< भजन संहिता 91 >
1 १ जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।
El que habita en el lugar secreto del Altísimo descansará a la sombra del Todopoderoso.
2 २ मैं यहोवा के विषय कहूँगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, जिस पर मैं भरोसा रखता हूँ”
Diré de Yahvé: “Él es mi refugio y mi fortaleza; mi Dios, en quien confío”.
3 ३ वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;
Porque él te librará de la trampa del cazador, y de la mortífera peste.
4 ४ वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके परों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।
Te cubrirá con sus plumas. Bajo sus alas te refugiarás. Su fidelidad es tu escudo y baluarte.
5 ५ तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
No temerás el terror de la noche, ni de la flecha que vuela de día,
6 ६ न उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन-दुपहरी में उजाड़ता है।
ni de la pestilencia que camina en la oscuridad, ni de la destrucción que se produce al mediodía.
7 ७ तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।
Mil pueden caer a tu lado, y diez mil a tu derecha; pero no se acercará a ti.
8 ८ परन्तु तू अपनी आँखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा।
Sólo mirarás con tus ojos, y ver la recompensa de los malvados.
9 ९ हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तूने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,
Porque has hecho de Yahvé tu refugio, y el Altísimo tu morada,
10 १० इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आएगा।
no te sucederá ningún mal, ni se acercará ninguna plaga a tu morada.
11 ११ क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।
Porque pondrá a sus ángeles a cargo de ustedes, para guardarte en todos tus caminos.
12 १२ वे तुझको हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे।
Ellos te llevarán en sus manos, para que no se estrelle el pie contra una piedra.
13 १३ तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।
Pisarás el león y la cobra. Pisotearás al león joven y a la serpiente.
14 १४ उसने जो मुझसे स्नेह किया है, इसलिए मैं उसको छुड़ाऊँगा; मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूँगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।
“Porque ha puesto su amor en mí, por eso lo libraré. Lo pondré en alto, porque ha conocido mi nombre.
15 १५ जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूँगा; संकट में मैं उसके संग रहूँगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊँगा।
Me invocará, y yo le responderé. Estaré con él en los problemas. Lo libraré y lo honraré.
16 १६ मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊँगा।
Le satisfaré con una larga vida, y mostrarle mi salvación”.