< भजन संहिता 29 >
1 १ दाऊद का भजन हे परमेश्वर के पुत्रों, यहोवा का, हाँ, यहोवा ही का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को सराहो।
Psalmus David, in consummatione tabernaculi. [Afferte Domino, filii Dei, afferte Domino filios arietum.
2 २ यहोवा के नाम की महिमा करो; पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो।
Afferte Domino gloriam et honorem; afferte Domino gloriam nomini ejus; adorate Dominum in atrio sancto ejus.
3 ३ यहोवा की वाणी मेघों के ऊपर सुनाई देती है; प्रतापी परमेश्वर गरजता है, यहोवा घने मेघों के ऊपर रहता है।
Vox Domini super aquas; Deus majestatis intonuit: Dominus super aquas multas.
4 ४ यहोवा की वाणी शक्तिशाली है, यहोवा की वाणी प्रतापमय है।
Vox Domini in virtute; vox Domini in magnificentia.
5 ५ यहोवा की वाणी देवदारों को तोड़ डालती है; यहोवा लबानोन के देवदारों को भी तोड़ डालता है।
Vox Domini confringentis cedros, et confringet Dominus cedros Libani:
6 ६ वह लबानोन को बछड़े के समान और सिर्योन को साँड़ के समान उछालता है।
et comminuet eas, tamquam vitulum Libani, et dilectus quemadmodum filius unicornium.
7 ७ यहोवा की वाणी आग की लपटों को चीरती है।
Vox Domini intercidentis flammam ignis;
8 ८ यहोवा की वाणी वन को हिला देती है, यहोवा कादेश के वन को भी कँपाता है।
vox Domini concutientis desertum: et commovebit Dominus desertum Cades.
9 ९ यहोवा की वाणी से हिरनियों का गर्भपात हो जाता है। और जंगल में पतझड़ होता है; और उसके मन्दिर में सब कोई “महिमा ही महिमा” बोलते रहते है।
Vox Domini præparantis cervos: et revelabit condensa, et in templo ejus omnes dicent gloriam.
10 १० जल-प्रलय के समय यहोवा विराजमान था; और यहोवा सर्वदा के लिये राजा होकर विराजमान रहता है।
Dominus diluvium inhabitare facit, et sedebit Dominus rex in æternum.
11 ११ यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा।
Dominus virtutem populo suo dabit; Dominus benedicet populo suo in pace.]