᏨᎪᏩᏘᏍᎪᎢ, ᎦᏙᏃ ᎠᏏ ᎤᏚᎩ ᏱᎦᏲᏩᎭ?
25 २५ परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उसकी आशा रखते हैं, तो धीरज से उसकी प्रतीक्षा भी करते हैं।
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎢᎩᎪᎲᎯ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒ ᎤᏚᎩ ᏱᎬᎭ, ᎿᎭᏉ ᏗᏛᏂᏗᏳ ᎢᏗᎦᏘᏲ ᎾᏍᎩ.
26 २६ इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये विनती करता है।
ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᎠᏓᏅᏙ ᎢᎩᏍᏕᎵᎭ ᏗᏗᏩᎾᎦᎳᎯᏳ ᎨᏒᎢ; ᎥᏝᏰᏃ ᏱᏗᎦᏔᎭ ᎢᏳᏍᏗ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒ ᎢᎩᏔᏲᏍᏗᏱ ᎢᏓᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎬᎢ; ᎠᏓᏅᏙᏍᎩᏂ ᎤᏩᏒ ᎢᎦᎵᏍᏗᏰᏓᏁᎭ ᎤᎵᏰᏗᏍᎬ ᎬᏗᎭ ᎾᏍᎩ ᎦᏁᎢᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ.
27 २७ और मनों का जाँचनेवाला जानता है, कि पवित्र आत्मा की मनसा क्या है? क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है।
ᎠᎴ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏗᎪᎵᏰᏍᏗ ᏧᎾᏫ ᎠᎦᏔᎭ ᏄᏍᏛ ᎠᏓᏅᏖᎵᏙᎲ ᎠᏓᏅᏙ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗ ᎤᎾᏓᏅᏘ ᏓᎵᏍᏗᏰᏓᏁᎲ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎣᏏᏳ ᎤᏰᎸᏗ ᎨᏒᎢ.
28 २८ और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
ᎠᎴ ᎢᏗᎦᏔᎭ ᎾᏍᎩ ᏂᎦᎥ ᏂᏚᎵᏍᏔᏂᏙᎲ ᎤᎾᏖᏆᎶᏒ ᎣᏍᏛ ᎢᏳᎾᎵᏍᏓᏁᏗᏱ ᏚᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏂᎨᏳᎯ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎨᏥᏯᏅᏛ ᏥᎩ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᏓᏅᏖᎸᎢ.
29 २९ क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान लिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहलौठा ठहरे।
ᎾᏍᎩᏰᏃ ᎦᏳᎳ ᏥᏂᏓᎦᏔᎰᎢ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᏂᏚᏑᏰᏐ ᎤᏪᏥ ᏄᏍᏛ ᎾᏍᎩᏯ ᎢᏳᎾᎵᏍᏙᏗᏱ, ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏱ ᎡᎯ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᎾᎵᏅᏟ ᎠᏁᎲᎢ.
30 ३० फिर जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
ᎾᏍᎩᏃ ᎦᏳᎳ ᏥᏂᏚᏑᏰᏐᎢ ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᏚᏯᏅᎮᎢ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏧᏯᏅᏛ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᏚᏭᏓᎴᏎᎢ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏧᏭᏓᎴᏛ ᎨᏒ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏂᏚᏩᏁᎴᎢ.
31 ३१ तो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
ᎦᏙᏃ ᏓᏓᏛᏂ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏄᏍᏗ? ᎢᏳᏃ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏱᎩᏍᏕᎵᎭ ᎦᎪ ᏱᎦᏡᏓ?
32 ३२ जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया, वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्यों न देगा?
ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏄᎨᏳᏅᎾ ᏥᎨᏎ ᎤᏩᏒ ᎤᏪᏥ, ᏥᏚᏲᏎᏉᏍᎩᏂ ᎠᏴ ᏂᏗᎥ ᎢᎩᏍᏕᎵᏍᎬᎢ, ᎦᏙ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᎾᏍᎩ ᏕᎩᏲᎯᏎᎲ ᎠᏎᏉ ᏗᎨᎩᏲᎯᏎᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏱᏂᎦᎵᏍᏓ ᏂᎦᏗᏳ ᎪᎱᏍᏗ?
33 ३३ परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है।
ᎦᎪ ᎤᏂᏍᎦᏅᏨ ᏙᏓᎫᎯᏍᏔᏂ ᎤᎾᎴᏅᎯ ᏧᏑᏰᏛ? ᏥᎪ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏄᏓᎴᏍᎩ?
34 ३४ फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन् मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
ᎦᎪ ᏧᏄᎪᏓᏁᎯ? ᎦᎶᏁᏛᏍᎪ, ᎾᏍᎩ ᏧᏂᎱᏎᎢ, ᎥᎥ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎾᏍᎩ ᏥᏚᎴᎯᏌᏅ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᎦᏗᏏᏗᏢ ᏧᏬᎳ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᏥᎦᎵᏍᏗᏰᏓᏁᎭ?
35 ३५ कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
ᎦᎪ ᎢᏴᏛ ᏅᏓᎬᏁᎵ ᎦᎶᏁᏛ ᎢᎩᎨᏒᎢ? ᏥᎪ ᎠᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᏪᎵᎯᏍᏗ ᎠᏓᏅᏓᏗᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᏲ ᎢᏴᏓᏛᏁᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᏓᎪᏄᎶᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏗᎩᏰᎸᎭ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏰᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏰᎳᏍᏗ-ᎦᏅᎯᏛ?
36 ३६ जैसा लिखा है, “तेरे लिये हम दिन भर मार डाले जाते हैं; हम वध होनेवाली भेड़ों के समान गिने गए हैं।”
ᎾᏍᎩᏯ ᎯᎠ ᏥᏂᎬᏅ ᏥᎪᏪᎳ, ᏂᎯ ᎨᏒ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᏙᎩᎢᎭ ᏂᎪᎯᎸᎢ; ᎤᏂᏃᏕᎾᏉ ᏗᎯᏍᏗ ᎾᏍᎩᏯ ᎣᎩᏰᎸᎠ;
37 ३७ परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, विजेता से भी बढ़कर हैं।
ᎠᏎᏃ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᎨᏒ ᎢᏓᏓᏎᎪᎩᏍᎩ ᎠᎴ ᎤᏟ ᎢᎦᎢ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎢᎩᎨᏳᎯᏳ ᎢᏳᎵᏍᏔᏅᎯ ᏥᎩ ᎢᏳᏩᏂᏌᏛ.
38 ३८ क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई,
ᎤᎵᏂᎩᏛᏰᏃ ᎠᏉᎯᏳᎭ, ᎾᏍᎩ ᎥᏝ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏛᏂᏗᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏗᏂᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ, ᎠᎴ ᏄᏂᎬᏫᏳᏌᏕᎩ, ᎠᎴ ᎨᏥᎸᏉᏗ, ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᎪᎯ ᏤᎭ, ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᎠᏏ ᎤᎾᏄᎪᎢᏍᏗ ᏥᎩ,
39 ३९ न गहराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎦᎸᎳᏗᏳ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎭᏫᏂᏳ ᎨᏒᎢ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏅᏩᏓᎴ ᎠᏁᎳᏅᎯ ᎨᏒᎢ, ᏰᎵ ᎢᏴᏛ ᎢᎬᏩᏁᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎢᎩᎨᏳᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ ᏥᏌ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎢᎦᏤᎵ ᏅᏓᏳᏓᎴᏅᎯ ᏥᎩ.

< रोमियों 8 >