< भजन संहिता 1 >
1 १ क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!
Wohl dem, der nicht wandelt im Rat der Gottlosen und nicht tritt auf den Weg der Sünder, noch sitzt im Kreise der Spötter,
2 २ परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है।
vielmehr Gefallen hat am Gesetz des HERRN und sinnt über sein Gesetz bei Tag und bei Nacht!
3 ३ वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।
Der gleicht einem Baum, gepflanzt an Wasserbächen, der seine Früchte bringt zu rechter Zeit und dessen Laub nicht welkt; und alles, was er beginnt, das gelingt.
4 ४ दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।
Nicht also die Gottlosen: nein, sie gleichen der Spreu, die der Wind verweht.
5 ५ इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;
Darum werden die Gottlosen nicht im Gericht bestehn und die Sünder nicht in der Gemeinde der Gerechten.
6 ६ क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।
Denn es kennt der HERR den Weg der Gerechten; doch der Gottlosen Weg führt ins Verderben.