< प्रकाशित वाक्य 9 >
1 १ जब पाँचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो मैंने स्वर्ग से पृथ्वी पर एक तारा गिरता हुआ देखा, और उसे अथाह कुण्ड की कुँजी दी गई। (Abyssos )
১ততঃ পরং সপ্তমদূতেন তূর্য্যাং ৱাদিতাযাং গগনাৎ পৃথিৱ্যাং নিপতিত একস্তারকো মযা দৃষ্টঃ, তস্মৈ রসাতলকূপস্য কুঞ্জিকাদাযি| (Abyssos )
2 २ उसने अथाह कुण्ड को खोला, और कुण्ड में से बड़ी भट्टी के समान धुआँ उठा, और कुण्ड के धुएँ से सूर्य और वायु अंधकारमय हो गए। (Abyssos )
২তেন রসাতলকূপে মুক্তে মহাগ্নিকুণ্ডস্য ধূম ইৱ ধূমস্তস্মাৎ কূপাদ্ উদ্গতঃ| তস্মাৎ কূপধূমাৎ সূর্য্যাকাশৌ তিমিরাৱৃতৌ| (Abyssos )
3 ३ उस धुएँ में से पृथ्वी पर टिड्डियाँ निकलीं, और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं के समान शक्ति दी गई।
৩তস্মাদ্ ধূমাৎ পতঙ্গেষু পৃথিৱ্যাং নির্গতেষু নরলোকস্থৱৃশ্চিকৱৎ বলং তেভ্যোঽদাযি|
4 ४ उनसे कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुँचाए, केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाए जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है।
৪অপরং পৃথিৱ্যাস্তৃণানি হরিদ্ৱর্ণশাকাদযো ৱৃক্ষাশ্চ তৈ র্ন সিংহিতৱ্যাঃ কিন্তু যেষাং ভালেষ্ৱীশ্ৱরস্য মুদ্রাযা অঙ্কো নাস্তি কেৱলং তে মানৱাস্তৈ র্হিংসিতৱ্যা ইদং ত আদিষ্টাঃ|
5 ५ और उन्हें लोगों को मार डालने का तो नहीं, पर पाँच महीने तक लोगों को पीड़ा देने का अधिकार दिया गया; और उनकी पीड़ा ऐसी थी, जैसे बिच्छू के डंक मारने से मनुष्य को होती है।
৫পরন্তু তেষাং বধায নহি কেৱলং পঞ্চ মাসান্ যাৱৎ যাতনাদানায তেভ্যঃ সামর্থ্যমদাযি| ৱৃশ্চিকেন দষ্টস্য মানৱস্য যাদৃশী যাতনা জাযতে তৈরপি তাদৃশী যাতনা প্রদীযতে|
6 ६ उन दिनों में मनुष्य मृत्यु को ढूँढ़ेंगे, और न पाएँगे; और मरने की लालसा करेंगे, और मृत्यु उनसे भागेगी।
৬তস্মিন্ সমযে মানৱা মৃত্যুং মৃগযিষ্যন্তে কিন্তু প্রাপ্তুং ন শক্ষ্যন্তি, তে প্রাণান্ ত্যক্তুম্ অভিলষিষ্যন্তি কিন্তু মৃত্যুস্তেভ্যো দূরং পলাযিষ্যতে|
7 ७ उन टिड्डियों के आकार लड़ाई के लिये तैयार किए हुए घोड़ों के जैसे थे, और उनके सिरों पर मानो सोने के मुकुट थे; और उनके मुँह मनुष्यों के जैसे थे।
৭তেষাং পতঙ্গানাম্ আকারো যুদ্ধার্থং সুসজ্জিতানাম্ অশ্ৱানাম্ আকারস্য তুল্যঃ, তেষাং শিরঃসু সুৱর্ণকিরীটানীৱ কিরীটানি ৱিদ্যন্তে, মুখমণ্ডলানি চ মানুষিকমুখতুল্যানি,
8 ८ उनके बाल स्त्रियों के बाल जैसे, और दाँत सिंहों के दाँत जैसे थे।
৮কেশাশ্চ যোষিতাং কেশানাং সদৃশাঃ, দন্তাশ্চ সিংহদন্ততুল্যাঃ,
9 ९ वे लोहे की जैसी झिलम पहने थे, और उनके पंखों का शब्द ऐसा था जैसा रथों और बहुत से घोड़ों का जो लड़ाई में दौड़ते हों।
৯লৌহকৱচৱৎ তেষাং কৱচানি সন্তি, তেষাং পক্ষাণাং শব্দো রণায ধাৱতামশ্ৱরথানাং সমূহস্য শব্দতুল্যঃ|
10 १० उनकी पूँछ बिच्छुओं की जैसी थीं, और उनमें डंक थे, और उन्हें पाँच महीने तक मनुष्यों को दुःख पहुँचाने की जो शक्ति मिली थी, वह उनकी पूँछों में थी।
১০ৱৃশ্চিকানামিৱ তেষাং লাঙ্গূলানি সন্তি, তেষু লাঙ্গূলেষু কণ্টকানি ৱিদ্যন্তে, অপরং পঞ্চ মাসান্ যাৱৎ মানৱানাং হিংসনায তে সামর্থ্যপ্রাপ্তাঃ|
11 ११ अथाह कुण्ड का दूत उन पर राजा था, उसका नाम इब्रानी में अबद्दोन, और यूनानी में अपुल्लयोन है। (Abyssos )
১১তেষাং রাজা চ রসাতলস্য দূতস্তস্য নাম ইব্রীযভাষযা অবদ্দোন্ যূনানীযভাষযা চ অপল্লুযোন্ অর্থতো ৱিনাশক ইতি| (Abyssos )
12 १२ पहली विपत्ति बीत चुकी, अब इसके बाद दो विपत्तियाँ और आनेवाली हैं।
১২প্রথমঃ সন্তাপো গতৱান্ পশ্য ইতঃ পরমপি দ্ৱাভ্যাং সন্তাপাভ্যাম্ উপস্থাতৱ্যং|
13 १३ जब छठवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो जो सोने की वेदी परमेश्वर के सामने है उसके सींगों में से मैंने ऐसा शब्द सुना,
১৩ততঃ পরং ষষ্ঠদূতেন তূর্য্যাং ৱাদিতাযাম্ ঈশ্ৱরস্যান্তিকে স্থিতাযাঃ সুৱর্ণৱেদ্যাশ্চতুশ্চূডাতঃ কস্যচিদ্ রৱো মযাশ্রাৱি|
14 १४ मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।”
১৪স তূরীধারিণং ষষ্ঠদূতম্ অৱদৎ, ফরাতাখ্যে মহানদে যে চৎৱারো দূতা বদ্ধাঃ সন্তি তান্ মোচয|
15 १५ और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।
১৫ততস্তদ্দণ্ডস্য তদ্দিনস্য তন্মাসস্য তদ্ৱৎসরস্য চ কৃতে নিরূপিতাস্তে চৎৱারো দূতা মানৱানাং তৃতীযাংশস্য বধার্থং মোচিতাঃ|
16 १६ उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी।
১৬অপরম্ অশ্ৱারোহিসৈন্যানাং সংখ্যা মযাশ্রাৱি, তে ৱিংশতিকোটয আসন্|
17 १७ और मुझे इस दर्शन में घोड़े और उनके ऐसे सवार दिखाई दिए, जिनकी झिलमें आग, धूम्रकान्त, और गन्धक की जैसी थीं, और उन घोड़ों के सिर सिंहों के सिरों के समान थे: और उनके मुँह से आग, धुआँ, और गन्धक निकलते थे।
১৭মযা যে ঽশ্ৱা অশ্ৱারোহিণশ্চ দৃষ্টাস্ত এতাদৃশাঃ, তেষাং ৱহ্নিস্ৱরূপাণি নীলপ্রস্তরস্ৱরূপাণি গন্ধকস্ৱরূপাণি চ ৱর্ম্মাণ্যাসন্, ৱাজিনাঞ্চ সিংহমূর্দ্ধসদৃশা মূর্দ্ধানঃ, তেষাং মুখেভ্যো ৱহ্নিধূমগন্ধকা নির্গচ্ছন্তি|
18 १८ इन तीनों महामारियों; अर्थात् आग, धुएँ, गन्धक से, जो उसके मुँह से निकलते थे, मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई।
১৮এতৈস্ত্রিভি র্দণ্ডৈরর্থতস্তেষাং মুখেভ্যো নির্গচ্ছদ্ভি র্ৱহ্নিধূমগন্ধকৈ র্মানুষাণাং তুতীযাংশো ঽঘানি|
19 १९ क्योंकि उन घोड़ों की सामर्थ्य उनके मुँह, और उनकी पूँछों में थी; इसलिए कि उनकी पूँछे साँपों की जैसी थीं, और उन पूँछों के सिर भी थे, और इन्हीं से वे पीड़ा पहुँचाते थे।
১৯তেষাং ৱাজিনাং বলং মুখেষু লাঙ্গূলেষু চ স্থিতং, যতস্তেষাং লাঙ্গূলানি সর্পাকারাণি মস্তকৱিশিষ্টানি চ তৈরেৱ তে হিংসন্তি|
20 २० बाकी मनुष्यों ने जो उन महामारियों से न मरे थे, अपने हाथों के कामों से मन न फिराया, कि दुष्टात्माओं की, और सोने, चाँदी, पीतल, पत्थर, और काठ की मूर्तियों की पूजा न करें, जो न देख, न सुन, न चल सकती हैं।
২০অপরম্ অৱশিষ্টা যে মানৱা তৈ র্দণ্ডৈ র্ন হতাস্তে যথা দৃষ্টিশ্রৱণগমনশক্তিহীনান্ স্ৱর্ণরৌপ্যপিত্তলপ্রস্তরকাষ্ঠমযান্ ৱিগ্রহান্ ভূতাংশ্চ ন পূজযিষ্যন্তি তথা স্ৱহস্তানাং ক্রিযাভ্যঃ স্ৱমনাংসি ন পরাৱর্ত্তিতৱন্তঃ
21 २१ और जो खून, और टोना, और व्यभिचार, और चोरियाँ, उन्होंने की थीं, उनसे मन न फिराया।
২১স্ৱবধকুহকৱ্যভিচারচৌর্য্যোভ্যো ঽপি মনাংসি ন পরাৱর্ত্তিতৱন্তঃ|