< भजन संहिता 114 >

1 जब इस्राएल ने मिस्र से, अर्थात् याकूब के घराने ने अन्य भाषावालों के मध्य से कूच किया,
Gdy wychodził Izrael z Egiptu i dom Jakóbowy z narodu obcego,
2 तब यहूदा यहोवा का पवित्रस्थान और इस्राएल उसके राज्य के लोग हो गए।
Stał się Juda poświęceniem jego, Izrael panowaniem jego.
3 समुद्र देखकर भागा, यरदन नदी उलटी बही।
To widząc morze, uciekło a Jordan wrócił się nazad.
4 पहाड़ मेढ़ों के समान उछलने लगे, और पहाड़ियाँ भेड़-बकरियों के बच्चों के समान उछलने लगीं।
Góry skakały jako barany, pogórki jako jagnięta.
5 हे समुद्र, तुझे क्या हुआ, कि तू भागा? और हे यरदन तुझे क्या हुआ कि तू उलटी बही?
Morze! cóż ci się stało, iżeś uciekło? O Jordanie! żeś się nazad wrócił?
6 हे पहाड़ों, तुम्हें क्या हुआ, कि तुम भेड़ों के समान, और हे पहाड़ियों तुम्हें क्या हुआ, कि तुम भेड़-बकरियों के बच्चों के समान उछलीं?
Góry! żeście skakały jako barany? pagórki! jako jagnięta?
7 हे पृथ्वी प्रभु के सामने, हाँ, याकूब के परमेश्वर के सामने थरथरा।
Przed obliczem Pańskiem zadrżała ziemia, przed obliczem Boga Jakóbowego.
8 वह चट्टान को जल का ताल, चकमक के पत्थर को जल का सोता बना डालता है।
Który obraca opokę w jezioro wód, a krzemień w źródło wód.

< भजन संहिता 114 >