< भजन संहिता 41 >

1 प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा।
Yahweh is pleased with those people who help to provide for the poor; he will rescue those people when they have troubles.
2 यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर धन्य होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़।
Yahweh protects them and allows them to live [for a long time]. He enables them to be happy in the land [of Israel], and rescues them from their enemies.
3 जब वह व्याधि के मारे शय्या पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।
When they are sick, Yahweh strengthens them, and he heals them.
4 मैंने कहा, “हे यहोवा, मुझ पर दया कर; मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैंने तो तेरे विरुद्ध पाप किया है!”
[When I was sick], I said, “Yahweh, be merciful to me and heal me; [I know that I am sick because] I have sinned against you.”
5 मेरे शत्रु यह कहकर मेरी बुराई करते हैं “वह कब मरेगा, और उसका नाम कब मिटेगा?”
My enemies say cruel things about me; they say, “How soon will he die, and then everyone will forget about him [MTY]? (OR, he will not have [any descendants to continue] his name).”
6 और जब वह मुझसे मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जबकि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
When my enemies come to me, they falsely say that they [are concerned about me]. They listen to bad news about (me/my health). Then they go away and tell everywhere what is happening to me.
7 मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरुद्ध कानाफूसी करते हैं; वे मेरे विरुद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं।
All those who hate me whisper to others about me, and they hope/desire that very bad things will happen to me.
8 वे कहते हैं कि इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है; अब जो यह पड़ा है, तो फिर कभी उठने का नहीं।
They say, “He will soon die because of his being sick; he will never get up from his bed [before he dies].”
9 मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उसने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है।
Even my best friend, whom I trusted very much, who [often] ate with me, has (betrayed me/put me into my enemies’ hands) [IDM].
10 १० परन्तु हे यहोवा, तू मुझ पर दया करके मुझ को उठा ले कि मैं उनको बदला दूँ।
But Yahweh, be merciful to me, and enable me to become healthy [again]. When you do that, I will be able to (pay back my enemies/get revenge on my enemies/cause my enemies to suffer like they caused me to suffer).
11 ११ मेरा शत्रु जो मुझ पर जयवन्त नहीं हो पाता, इससे मैंने जान लिया है कि तू मुझसे प्रसन्न है।
[If you enable me to] do that, with the result that my enemies do not defeat me, I will know that you are pleased with me.
12 १२ और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है।
[I will know that] it is because I have done what is right that you have helped me, and [I will know that] you will let me be with you forever.
13 १३ इस्राएल का परमेश्वर यहोवा आदि से अनन्तकाल तक धन्य है आमीन, फिर आमीन।
Praise Yahweh, the God whom we Israelis [worship]; Praise him forever! Amen! I desire that it will be so!

< भजन संहिता 41 >