< भजन संहिता 91 >

1 जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।
Laus Cantici David. Qui habitat in adiutorio Altissimi, in protectione Dei cæli commorabitur.
2 मैं यहोवा के विषय कहूँगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, जिस पर मैं भरोसा रखता हूँ”
Dicet Domino: Susceptor meus es tu, et refugium meum: Deus meus sperabo in eum.
3 वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;
Quoniam ipse liberavit me de laqueo venantium, et a verbo aspero.
4 वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके परों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।
Scapulis suis obumbrabit tibi: et sub pennis eius sperabis:
5 तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
Scuto circumdabit te veritas eius: non timebis a timore nocturno,
6 न उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन-दुपहरी में उजाड़ता है।
A sagitta volante in die, a negotio perambulante in tenebris: ab incursu, et dæmonio meridiano.
7 तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।
Cadent a latere tuo mille, et decem millia a dextris tuis: ad te autem non appropinquabit.
8 परन्तु तू अपनी आँखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा।
Verumtamen oculis tuis considerabis: et retributionem peccatorum videbis.
9 हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तूने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,
Quoniam tu es Domine spes mea: Altissimum posuisti refugium tuum.
10 १० इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आएगा।
Non accedet ad te malum: et flagellum non appropinquabit tabernaculo tuo.
11 ११ क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।
Quoniam angelis suis mandavit de te: ut custodiant te in omnibus viis tuis.
12 १२ वे तुझको हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे।
In manibus portabunt te: ne forte offendas ad lapidem pedem tuum.
13 १३ तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।
Super aspidem, et basiliscum ambulabis: et conculcabis leonem et draconem.
14 १४ उसने जो मुझसे स्नेह किया है, इसलिए मैं उसको छुड़ाऊँगा; मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूँगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।
Quoniam in me speravit, liberabo eum: protegam eum, quoniam cognovit nomen meum.
15 १५ जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूँगा; संकट में मैं उसके संग रहूँगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊँगा।
Clamabit ad me, et ego exaudiam eum: cum ipso sum in tribulatione: eripiam eum et glorificabo eum.
16 १६ मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊँगा।
Longitudine dierum replebo eum: et ostendam illi salutare meum.

< भजन संहिता 91 >