< रोमियों 15 >

1 अतः हम बलवानों को चाहिए, कि निर्बलों की निर्बलताओं में सहायता करें, न कि अपने आपको प्रसन्न करें।
Nous devons donc, nous qui sommes forts, supporter les infirmités des faibles, et ne pas nous complaire en nous-mêmes.
2 हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये सुधारने के निमित्त प्रसन्न करे।
Que chacun de nous complaise plutôt à son prochain, dans le bien, pour l'édification;
3 क्योंकि मसीह ने अपने आपको प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है, “तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी।”
Car aussi Christ ne s'est point complu en lui-même; mais selon qu'il est écrit: Les outrages de ceux qui t'outragent, sont tombés sur moi.
4 जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन के द्वारा आशा रखें।
Or, tout ce qui a été écrit autrefois, a été écrit pour notre instruction, afin que, par la patience et la consolation que donnent les Écritures, nous possédions l'espérance.
5 धीरज, और प्रोत्साहन का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो।
Et que le Dieu de patience et de consolation vous donne d'avoir les mêmes sentiments entre vous selon Jésus-Christ;
6 ताकि तुम एक मन और एक स्वर होकर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की स्तुति करो।
Afin que, d'un même cœur et d'une même bouche, vous glorifiiez le Dieu qui est le Père de notre Seigneur Jésus-Christ.
7 इसलिए, जैसा मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।
C'est pourquoi accueillez-vous les uns les autres, comme Christ nous a accueillis pour la gloire de Dieu.
8 मैं कहता हूँ, कि जो प्रतिज्ञाएँ पूर्वजों को दी गई थीं, उन्हें दृढ़ करने के लिये मसीह, परमेश्वर की सच्चाई का प्रमाण देने के लिये खतना किए हुए लोगों का सेवक बना।
Je dis donc que Jésus-Christ a été ministre des circoncis, pour montrer la fidélité de Dieu, en accomplissant les promesses faites aux pères;
9 और अन्यजाति भी दया के कारण परमेश्वर की स्तुति करो, जैसा लिखा है, “इसलिए मैं जाति-जाति में तेरी स्तुति करूँगा, और तेरे नाम के भजन गाऊँगा।”
Et afin que les Gentils glorifient Dieu à cause de sa miséricorde, selon qu'il est écrit: C'est pour cela que je te louerai parmi les Gentils, et que je chanterai à ton nom.
10 १० फिर कहा है, “हे जाति-जाति के सब लोगों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द करो।”
Il est dit encore: Gentils, réjouissez-vous avec son peuple.
11 ११ और फिर, “हे जाति-जाति के सब लोगों, प्रभु की स्तुति करो; और हे राज्य-राज्य के सब लोगों; उसकी स्तुति करो।”
Et encore: Nations, louez toutes le Seigneur, et peuples, célébrez-le tous.
12 १२ और फिर यशायाह कहता है, “यिशै की एक जड़ प्रगट होगी, और अन्यजातियों का अधिपति होने के लिये एक उठेगा, उस पर अन्यजातियाँ आशा रखेंगी।”
Ésaïe dit aussi: Jessé aura un rejeton qui se lèvera pour gouverner les Gentils; les Gentils espéreront en lui.
13 १३ परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।
Que le Dieu d'espérance vous remplisse donc de toute sorte de joie et de paix, dans la foi, afin que vous abondiez en espérance, par la puissance du Saint-Esprit.
14 १४ हे मेरे भाइयों; मैं आप भी तुम्हारे विषय में निश्चय जानता हूँ, कि तुम भी आप ही भलाई से भरे और ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो और एक दूसरे को समझा सकते हो।
Pour moi, frères, j'ai la persuasion que vous êtes pleins de bonté, remplis de toute connaissance, et capables de vous exhorter les uns les autres.
15 १५ तो भी मैंने कहीं-कहीं याद दिलाने के लिये तुम्हें जो बहुत साहस करके लिखा, यह उस अनुग्रह के कारण हुआ, जो परमेश्वर ने मुझे दिया है।
Cependant, frères, je vous ai écrit plus librement en quelque sorte, pour réveiller vos souvenirs, selon la grâce qui m'a été donnée de Dieu,
16 १६ कि मैं अन्यजातियों के लिये मसीह यीशु का सेवक होकर परमेश्वर के सुसमाचार की सेवा याजक के समान करूँ; जिससे अन्यजातियों का मानो चढ़ाया जाना, पवित्र आत्मा से पवित्र बनकर ग्रहण किया जाए।
D'être le ministre de Jésus-Christ auprès des Gentils et d'exercer les saintes fonctions de l'Évangile de Dieu, afin que l'oblation des Gentils lui soit agréable, étant sanctifiée par le Saint-Esprit.
17 १७ इसलिए उन बातों के विषय में जो परमेश्वर से सम्बंध रखती हैं, मैं मसीह यीशु में बड़ाई कर सकता हूँ।
J'ai donc un sujet de gloire en Jésus-Christ, dans les choses de Dieu.
18 १८ क्योंकि उन बातों को छोड़ मुझे और किसी बात के विषय में कहने का साहस नहीं, जो मसीह ने अन्यजातियों की अधीनता के लिये वचन, और कर्म।
Car je n'oserais parler de quoi que ce soit que Christ n'ait opéré par moi, pour amener les Gentils à son obéissance, par la parole et par les ouvres;
19 १९ और चिन्हों और अद्भुत कामों की सामर्थ्य से, और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से मेरे ही द्वारा किए। यहाँ तक कि मैंने यरूशलेम से लेकर चारों ओर इल्लुरिकुम तक मसीह के सुसमाचार का पूरा-पूरा प्रचार किया।
Par la vertu des miracles et des prodiges; par la puissance de l'Esprit de Dieu; de sorte que j'ai répandu l'Évangile de Christ depuis Jérusalem et les lieux voisins, jusqu'à l'Illyrie.
20 २० पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहाँ-जहाँ मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊँ; ऐसा न हो, कि दूसरे की नींव पर घर बनाऊँ।
Prenant ainsi à tâche d'annoncer l'Évangile où Christ n'avait point été nommé, afin de ne pas bâtir sur le fondement qu'un autre aurait posé;
21 २१ परन्तु जैसा लिखा है, वैसा ही हो, “जिन्हें उसका सुसमाचार नहीं पहुँचा, वे ही देखेंगे और जिन्होंने नहीं सुना वे ही समझेंगे।”
Selon qu'il est écrit: Ceux à qui il n'avait point été annoncé, le verront, et ceux qui n'en avaient point entendu parler, l'entendront.
22 २२ इसलिए मैं तुम्हारे पास आने से बार बार रोका गया।
C'est pour cela que j'ai été souvent empêché d'aller chez vous.
23 २३ परन्तु अब इन देशों में मेरे कार्य के लिए जगह नहीं रही, और बहुत वर्षों से मुझे तुम्हारे पास आने की लालसा है।
Mais, comme à présent je n'ai plus affaire dans ce pays-ci, et que depuis plusieurs années j'ai un grand désir d'aller vers vous,
24 २४ इसलिए जब इसपानिया को जाऊँगा तो तुम्हारे पास होता हुआ जाऊँगा क्योंकि मुझे आशा है, कि उस यात्रा में तुम से भेंट करूँ, और जब तुम्हारी संगति से मेरा जी कुछ भर जाए, तो तुम मुझे कुछ दूर आगे पहुँचा दो।
Quand je me rendrai en Espagne, j'irai chez vous; car j'espère que je vous verrai en passant, et que vous m'y ferez conduire, après que j'aurai satisfait en partie mon désir d'être avec vous.
25 २५ परन्तु अभी तो पवित्र लोगों की सेवा करने के लिये यरूशलेम को जाता हूँ।
Mais maintenant je vais à Jérusalem, pour assister les Saints.
26 २६ क्योंकि मकिदुनिया और अखाया के लोगों को यह अच्छा लगा, कि यरूशलेम के पवित्र लोगों के कंगालों के लिये कुछ चन्दा करें।
Car il a plu à ceux de Macédoine et d'Achaïe de s'imposer une contribution pour les pauvres d'entre les Saints de Jérusalem.
27 २७ उन्हें अच्छा तो लगा, परन्तु वे उनके कर्जदार भी हैं, क्योंकि यदि अन्यजाति उनकी आत्मिक बातों में भागी हुए, तो उन्हें भी उचित है, कि शारीरिक बातों में उनकी सेवा करें।
Il leur a plu, en effet, et ils le leur devaient; car, si les Gentils ont eu part à leurs biens spirituels, ils doivent aussi les assister dans les choses temporelles.
28 २८ इसलिए मैं यह काम पूरा करके और उनको यह चन्दा सौंपकर तुम्हारे पास होता हुआ इसपानिया को जाऊँगा।
Après donc que j'aurai achevé cela, et que je leur aurai remis fidèlement ce produit, je partirai pour l'Espagne, en passant par chez vous.
29 २९ और मैं जानता हूँ, कि जब मैं तुम्हारे पास आऊँगा, तो मसीह की पूरी आशीष के साथ आऊँगा।
Or, je sais qu'en me rendant auprès de vous, je viendrai avec la plénitude des bénédictions de l'Évangile de Christ.
30 ३० और हे भाइयों; मैं यीशु मसीह का जो हमारा प्रभु है और पवित्र आत्मा के प्रेम का स्मरण दिलाकर, तुम से विनती करता हूँ, कि मेरे लिये परमेश्वर से प्रार्थना करने में मेरे साथ मिलकर लौलीन रहो।
Je vous conjure donc, frères, par notre Seigneur Jésus-Christ, et par l'amour de l'Esprit, de combattre avec moi dans les prières que vous ferez à Dieu pour moi;
31 ३१ कि मैं यहूदिया के अविश्वासियों से बचा रहूँ, और मेरी वह सेवा जो यरूशलेम के लिये है, पवित्र लोगों को स्वीकार्य हो।
Afin que je sois délivré des incrédules de Judée, et que mon ministère à Jérusalem soit agréable aux Saints;
32 ३२ और मैं परमेश्वर की इच्छा से तुम्हारे पास आनन्द के साथ आकर तुम्हारे साथ विश्राम पाऊँ।
En sorte que, par la volonté de Dieu, j'arrive chez vous avec joie, et que je me repose avec vous.
33 ३३ शान्ति का परमेश्वर तुम सब के साथ रहे। आमीन।
Que le Dieu de paix soit avec vous tous! Amen.

< रोमियों 15 >