< भजन संहिता 143 >

1 दाऊद का भजन हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! तू जो सच्चा और धर्मी है, इसलिए मेरी सुन ले,
Ein Psalm Davids. / Jahwe, höre mein Gebet, / Vernimm mein Flehn um deiner Treue willen, / Antworte mir um deiner Gerechtigkeit willen!
2 और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता।
Und geh nicht ins Gericht mit deinem Knecht, / Denn kein Lebendiger ist gerecht vor dir!
3 शत्रु तो मेरे प्राण का गाहक हुआ है; उसने मुझे चूर करके मिट्टी में मिलाया है, और मुझे बहुत दिन के मरे हुओं के समान अंधेरे स्थान में डाल दिया है।
Denn der Feind hat mir nach dem Leben getrachtet, / Er hat mein Leben zu Boden geschlagen, / Mich in tiefes Dunkel versetzt wie die auf ewig Toten.
4 मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है।
Nun ist mein Geist verschmachtet in mir, / Mein Herz ist mir in der Brust erstarrt.
5 मुझे प्राचीनकाल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूँ, और तेरे हाथों के कामों को सोचता हूँ।
Ich habe der Tage der Vorzeit gedacht, / Habe nachgesonnen über all dein Tun, / Das Werk deiner Hände erwogen.
6 मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हुए हूँ; सूखी भूमि के समान मैं तेरा प्यासा हूँ। (सेला)
Meine Hände hab ich zu dir gebreitet, / Wie nach Regen lechzendes Land lag meine Seele vor dir. (Sela)
7 हे यहोवा, फुर्ती करके मेरी सुन ले; क्योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं! मुझसे अपना मुँह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ।
Eilends erhöre mich, Jahwe, es schmachtet mein Geist! / Verbirg nicht dein Antlitz vor mir! / Sonst gleich ich ins Grab Gesunknen.
8 प्रातःकाल को अपनी करुणा की बात मुझे सुना, क्योंकि मैंने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग पर मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ।
Laß mich deine Huld schon früh am Morgen erfahren, / Denn ich vertraue auf dich! / Tu mir kund den Weg, den ich gehen soll, / Denn zu dir hab ich meine Seele erhoben!
9 हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले; मैं तेरी ही आड़ में आ छिपा हूँ।
Rette mich, Jahwe, von meinen Feinden! / Bei dir hab ich Zuflucht gesucht.
10 १० मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा कैसे पूरी करूँ, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! तेरी भली आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!
Lehre mich tun, was dir gefällt; / Du bist ja mein Gott: / Dein guter Geist führ mich auf ebner Bahn!
11 ११ हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले!
Um deines Namens willen, Jahwe, erhalt mich am Leben, / In deiner Treue reiß mich aus der Bedrängnis!
12 १२ और करुणा करके मेरे शत्रुओं का सत्यानाश कर, और मेरे सब सतानेवालों का नाश कर डाल, क्योंकि मैं तेरा दास हूँ।
In deiner Huld vertilge du meine Feinde, / Vernichte alle, die meine Seele bedrängen! / Ich bin ja dein Knecht.

< भजन संहिता 143 >