< भजन संहिता 128 >
1 १ यात्रा का गीत क्या ही धन्य है हर एक जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है!
[Ein Stufenlied.] Glückselig ein jeder, der Jehova fürchtet, der da wandelt in seinen Wegen!
2 २ तू अपनी कमाई को निश्चय खाने पाएगा; तू धन्य होगा, और तेरा भला ही होगा।
Denn essen wirst du die Arbeit deiner Hände; glückselig wirst du sein, und es wird dir wohlgehen.
3 ३ तेरे घर के भीतर तेरी स्त्री फलवन्त दाखलता सी होगी; तेरी मेज के चारों ओर तेरे बच्चे जैतून के पौधे के समान होंगे।
Dein Weib wird gleich einem fruchtbaren Weinstock sein im Innern deines Hauses, deine Söhne gleich Ölbaumsprossen rings um deinen Tisch.
4 ४ सुन, जो पुरुष यहोवा का भय मानता हो, वह ऐसी ही आशीष पाएगा।
Siehe, also wird gesegnet sein der Mann, der Jehova fürchtet.
5 ५ यहोवा तुझे सिय्योन से आशीष देवे, और तू जीवन भर यरूशलेम का कुशल देखता रहे!
Segnen wird dich Jehova von Zion aus, und du wirst das Wohl Jerusalems schauen [O. Es segne dich, und mögest du schauen] alle Tage deines Lebens,
6 ६ वरन् तू अपने नाती-पोतों को भी देखने पाए! इस्राएल को शान्ति मिले!
Und sehen deiner Kinder Kinder. -Wohlfahrt über Israel!