< भजन संहिता 120 >

1 यात्रा का गीत संकट के समय मैंने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली।
Ein Wallfahrtslied. Ich rief zum HERRN in meiner Not:
2 हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुँह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर।
O HERR, errette mich von der Lügenlippe, von der trügerischen Zunge!
3 हे छली जीभ, तुझको क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए?
Was wird Er dir jetzt und in Zukunft bescheren, du trügerische Zunge?
4 वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे!
Geschärfte Kriegerpfeile samt Kohlen vom Ginsterstrauch!
5 हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है!
Wehe mir, daß ich als Fremdling in Mesech weile, daß ich wohne bei den Zelten von Kedar!
6 बहुत समय से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।
Lange genug schon weile ich hier bei Leuten, die den Frieden hassen.
7 मैं तो मेल चाहता हूँ; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं!
Ich bin ganz friedlich gestimmt, doch was ich auch rede: sie gehen auf Krieg aus.

< भजन संहिता 120 >