< भजन संहिता 41 >

1 प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा।
Dem Vorsänger. Ein Psalm Davids. Wohl dem, der auf den Dürftigen achthat; ihn wird der HERR erretten zur bösen Zeit;
2 यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर धन्य होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़।
der HERR wird ihn bewahren und am Leben erhalten; es wird ihm auf Erden wohl ergehen, und du wirst ihn nicht in den Willen seiner Feinde geben.
3 जब वह व्याधि के मारे शय्या पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।
Der HERR wird ihn auf seinem Siechbett erquicken; du machst, daß sein Zustand sich wendet, wenn er krank ist.
4 मैंने कहा, “हे यहोवा, मुझ पर दया कर; मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैंने तो तेरे विरुद्ध पाप किया है!”
Ich sprach: HERR, sei mir gnädig, heile meine Seele; denn ich habe an dir gesündigt.
5 मेरे शत्रु यह कहकर मेरी बुराई करते हैं “वह कब मरेगा, और उसका नाम कब मिटेगा?”
Meine Feinde wünschen mir Unglück: Wann wird er sterben, daß sein Name untergeht?
6 और जब वह मुझसे मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जबकि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
Und wenn einer kommt, mich zu besuchen, so redet er Lügen, sein Herz sammelt sich Bosheit; er geht hinaus und spricht davon!
7 मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरुद्ध कानाफूसी करते हैं; वे मेरे विरुद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं।
Alle, die mich hassen, flüstern miteinander über mich; sie haben mir Böses zugedacht:
8 वे कहते हैं कि इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है; अब जो यह पड़ा है, तो फिर कभी उठने का नहीं।
«Ein Belialsspruch haftet ihm an; wer einmal liegt, steht nicht wieder auf!»
9 मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उसने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है।
Auch mein Freund, dem ich vertraute, der mein Brot aß, hat die Ferse wider mich erhoben.
10 १० परन्तु हे यहोवा, तू मुझ पर दया करके मुझ को उठा ले कि मैं उनको बदला दूँ।
Du aber, HERR, sei mir gnädig und richte mich auf, so will ich es ihnen vergelten.
11 ११ मेरा शत्रु जो मुझ पर जयवन्त नहीं हो पाता, इससे मैंने जान लिया है कि तू मुझसे प्रसन्न है।
Daran erkenne ich, daß du Gefallen an mir hast, wenn mein Feind nicht über mich triumphieren darf.
12 १२ और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है।
Mich aber hast du in meiner Unschuld erhalten und lässest mich auf ewig vor deinem Angesicht stehen.
13 १३ इस्राएल का परमेश्वर यहोवा आदि से अनन्तकाल तक धन्य है आमीन, फिर आमीन।
Gelobt sei der HERR, der Gott Israels, von Ewigkeit zu Ewigkeit! Amen, Amen!

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