< भजन संहिता 43 >
1 १ हे परमेश्वर, मेरा न्याय चुका और विधर्मी जाति से मेरा मुकद्दमा लड़; मुझ को छली और कुटिल पुरुष से बचा।
God, declare that I (am innocent/have not done things that are wrong). Defend me when (ungodly people/people who do not worship you) say things against me, rescue me from people who deceive and [say things about me that are] not true.
2 २ क्योंकि तू मेरा सामर्थी परमेश्वर है, तूने क्यों मुझे त्याग दिया है? मैं शत्रु के अत्याचार के मारे शोक का पहरावा पहने हुए क्यों फिरता रहूँ?
You are God, the one who protects me; (why have you abandoned me?/it seems that you have abandoned me!) [RHQ] It does not seem right that [RHQ] I am forced to mourn/cry constantly because my enemies are cruel to me.
3 ३ अपने प्रकाश और अपनी सच्चाई को भेज; वे मेरी अगुआई करें, वे ही मुझ को तेरे पवित्र पर्वत पर और तेरे निवास-स्थान में पहुँचाए!
Shine your light on me and speak your truth to me; and let them guide me, and take me back to Zion, your sacred hill [at Jerusalem], and to [your temple], where you live.
4 ४ तब मैं परमेश्वर की वेदी के पास जाऊँगा, उस परमेश्वर के पास जो मेरे अति आनन्द का कुण्ड है; और हे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, मैं वीणा बजा-बजाकर तेरा धन्यवाद करूँगा।
When you do that, I will go to your altar, to [worship you], my God, who causes me to be extremely joyful. There I will praise you, the God whom I [worship], while I play my harp.
5 ५ हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा रख, क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है; मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।
So (why am I sad and discouraged?/I should not be sad and discouraged!) [RHQ] I confidently expect God [to bless me], and I will praise him again, my God, the one who saves me.