< भजन संहिता 146 >
1 १ यहोवा की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर!
Lobet Jah! / Lobe Jahwe, o meine Seele!
2 २ मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूँगा; जब तक मैं बना रहूँगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूँगा।
Loben will ich Jahwe, solang ich lebe, / Meinem Gott will ich spielen, solange ich bin.
3 ३ तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उसमें उद्धार करने की शक्ति नहीं।
Vertraut nicht auf Fürsten, / Nicht auf Menschen, da sie nicht helfen können!
4 ४ उसका भी प्राण निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएँ नाश हो जाएँगी।
Fährt ihr Odem aus, so kehren sie wieder zum Staube zurück. / Dann hat es ein Ende mit ihren Plänen.
5 ५ क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का परमेश्वर है, और जिसकी आशा अपने परमेश्वर यहोवा पर है।
Heil dem, der Jakobs Gott zum Helfer hat, / Der auf Jahwe hofft als seinen Gott!
6 ६ वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उनमें जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा।
Er hat ja Himmel und Erde geschaffen, / Das Meer und alles, was weit und breit, / Er hält Treue in Ewigkeit.
7 ७ वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है। यहोवा बन्दियों को छुड़ाता है;
Er schafft den Bedrückten Recht; / Er, Jahwe, gibt den Hungernden Brot, / Befreit die Gefangnen aus ihrer Not.
8 ८ यहोवा अंधों को आँखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है।
Jahwe öffnet die Augen der Blinden, / Gebeugte läßt Jahwe Erquickung finden, / Jahwe hat die Gerechten lieb.
9 ९ यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है; और अनाथों और विधवा को तो सम्भालता है; परन्तु दुष्टों के मार्ग को टेढ़ा-मेढ़ा करता है।
Jahwe gibt den Fremdlingen Schutz, / Witwen und Waisen hilft er auf, / Aber er hemmt der Frevler Lauf.
10 १० हे सिय्योन, यहोवा सदा के लिये, तेरा परमेश्वर पीढ़ी-पीढ़ी राज्य करता रहेगा। यहोवा की स्तुति करो!
Herrschen wird Jahwe in Ewigkeit, / Dein Gott, o Zion, in allen Geschlechtern. / Lobet Jah!