< भजन संहिता 34 >

1 दाऊद का भजन जब वह अबीमेलेक के सामने बौरहा बना, और अबीमेलेक ने उसे निकाल दिया, और वह चला गया मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
[S. die Anm. zu Ps. 25] N [Von David, als er seinen Verstand vor Abimelech [Abimelech war der Titel der Philisterkönige] verstellte, und dieser ihn wegtrieb, und er fortging.] Jehova will ich preisen allezeit, beständig soll sein Lob in meinem Munde sein.
2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूँगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
In Jehova soll sich rühmen meine Seele; hören werden es die Sanftmütigen und sich freuen.
3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें;
Erhebet [W. Machet groß] Jehova mit mir, und lasset uns miteinander erhöhen seinen Namen!
4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
Ich suchte Jehova, und er antwortete mir; und aus allen meinen Beängstigungen errettete er mich.
5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की, उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुँह कभी काला न होने पाया।
Sie blickten auf ihn und wurden erheitert, und ihre Angesichter wurden nicht beschämt.
6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Dieser Elende rief, und Jehova hörte, und aus allen seinen Bedrängnissen rettete er ihn.
7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है।
Der Engel Jehovas lagert sich um die her, welche ihn fürchten, und er befreit sie.
8 चखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो उसकी शरण लेता है।
Schmecket und sehet, daß Jehova gütig ist! Glückselig der Mann, der auf ihn traut!
9 हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
Fürchtet Jehova, ihr seine Heiligen! denn keinen Mangel haben, die ihn fürchten.
10 १० जवान सिंहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होगी।
Junge Löwen darben und hungern, aber die Jehova suchen, ermangeln keines Guten.
11 ११ हे बच्चों, आओ मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊँगा।
Kommet, ihr Söhne, höret mir zu: Die Furcht Jehovas will ich euch lehren.
12 १२ वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
Wer ist der Mann, der Lust zum Leben hat, der Tage liebt, um Gutes zu sehen?
13 १३ अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुँह की चौकसी कर कि उससे छल की बात न निकले।
Bewahre deine Zunge vor Bösem, und deine Lippen, daß sie nicht Trug reden;
14 १४ बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर।
weiche vom Bösen und tue Gutes; suche Frieden und jage ihm nach!
15 १५ यहोवा की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उनकी दुहाई की ओर लगे रहते हैं।
Die Augen Jehovas sind gerichtet auf die Gerechten, und seine Ohren auf ihr Schreien;
16 १६ यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले।
das Angesicht Jehovas ist wider die, welche Böses tun, um ihr Gedächtnis von der Erde auszurotten.
17 १७ धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
Sie [d. h. die Gerechten] schreien, und Jehova hört, und aus allen ihren Bedrängnissen errettet [O. schrieen hörte errettete] er sie.
18 १८ यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।
Nahe ist Jehova denen, die zerbrochenen Herzens sind, und die zerschlagenen Geistes sind, rettet er.
19 १९ धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सबसे मुक्त करता है।
Viele sind der Widerwärtigkeiten [Eig. Übel] des Gerechten, aber aus allen denselben errettet ihn Jehova;
20 २० वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है; और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता।
Er bewahrt alle seine Gebeine, nicht eines von ihnen wird zerbrochen.
21 २१ दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा; और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे।
Den Gesetzlosen wird das Böse töten; und die den Gerechten hassen, werden büßen. [O. für schuldig gehalten werden]
22 २२ यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; और जितने उसके शरणागत हैं उनमें से कोई भी दोषी न ठहरेगा।
Jehova erlöst die Seele seiner Knechte; und alle, die auf ihn trauen, werden nicht büßen. [O. für schuldig gehalten werden]

< भजन संहिता 34 >