< भजन संहिता 6 >
1 १ प्रधान बजानेवाले के लिये: तारवाले बाजों के साथ। खर्ज की राग में, दाऊद का भजन हे यहोवा, तू मुझे अपने क्रोध में न डाँट, और न रोष में मुझे ताड़ना दे।
Auf den Siegesspender, mit Saitenspiel, ein Gesang, ein Lied, von David. Herr! Straf mich nicht in Deinem Zorn! In Deinem Grimme züchtige mich nicht!
2 २ हे यहोवा, मुझ पर दया कर, क्योंकि मैं कुम्हला गया हूँ; हे यहोवा, मुझे चंगा कर, क्योंकि मेरी हड्डियों में बेचैनी है।
Herr! Sei mir gnädig! Ich vergehe, Herr! Verschone mich! Erschüttert ist mein Leib.
3 ३ मेरा प्राण भी बहुत खेदित है। और तू, हे यहोवा, कब तक?
Die Seele ist mir ganz verwirrt. Und Du, Herr, ach wie lange noch?
4 ४ लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर।
Noch einmal rette mir du Leben, Herr! Hilf mir um Deiner Gnade willen!
5 ५ क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होता; अधोलोक में कौन तेरा धन्यवाद करेगा? (Sheol )
Im Tode denkt man Deiner nicht. Wer lobte Dich im Schattenreich? - (Sheol )
6 ६ मैं कराहते-कराहते थक गया; मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है।
Von meinem Seufzen bin ich müde; ich bade jede Nacht mein Bett und netze meine Ruhestatt mit Tränen.
7 ७ मेरी आँखें शोक से बैठी जाती हैं, और मेरे सब सतानेवालों के कारण वे धुँधला गई हैं।
Vor Kummer schlaflos ist mein Auge beim Blick auf alle meine Widersacher.
8 ८ हे सब अनर्थकारियों मेरे पास से दूर हो; क्योंकि यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है।
Weicht, Übeltäter all', von mir! Mein lautes Weinen hört der Herr.
9 ९ यहोवा ने मेरा गिड़गिड़ाना सुना है; यहोवा मेरी प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा।
Mein Flehen hört der Herr; der Herr nimmt meine Bitte an.
10 १० मेरे सब शत्रु लज्जित होंगे और बहुत ही घबराएँगे; वे पराजित होकर पीछे हटेंगे, और एकाएक लज्जित होंगे।
Beschämt, bestürzt sei'n alle meine Feinde! Zurück! In einem Augenblicke seien sie zuschanden!