< भजन संहिता 2 >

1 जाति-जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं, और देश-देश के लोग क्यों षड्‍यंत्र रचते हैं?
psalmus David quare fremuerunt gentes et populi meditati sunt inania adstiterunt reges terrae et principes convenerunt in unum adversus Dominum et adversus christum eius diapsalma
2 यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरुद्ध पृथ्वी के राजागण मिलकर, और हाकिम आपस में षड्‍यंत्र रचकर, कहते हैं,
disrumpamus vincula eorum et proiciamus a nobis iugum ipsorum
3 “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेंके।”
qui habitat in caelis inridebit eos et Dominus subsannabit eos
4 वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगा, प्रभु उनको उपहास में उड़ाएगा।
tunc loquetur ad eos in ira sua et in furore suo conturbabit eos
5 तब वह उनसे क्रोध में बातें करेगा, और क्रोध में यह कहकर उन्हें भयभीत कर देगा,
ego autem constitutus sum rex ab eo super Sion montem sanctum eius praedicans praeceptum eius
6 “मैंने तो अपने चुने हुए राजा को, अपने पवित्र पर्वत सिय्योन की राजगद्दी पर नियुक्त किया है।”
Dominus dixit ad me filius meus es tu ego hodie genui te
7 मैं उस वचन का प्रचार करूँगा: जो यहोवा ने मुझसे कहा, “तू मेरा पुत्र है; आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।
postula a me et dabo tibi gentes hereditatem tuam et possessionem tuam terminos terrae
8 मुझसे माँग, और मैं जाति-जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये, और दूर-दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूँगा।
reges eos in virga ferrea tamquam vas figuli confringes eos
9 तू उन्हें लोहे के डंडे से टुकड़े-टुकड़े करेगा। तू कुम्हार के बर्तन के समान उन्हें चकनाचूर कर डालेगा।”
et nunc reges intellegite erudimini qui iudicatis terram
10 १० इसलिए अब, हे राजाओं, बुद्धिमान बनो; हे पृथ्वी के शासकों, सावधान हो जाओ।
servite Domino in timore et exultate ei in tremore
11 ११ डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और काँपते हुए मगन हो।
adprehendite disciplinam nequando irascatur Dominus et pereatis de via iusta
12 १२ पुत्र को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ, क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। धन्य है वे जो उसमें शरण लेते है।
cum exarserit in brevi ira eius beati omnes qui confidunt in eo

< भजन संहिता 2 >