< भजन संहिता 78 >
1 १ आसाप का मश्कील हे मेरे लोगों, मेरी शिक्षा सुनो; मेरे वचनों की ओर कान लगाओ!
আসফের মস্কীল। হে আমার লোকসকল, আমার উপদেশ শোনো; আমার মুখের বাক্যে কর্ণপাত করো।
2 २ मैं अपना मुँह नीतिवचन कहने के लिये खोलूँगा; मैं प्राचीनकाल की गुप्त बातें कहूँगा,
আমি দৃষ্টান্তের মাধ্যমে আমার মুখ খুলব; আমি পূর্বকালের গুপ্ত শিক্ষার কথা উচ্চারণ করব—
3 ३ जिन बातों को हमने सुना, और जान लिया, और हमारे बापदादों ने हम से वर्णन किया है।
যা আমরা শুনেছি আর জেনেছি, সেসব আমাদের পূর্বপুরুষরা আমাদের বলেছেন।
4 ४ उन्हें हम उनकी सन्तान से गुप्त न रखेंगे, परन्तु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ्य और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगे।
তাঁদের বংশধরদের কাছে আমরা সেসব লুকিয়ে রাখব না; আমরা আগামী প্রজন্মের কাছে সদাপ্রভুর প্রশংসনীয় কাজের কথা বলব, তাঁর পরাক্রম, আর তাঁর আশ্চর্য কাজ।
5 ५ उसने तो याकूब में एक चितौनी ठहराई, और इस्राएल में एक व्यवस्था चलाई, जिसके विषय उसने हमारे पितरों को आज्ञा दी, कि तुम इन्हें अपने-अपने बाल-बच्चों को बताना;
তিনি যাকোবের জন্য বিধি দিয়েছিলেন আর তিনি তাঁর আইন ইস্রায়েলে প্রতিষ্ঠা করেছিলেন, যা তিনি আমাদের পূর্বপুরুষদের আদেশ দিয়েছিলেন তাঁদের ছেলেমেয়েদের শিক্ষা দেওয়ার জন্য,
6 ६ कि आनेवाली पीढ़ी के लोग, अर्थात् जो बच्चे उत्पन्न होनेवाले हैं, वे इन्हें जानें; और अपने-अपने बाल-बच्चों से इनका बखान करने में उद्यत हों,
যেন পরবর্তী প্রজন্ম সেগুলি জানতে পারে, এমনকি তারাও পারে যাদের জন্ম হয়নি, এবং তারা যেন পরে নিজের নিজের ছেলেমেয়েদের বলতে পারে।
7 ७ जिससे वे परमेश्वर का भरोसा रखें, परमेश्वर के बड़े कामों को भूल न जाएँ, परन्तु उसकी आज्ञाओं का पालन करते रहें;
তখন তারা ঈশ্বরে আস্থা রাখবে আর তাঁর কার্যাবলি ভুলে যাবে না কিন্তু তাঁর আজ্ঞাসকল পালন করবে।
8 ८ और अपने पितरों के समान न हों, क्योंकि उस पीढ़ी के लोग तो हठीले और झगड़ालू थे, और उन्होंने अपना मन स्थिर न किया था, और न उनकी आत्मा परमेश्वर की ओर सच्ची रही।
তারা তাদের পূর্বপুরুষদের মতো হবে না— একগুঁয়ে এবং বিদ্রোহী এক প্রজন্ম, যাদের হৃদয় ঈশ্বরের প্রতি অনুগত ছিল না, যাদের আত্মা তাঁর প্রতি বিশ্বস্ত ছিল না।
9 ९ एप्रैमियों ने तो शस्त्रधारी और धनुर्धारी होने पर भी, युद्ध के समय पीठ दिखा दी।
ইফ্রয়িম বংশের যোদ্ধারা, যদিও ধনুকে সজ্জিত, যুদ্ধের দিনে পিছু ফিরল;
10 १० उन्होंने परमेश्वर की वाचा पूरी नहीं की, और उसकी व्यवस्था पर चलने से इन्कार किया।
তারা ঈশ্বরের নিয়ম রক্ষা করল না আর তাঁর আইন অনুসারে বাঁচতে অস্বীকার করল।
11 ११ उन्होंने उसके बड़े कामों को और जो आश्चर्यकर्म उसने उनके सामने किए थे, उनको भुला दिया।
তারা ভুলে গেল যে তিনি কী করেছিলেন, যে আশ্চর্য কাজগুলি তিনি তাদের দেখিয়েছিলেন।
12 १२ उसने तो उनके बापदादों के सम्मुख मिस्र देश के सोअन के मैदान में अद्भुत कर्म किए थे।
মিশর দেশে, আর সোয়নের অঞ্চলে, তাদের পূর্বপুরুষদের দৃষ্টিতে তিনি অলৌকিক কাজ করেছিলেন।
13 १३ उसने समुद्र को दो भाग करके उन्हें पार कर दिया, और जल को ढेर के समान खड़ा कर दिया।
তিনি সমুদ্র ভাগ করেছিলেন আর তাদেরকে মাঝখান দিয়ে এগিয়ে নিয়ে গেলেন; প্রাচীরের মতো তিনি জলকে দাঁড় করালেন।
14 १४ उसने दिन को बादल के खम्भे से और रात भर अग्नि के प्रकाश के द्वारा उनकी अगुआई की।
তিনি দিনে তাদের মেঘ আর রাতে আগুনের আলো দ্বারা পথ দেখালেন।
15 १५ वह जंगल में चट्टानें फाड़कर, उनको मानो गहरे जलाशयों से मनमाना पिलाता था।
তিনি মরুপ্রান্তরে শৈল বিভক্ত করলেন আর সমুদ্রের মতো অফুরন্ত জল দিলেন;
16 १६ उसने चट्टान से भी धाराएँ निकालीं और नदियों का सा जल बहाया।
শৈল থেকে তিনি জলস্রোত নির্গত করলেন আর নদীর মতো জল প্রবাহিত করলেন।
17 १७ तो भी वे फिर उसके विरुद्ध अधिक पाप करते गए, और निर्जल देश में परमप्रधान के विरुद्ध उठते रहे।
কিন্তু তারা তাঁর বিরুদ্ধে পাপ করেই গেল, মরুপ্রান্তরে পরাৎপরের প্রতি বিদ্রোহ করল।
18 १८ और अपनी चाह के अनुसार भोजन माँगकर मन ही मन परमेश्वर की परीक्षा की।
তাদের আকাঙ্ক্ষিত খাদ্য দাবি করে তারা ইচ্ছাকৃতভাবে ঈশ্বরের পরীক্ষা করল।
19 १९ वे परमेश्वर के विरुद्ध बोले, और कहने लगे, “क्या परमेश्वर जंगल में मेज लगा सकता है?
তারা ঈশ্বরের বিরুদ্ধে কথা বলল; তারা বলল, “ঈশ্বর কি সত্যিই মরুপ্রান্তরে মেজ সাজাতে পারেন?
20 २० उसने चट्टान पर मारकर जल बहा तो दिया, और धाराएँ उमड़ चली, परन्तु क्या वह रोटी भी दे सकता है? क्या वह अपनी प्रजा के लिये माँस भी तैयार कर सकता?”
সত্যিই, তিনি শৈলকে আঘাত করলেন, আর জল বেরিয়ে এল, বিপুল জলস্রোত প্রবাহিত হল, কিন্তু তিনি কি আমাদের রুটি দিতে পারেন? তিনি কি তাঁর লোকেদের খাবার জন্য মাংস দিতে পারেন?”
21 २१ यहोवा सुनकर क्रोध से भर गया, तब याकूब के विरुद्ध उसकी आग भड़क उठी, और इस्राएल के विरुद्ध क्रोध भड़का;
যখন সদাপ্রভু তাদের কথা শুনলেন তিনি রাগে অগ্নিশর্মা হলেন; যাকোবের বিরুদ্ধে তাঁর আগুন জ্বলে উঠল, আর তাঁর ক্রোধ ইস্রায়েলের বিরুদ্ধে প্রজ্জ্বলিত হল,
22 २२ इसलिए कि उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास नहीं रखा था, न उसकी उद्धार करने की शक्ति पर भरोसा किया।
কেননা তারা ঈশ্বরে বিশ্বাস করেনি এবং তাঁর উদ্ধারে আস্থা রাখেনি।
23 २३ तो भी उसने आकाश को आज्ञा दी, और स्वर्ग के द्वारों को खोला;
তবুও তিনি উপরের আকাশকে আজ্ঞা দিলেন এবং স্বর্গের দরজা খুলে দিলেন;
24 २४ और उनके लिये खाने को मन्ना बरसाया, और उन्हें स्वर्ग का अन्न दिया।
লোকেদের খাদ্যের জন্য তিনি বৃষ্টির মতো মান্না নিয়ে এলেন, তিনি তাদের স্বর্গের শস্য দিলেন।
25 २५ मनुष्यों को स्वर्गदूतों की रोटी मिली; उसने उनको मनमाना भोजन दिया।
মানুষ দূতদের রুটি খেল; তারা যত খেতে পারে সেইমতো তিনি তাদের খাদ্য পাঠালেন।
26 २६ उसने आकाश में पुरवाई को चलाया, और अपनी शक्ति से दक्षिणी बहाई;
তিনি পূবের বাতাস স্বর্গ থেকে পাঠালেন আর তাঁর পরাক্রমে দক্ষিণের বাতাস প্রবাহিত করলেন।
27 २७ और उनके लिये माँस धूलि के समान बहुत बरसाया, और समुद्र के रेत के समान अनगिनत पक्षी भेजे;
তিনি ধুলোর মতো মাংস বৃষ্টি করলেন, আর সমুদ্রতীরে বালির মতো পাখি দিলেন।
28 २८ और उनकी छावनी के बीच में, उनके निवासों के चारों ओर गिराए।
তাদের শিবিরের মধ্যে, আর তাদের তাঁবুর চারপাশে নামিয়ে আনলেন।
29 २९ और वे खाकर अति तृप्त हुए, और उसने उनकी कामना पूरी की।
তারা গলা পর্যন্ত খাবার খেয়ে তৃপ্ত হল— তাদের আকাঙ্ক্ষা তিনি পূর্ণ করলেন।
30 ३० उनकी कामना बनी ही रही, उनका भोजन उनके मुँह ही में था,
কিন্তু তারা আকাঙ্ক্ষিত খাদ্য খেয়ে শেষ করার আগেই, এমনকি যখন খাবার তাদের মুখেই ছিল,
31 ३१ कि परमेश्वर का क्रोध उन पर भड़का, और उसने उनके हष्टपुष्टों को घात किया, और इस्राएल के जवानों को गिरा दिया।
ঈশ্বরের ক্রোধ তাদের বিরুদ্ধে জ্বলে উঠল; তাদের মধ্যে সবচেয়ে শক্তপোক্ত লোকদেরও তিনি হত্যা করলেন, ইস্রায়েলের যুবকদের আঘাত করলেন।
32 ३२ इतने पर भी वे और अधिक पाप करते गए; और परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों पर विश्वास न किया।
এসব কিছু দেখেও, তারা পাপ করতেই থাকল; তাঁর আশ্চর্য কাজ সত্ত্বেও, তারা বিশ্বাস করল না।
33 ३३ तब उसने उनके दिनों को व्यर्थ श्रम में, और उनके वर्षों को घबराहट में कटवाया।
তাই তিনি তাদের আয়ু ব্যর্থতায় আর তাদের বছর আতঙ্কে শেষ করলেন।
34 ३४ जब वह उन्हें घात करने लगता, तब वे उसको पूछते थे; और फिरकर परमेश्वर को यत्न से खोजते थे।
যখনই ঈশ্বর তাদের নাশ করতেন, তারা তাঁর অন্বেষণ করত; তারা অনুতাপ করল আর পুনরায় ঈশ্বরের দিকে ফিরল।
35 ३५ उनको स्मरण होता था कि परमेश्वर हमारी चट्टान है, और परमप्रधान परमेश्वर हमारा छुड़ानेवाला है।
তারা মনে রাখল যে ঈশ্বর তাদের শৈল, যে পরাৎপর ঈশ্বর তাদের মুক্তিদাতা।
36 ३६ तो भी उन्होंने उसकी चापलूसी की; वे उससे झूठ बोले।
কিন্তু তারা তাদের মুখ দিয়ে তাঁকে তোষামোদ করল, তাদের জিভ দিয়ে তাঁর প্রতি মিথ্যা কথা বলল;
37 ३७ क्योंकि उनका हृदय उसकी ओर दृढ़ न था; न वे उसकी वाचा के विषय सच्चे थे।
তাদের হৃদয় তাঁর প্রতি অনুগত ছিল না, তাঁর নিয়মের প্রতি তারা বিশ্বস্ত ছিল না।
38 ३८ परन्तु वह जो दयालु है, वह अधर्म को ढाँपता, और नाश नहीं करता; वह बार बार अपने क्रोध को ठंडा करता है, और अपनी जलजलाहट को पूरी रीति से भड़कने नहीं देता।
তবুও তিনি কৃপাময় ছিলেন; তিনি তাদের অপরাধ ক্ষমা করলেন এবং তাদের ধ্বংস করলেন না। অনেকবার তিনি তাঁর রাগ সংযত করলেন তাঁর সম্পূর্ণ ক্রোধ জাগিয়ে তুললেন না।
39 ३९ उसको स्मरण हुआ कि ये नाशवान हैं, ये वायु के समान हैं जो चली जाती और लौट नहीं आती।
তিনি মনে রাখলেন যে তারা মাংসমাত্র, বায়ুর মতো, যা বয়ে গেলে আর ফিরে আসে না।
40 ४० उन्होंने कितनी ही बार जंगल में उससे बलवा किया, और निर्जल देश में उसको उदास किया!
তারা মরুপ্রান্তরে কতবার তাঁর বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করল আর পতিত জমিতে তাঁকে শোকাহত করল!
41 ४१ वे बार बार परमेश्वर की परीक्षा करते थे, और इस्राएल के पवित्र को खेदित करते थे।
বারবার তারা ঈশ্বরকে পরীক্ষায় ফেলল; তারা ইস্রায়েলের পবিত্রজনকে উত্ত্যক্ত করল।
42 ४२ उन्होंने न तो उसका भुजबल स्मरण किया, न वह दिन जब उसने उनको द्रोही के वश से छुड़ाया था;
তারা তাঁর পরাক্রম মনে রাখল না— যেদিন তিনি তাদের অত্যাচারীদের হাত থেকে মুক্ত করলেন,
43 ४३ कि उसने कैसे अपने चिन्ह मिस्र में, और अपने चमत्कार सोअन के मैदान में किए थे।
যেদিন মিশরে তিনি তাঁর চিহ্নগুলি, সোয়নের অঞ্চলে তাঁর আশ্চর্য কাজগুলি দেখালেন।
44 ४४ उसने तो मिस्रियों की नदियों को लहू बना डाला, और वे अपनी नदियों का जल पी न सके।
তিনি তাদের নদীগুলি রক্তে পরিণত করলেন; তাদের জলস্রোত থেকে তারা পান করতে পারল না।
45 ४५ उसने उनके बीच में डांस भेजे जिन्होंने उन्हें काट खाया, और मेंढ़क भी भेजे, जिन्होंने उनका बिगाड़ किया।
তিনি ঝাঁকে ঝাঁকে মাছি পাঠালেন যা তাদের গ্রাস করল, আর ব্যাঙদের পাঠালেন যা তাদের বিধ্বস্ত করল।
46 ४६ उसने उनकी भूमि की उपज कीड़ों को, और उनकी खेतीबारी टिड्डियों को खिला दी थी।
তিনি তাদের শস্য ফড়িংদের দিলেন, তাদের ফসল পঙ্গপালদের দিলেন।
47 ४७ उसने उनकी दाखलताओं को ओलों से, और उनके गूलर के पेड़ों को ओले बरसाकर नाश किया।
তিনি তাদের দ্রাক্ষালতা শিলা দিয়ে নষ্ট করলেন আর তাদের ডুমুর গাছ শিলাবৃষ্টি দিয়ে ধ্বংস করলেন।
48 ४८ उसने उनके पशुओं को ओलों से, और उनके ढोरों को बिजलियों से मिटा दिया।
তিনি তাদের গবাদি পশুদের শিলার কাছে, আর তাদের গৃহপালিত পশুপালকে বজ্রবিদ্যুতের কাছে সমর্পণ করলেন।
49 ४९ उसने उनके ऊपर अपना प्रचण्ड क्रोध और रोष भड़काया, और उन्हें संकट में डाला, और दुःखदाई दूतों का दल भेजा।
তিনি তাদের বিরুদ্ধে তাঁর প্রচণ্ড রাগ পাঠালেন, তাঁর ক্রোধ, উন্মাদনা এবং শত্রুতা— ধ্বংসকারী দূতের একদল।
50 ५० उसने अपने क्रोध का मार्ग खोला, और उनके प्राणों को मृत्यु से न बचाया, परन्तु उनको मरी के वश में कर दिया।
তিনি তাঁর ক্রোধ তাদের বিরুদ্ধে নিক্ষেপ করলেন; মৃত্যু থেকে তিনি তাদের বাঁচালেন না কিন্তু মহামারির হাতে তুলে দিলেন।
51 ५१ उसने मिस्र के सब पहिलौठों को मारा, जो हाम के डेरों में पौरूष के पहले फल थे;
তিনি মিশরের সব প্রথমজাতকে আঘাত করলেন, হামের তাঁবুতে পুরুষত্বের প্রথম ফলকে।
52 ५२ परन्तु अपनी प्रजा को भेड़-बकरियों के समान प्रस्थान कराया, और जंगल में उनकी अगुआई पशुओं के झुण्ड की सी की।
কিন্তু তিনি মেষপালের মতো তাঁর প্রজাদের বের করে আনলেন; মরুপ্রান্তরে মেষের মতো তিনি তাদের পরিচালনা করলেন।
53 ५३ तब वे उसके चलाने से बेखटके चले और उनको कुछ भय न हुआ, परन्तु उनके शत्रु समुद्र में डूब गए।
তিনি তাদের সুরক্ষিতভাবে পথ দেখালেন, তাই তারা ভীত হল না; কিন্তু সমুদ্র তাদের শত্রুদের ঘিরে ফেলল।
54 ५४ और उसने उनको अपने पवित्र देश की सीमा तक, इसी पहाड़ी देश में पहुँचाया, जो उसने अपने दाहिने हाथ से प्राप्त किया था।
আর তিনি তাঁর নিজের পবিত্র সীমায় নিয়ে এলেন, পাহাড়ের সেই দেশে যেখানে তাঁর ডান হাত তাদের নিয়ে গিয়েছিল।
55 ५५ उसने उनके सामने से अन्यजातियों को भगा दिया; और उनकी भूमि को डोरी से माप-मापकर बाँट दिया; और इस्राएल के गोत्रों को उनके डेरों में बसाया।
তিনি তাদের সামনে সমস্ত জাতিকে তাড়িয়ে দিলেন আর তাদের জমি ইস্রায়েলীদের মধ্যে অধিকারস্বরূপ ভাগ করে দিলেন; ইস্রায়েলের গোষ্ঠীদের তাদের গৃহে বসবাস করতে দিলেন।
56 ५६ तो भी उन्होंने परमप्रधान परमेश्वर की परीक्षा की और उससे बलवा किया, और उसकी चितौनियों को न माना,
কিন্তু তারা ঈশ্বরকে পরীক্ষা করেই চলল আর পরাৎপরের বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করল; তাঁর বিধিবিধান তারা পালন করল না।
57 ५७ और मुड़कर अपने पुरखाओं के समान विश्वासघात किया; उन्होंने निकम्मे धनुष के समान धोखा दिया।
তাদের পূর্বপুরুষদের মতো তারা ছিল বিশ্বাসঘাতক আর বিশ্বাসহীন, ত্রুটিযুক্ত ধনুকের মতো অনির্ভরযোগ্য।
58 ५८ क्योंकि उन्होंने ऊँचे स्थान बनाकर उसको रिस दिलाई, और खुदी हुई मूर्तियों के द्वारा उसमें से जलन उपजाई।
তাদের উঁচু পীঠস্থানগুলি দিয়ে তারা তাঁকে রাগিয়ে তুলল; তাদের প্রতিমা দিয়ে তাঁর ঈর্ষা জাগ্রত করল।
59 ५९ परमेश्वर सुनकर रोष से भर गया, और उसने इस्राएल को बिल्कुल तज दिया।
ঈশ্বর সেসব শুনে অগ্নিশর্মা হলেন; তিনি ইস্রায়েলকে সম্পূর্ণ পরিত্যাগ করলেন।
60 ६० उसने शीलो के निवास, अर्थात् उस तम्बू को जो उसने मनुष्यों के बीच खड़ा किया था, त्याग दिया,
তিনি শীলোতে সমাগম তাঁবু পরিত্যাগ করলেন, সেই তাঁবু যা তিনি মানুষদের মধ্যে স্থাপন করেছিলেন।
61 ६१ और अपनी सामर्थ्य को बँधुवाई में जाने दिया, और अपनी शोभा को द्रोही के वश में कर दिया।
তিনি তাঁর পরাক্রমের সিন্দুক বন্দিদশায় পাঠালেন, তাঁর শত্রুদের হাতে তাঁর প্রভা।
62 ६२ उसने अपनी प्रजा को तलवार से मरवा दिया, और अपने निज भाग के विरुद्ध रोष से भर गया।
তিনি তাঁর প্রজাদের তরোয়ালের কোপে তুলে দিলেন; তিনি তাঁর অধিকারের প্রতি ক্রুদ্ধ হলেন।
63 ६३ उनके जवान आग से भस्म हुए, और उनकी कुमारियों के विवाह के गीत न गाएँ गए।
আগুন তাদের যুবকদের গ্রাস করল, এবং তাদের যুবতীদের বিয়েতে কোনো গান হল না;
64 ६४ उनके याजक तलवार से मारे गए, और उनकी विधवाएँ रोने न पाई।
তাদের যাজকদের তরোয়ালে নাশ করা হোলো আর তাদের বিধবারা কাঁদতে পারল না।
65 ६५ तब प्रभु मानो नींद से चौंक उठा, और ऐसे वीर के समान उठा जो दाखमधु पीकर ललकारता हो।
তারপর সদাপ্রভু, ঘুম থেকে জেগে ওঠার মতো, জেগে উঠলেন, যেমন এক যোদ্ধা সুরার অসাড়তা থেকে জেগে ওঠে।
66 ६६ उसने अपने द्रोहियों को मारकर पीछे हटा दिया; और उनकी सदा की नामधराई कराई।
তিনি তাঁর শত্রুদের প্রহার করলেন; তাদের চিরস্থায়ী লজ্জার পাত্র করলেন।
67 ६७ फिर उसने यूसुफ के तम्बू को तज दिया; और एप्रैम के गोत्र को न चुना;
তারপর তিনি যোষেফের তাঁবুগুলি পরিত্যাগ করলেন, তিনি ইফ্রয়িম গোষ্ঠীকে মনোনীত করলেন না;
68 ६८ परन्तु यहूदा ही के गोत्र को, और अपने प्रिय सिय्योन पर्वत को चुन लिया।
কিন্তু যিহূদার গোষ্ঠীকে মনোনীত করলেন, সিয়োন পর্বত, যা তিনি ভালোবাসতেন।
69 ६९ उसने अपने पवित्रस्थान को बहुत ऊँचा बना दिया, और पृथ्वी के समान स्थिर बनाया, जिसकी नींव उसने सदा के लिये डाली है।
উচ্চ শিখরের মতো তাঁর পবিত্রস্থান তিনি নির্মাণ করলেন, জগতের মতো যা তিনি চিরকালের জন্য স্থাপন করেছেন।
70 ७० फिर उसने अपने दास दाऊद को चुनकर भेड़शालाओं में से ले लिया;
তিনি তাঁর দাস দাউদকে মনোনীত করলেন আর তাকে মেষের খোঁয়াড় থেকে ডেকে নিলেন;
71 ७१ वह उसको बच्चेवाली भेड़ों के पीछे-पीछे फिरने से ले आया कि वह उसकी प्रजा याकूब की अर्थात् उसके निज भाग इस्राएल की चरवाही करे।
মেষের পরিচর্যা থেকে তিনি তাকে নিয়ে এলেন আর যাকোব গোষ্ঠীর লোকেদের এবং আপন অধিকার ইস্রায়েলের উপর তাকে পালক করলেন।
72 ७२ तब उसने खरे मन से उनकी चरवाही की, और अपने हाथ की कुशलता से उनकी अगुआई की।
এবং হৃদয়ের সততায় দাউদ পালকরূপে তাদের যত্ন নিলেন; এবং দক্ষ হাতের সাহায্যে তাদের পরিচালনা করলেন।