< भजन संहिता 46 >
1 १ प्रधान बजानेवाले के लिये कोरहवंशियों का, अलामोत की राग पर एक गीत परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक।
Deus é o nosso refúgio e fortaleza, socorro bem presente na angústia.
2 २ इस कारण हमको कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ;
Pelo que não temeremos, ainda que a terra se mude, e ainda que os montes se transportem para o meio dos mares.
3 ३ चाहे समुद्र गरजें और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला)
Ainda que as águas rujam e se perturbem, ainda que os montes se abalem pela sua braveza (Selah)
4 ४ एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Há um rio cujas correntes alegram a cidade de Deus, o santuário das moradas do altíssimo.
5 ५ परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Deus está no meio dela, não se abalará; Deus a ajudará ao romper da manhã.
6 ६ जाति-जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य-राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
As nações se embraveceram; os reinos se moveram; ele levantou a sua voz e a terra se derreteu.
7 ७ सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला)
O Senhor dos exércitos está conosco: o Deus de Jacob é o nosso refúgio (Selah)
8 ८ आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा-कैसा उजाड़ किया है।
Vinde, contemplai as obras de Senhor; que desolações tem feito na terra!
9 ९ वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Ele faz cessar as guerras até ao fim da terra: quebra o arco e corta a lança; queima os carros no fogo.
10 १० “चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। मैं जातियों में महान हूँ, मैं पृथ्वी भर में महान हूँ!”
Aquietai-vos, e sabei que eu sou Deus; serei exaltado entre as nações; serei exaltado sobre a terra.
11 ११ सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला)
O Senhor dos exércitos está conosco: o Deus de Jacob é o nosso refúgio (Selah)