< भजन संहिता 38 >
1 १ यादगार के लिये दाऊद का भजन हे यहोवा क्रोध में आकर मुझे झिड़क न दे, और न जलजलाहट में आकर मेरी ताड़ना कर!
Ein Psalm von David zum Gedächtnis. Jehova, strafe mich nicht in deinem Zorn, noch züchtige mich in deinem Grimm!
2 २ क्योंकि तेरे तीर मुझ में लगे हैं, और मैं तेरे हाथ के नीचे दबा हूँ।
Denn deine Pfeile sind in mich eingedrungen, und deine Hand hat sich auf mich herabgesenkt.
3 ३ तेरे क्रोध के कारण मेरे शरीर में कुछ भी आरोग्यता नहीं; और मेरे पाप के कारण मेरी हड्डियों में कुछ भी चैन नहीं।
Nichts Heiles ist an meinem Fleische wegen deines Zürnens, kein Frieden in meinen Gebeinen wegen meiner Sünde.
4 ४ क्योंकि मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ के समान मेरे सहने से बाहर हो गए हैं।
Denn meine Ungerechtigkeiten sind über mein Haupt gegangen, wie eine schwere Last sind sie zu schwer für mich.
5 ५ मेरी मूर्खता के पाप के कारण मेरे घाव सड़ गए और उनसे दुर्गन्ध आती हैं।
Es stinken, es eitern meine Wunden wegen meiner Torheit.
6 ६ मैं बहुत दुःखी हूँ और झुक गया हूँ; दिन भर मैं शोक का पहरावा पहने हुए चलता फिरता हूँ।
Ich bin gekrümmt, über die Maßen gebeugt; den ganzen Tag gehe ich trauernd einher.
7 ७ क्योंकि मेरी कमर में जलन है, और मेरे शरीर में आरोग्यता नहीं।
Denn voll Brand sind meine Lenden, und nichts Heiles ist an meinem Fleische.
8 ८ मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूँ; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूँ।
Ich bin ermattet und über die Maßen zerschlagen, ich heule vor Gestöhn meines Herzens.
9 ९ हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं।
Herr, vor dir ist all mein Begehr, und mein Seufzen ist nicht vor dir verborgen.
10 १० मेरा हृदय धड़कता है, मेरा बल घटता जाता है; और मेरी आँखों की ज्योति भी मुझसे जाती रही।
Mein Herz pocht, verlassen hat mich meine Kraft; und das Licht meiner Augen, auch das ist nicht bei mir.
11 ११ मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए।
Meine Lieben und meine Genossen stehen fernab von meiner Plage, und meine Verwandten stehen von ferne.
12 १२ मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि का यत्न करनेवाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं।
Und die nach meinem Leben trachten, legen mir Schlingen; und die mein Unglück suchen, reden von Schadentun und sinnen auf Trug den ganzen Tag.
13 १३ परन्तु मैं बहरे के समान सुनता ही नहीं, और मैं गूँगे के समान मुँह नहीं खोलता।
Ich aber, wie ein Tauber, höre nicht, und bin wie ein Stummer, der seinen Mund nicht auftut.
14 १४ वरन् मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूँ जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुँह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती।
Und ich bin wie ein Mann, der nicht hört, und in dessen Munde keine Gegenreden sind.
15 १५ परन्तु हे यहोवा, मैंने तुझ ही पर अपनी आशा लगाई है; हे प्रभु, मेरे परमेश्वर, तू ही उत्तर देगा।
Denn auf dich, Jehova, harre ich; du, du wirst antworten, Herr, mein Gott.
16 १६ क्योंकि मैंने कहा, “ऐसा न हो कि वे मुझ पर आनन्द करें; जब मेरा पाँव फिसल जाता है, तब मुझ पर अपनी बड़ाई मारते हैं।”
Denn ich sprach: Daß sie sich nicht über mich freuen! Beim Wanken meines Fußes tun sie groß wider mich.
17 १७ क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूँ; और मेरा शोक निरन्तर मेरे सामने है।
Denn ich bin nahe daran zu hinken, und mein Schmerz ist beständig vor mir.
18 १८ इसलिए कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूँगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूँगा।
Denn ich tue kund meine Ungerechtigkeit; ich bin bekümmert wegen meiner Sünde.
19 १९ परन्तु मेरे शत्रु अनगिनत हैं, और मेरे बैरी बहुत हो गए हैं।
Meine Feinde aber leben, sind stark, und viele sind derer, die ohne Grund mich hassen;
20 २० जो भलाई के बदले में बुराई करते हैं, वह भी मेरे भलाई के पीछे चलने के कारण मुझसे विरोध करते हैं।
und Böses für Gutes vergeltend, feinden sie mich an, weil ich dem Guten nachjage.
21 २१ हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे! हे मेरे परमेश्वर, मुझसे दूर न हो!
Verlaß mich nicht, Jehova; mein Gott, sei nicht fern von mir!
22 २२ हे यहोवा, हे मेरे उद्धारकर्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
Eile zu meiner Hilfe, Herr, meine Rettung!