< भजन संहिता 51 >

1 प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन जब नातान नबी उसके पास इसलिए आया कि वह बतशेबा के पास गया था हे परमेश्वर, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
Dem Musikmeister. Ein Psalm Davids, als der Prophet Nathan zu ihm kam, nachdem er zu Bathseba eingegangen war. Gott, sei mir gnädig nach deiner Huld, tilge meine Vergehungen nach deiner großen Barmherzigkeit!
2 मुझे भली भाँति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
Wasche mich gründlich von meiner Verschuldung und reinige mich von meiner Sünde!
3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूँ, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
Denn ich kenne meine Vergehungen wohl, und meine Sünde ist mir allezeit gegenwärtig.
4 मैंने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
An dir allein habe ich gesündigt und habe gethan, was dir mißfällig ist, damit du Recht behaltest mit deinem Urteil.
5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।
Bin ich ja doch in Verschuldung geboren, und in Sünde hat mich meine Mutter empfangen.
6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
Verlangst du doch Wahrheit im Inneren, so thue mir denn im verborgenen Herzen Weisheit kund!
7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊँगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा।
Entsündige mich mit Ysop, daß ich rein werde; wasche mich, daß ich weißer werde, als Schnee.
8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिससे जो हड्डियाँ तूने तोड़ डाली हैं, वे मगन हो जाएँ।
Laß mich Freude und Wonne vernehmen; frohlocken mögen die Gebeine, die du zerschlagen hast.
9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
Verbirg dein Angesicht vor meinen Sünden und tilge alle meine Verschuldungen.
10 १० हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
Schaffe mir, Gott, ein reines Herz und bringe in mich einen neuen, gewissen Geist.
11 ११ मुझे अपने सामने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझसे अलग न कर।
Verwirf mich nicht von deinem Angesicht und nimm deinen heiligen Geist nicht von mir.
12 १२ अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
Erfreue mich wieder mit deiner Hilfe und stütze mich mit einem Geiste der Willigkeit.
13 १३ जब मैं अपराधी को तेरा मार्ग सिखाऊँगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
Ich will Abtrünnige deine Wege lehren, und die Sünder sollen sich zu dir bekehren.
14 १४ हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरी धार्मिकता का जयजयकार करने पाऊँगा।
Errette mich von Blutvergießen, Gott, du Gott, der mein Heil ist; möge meine Zunge über deine Gerechtigkeit jubeln.
15 १५ हे प्रभु, मेरा मुँह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूँगा।
Herr, öffne mir die Lippen, damit mein Mund deinen Ruhm verkünde!
16 १६ क्योंकि तू बलि से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता।
Denn Schlachtopfer begehrst du nicht - sonst wollte ich sie geben - und an Brandopfern hast du nicht Wohlgefallen.
17 १७ टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।
Die rechten Schlachtopfer für Gott sind ein zerbrochener Geist; ein zerbrochenes und zerschlagenes Herz wirst du, Gott, nicht verschmähen!
18 १८ प्रसन्न होकर सिय्योन की भलाई कर, यरूशलेम की शहरपनाह को तू बना,
Thue wohl an Zion nach deiner Gnade; baue die Mauern Jerusalems!
19 १९ तब तू धार्मिकता के बलिदानों से अर्थात् सर्वांग पशुओं के होमबलि से प्रसन्न होगा; तब लोग तेरी वेदी पर पवित्र बलिदान चढ़ाएँगे।
Dann wirst du Wohlgefallen haben an rechten Opfern, an Brandopfer und Ganzopfer; dann wird man Farren auf deinen Altar bringen.

< भजन संहिता 51 >