< भजन संहिता 58 >
1 १ प्रधान बजानेवाले के लिये अल-तशहेत राग में दाऊद का मिक्ताम हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धार्मिकता की बात बोलते हो? और हे मनुष्य वंशियों क्या तुम सिधाई से न्याय करते हो?
TO THE OVERSEER. “DO NOT DESTROY.” A MIKTAM OF DAVID. Is it true, O silent one, that you speak righteously? Do you judge uprightly, O sons of men?
2 २ नहीं, तुम मन ही मन में कुटिल काम करते हो; तुम देश भर में उपद्रव करते जाते हो।
Even in heart you work iniquities, In the land you ponder the violence of your hands.
3 ३ दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं, वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं।
The wicked have been estranged from the womb, They have erred from the belly, speaking lies.
4 ४ उनमें सर्प का सा विष है; वे उस नाग के समान है, जो सुनना नहीं चाहता;
Their poison [is] as poison of a serpent, As a deaf cobra shutting its ear,
5 ५ और सपेरा कितनी ही निपुणता से क्यों न मंत्र पढ़े, तो भी उसकी नहीं सुनता।
Which does not listen to the voice of whisperers, A charmer of most skillful charms.
6 ६ हे परमेश्वर, उनके मुँह में से दाँतों को तोड़ दे; हे यहोवा, उन जवान सिंहों की दाढ़ों को उखाड़ डाल!
O God, break their teeth in their mouth, Break down the jaw-teeth of young lions, O YHWH.
7 ७ वे घुलकर बहते हुए पानी के समान हो जाएँ; जब वे अपने तीर चढ़ाएँ, तब तीर मानो दो टुकड़े हो जाएँ।
They are melted as waters, They go up and down for themselves, His arrow proceeds as they cut themselves off.
8 ८ वे घोंघे के समान हो जाएँ जो घुलकर नाश हो जाता है, और स्त्री के गिरे हुए गर्भ के समान हो जिसने सूरज को देखा ही नहीं।
He goes on as a snail that melts, [As] an untimely birth of a woman, They have not seen the sun.
9 ९ इससे पहले कि तुम्हारी हाँड़ियों में काँटों की आँच लगे, हरे व जले, दोनों को वह बवण्डर से उड़ा ले जाएगा।
Before your pots discern the bramble, As living, He whirls away in His burning anger.
10 १० परमेश्वर का ऐसा पलटा देखकर आनन्दित होगा; वह अपने पाँव दुष्ट के लहू में धोएगा।
The righteous rejoices that he has seen vengeance, He washes his steps in the blood of the wicked.
11 ११ तब मनुष्य कहने लगेंगे, निश्चय धर्मी के लिये फल है; निश्चय परमेश्वर है, जो पृथ्वी पर न्याय करता है।
And man says: “Surely fruit [is] for the righteous: Surely there is a God judging in the earth!”