< भजन संहिता 130 >
1 १ यात्रा का गीत हे यहोवा, मैंने गहरे स्थानों में से तुझको पुकारा है!
A Song of Ascents. Out of the depths have I cried unto thee, O LORD.
2 २ हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें!
Lord, hear my voice: let thine ears be attentive to the voice of my supplications.
3 ३ हे यहोवा, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?
If thou, LORD, shouldest mark iniquities, O Lord, who shall stand?
4 ४ परन्तु तू क्षमा करनेवाला है, जिससे तेरा भय माना जाए।
But there is forgiveness with thee, that thou mayest be feared.
5 ५ मैं यहोवा की बाट जोहता हूँ, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूँ, और मेरी आशा उसके वचन पर है;
I wait for the LORD, my soul doth wait, and in his word do I hope.
6 ६ पहरुए जितना भोर को चाहते हैं, हाँ, पहरुए जितना भोर को चाहते हैं, उससे भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूँ।
My soul [looketh] for the Lord, more than watchmen [look] for the morning; [yea, more than] watchmen for the morning.
7 ७ इस्राएल, यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करुणा करनेवाला और पूरा छुटकारा देनेवाला है।
O Israel, hope in the LORD; for with the LORD there is mercy, and with him is plenteous redemption.
8 ८ इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा।
And he shall redeem Israel from all his iniquities.