< भजन संहिता 113 >
1 १ यहोवा की स्तुति करो! हे यहोवा के दासों, स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो!
Aleluia! Louvai, vós servos do SENHOR, louvai o nome do SENHOR.
2 २ यहोवा का नाम अब से लेकर सर्वदा तक धन्य कहा जाएँ!
Seja o nome do SENHOR bendito, desde agora para todo o sempre.
3 ३ उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक, यहोवा का नाम स्तुति के योग्य है।
Desde o nascer do sol até o poente, seja louvado o nome do SENHOR.
4 ४ यहोवा सारी जातियों के ऊपर महान है, और उसकी महिमा आकाश से भी ऊँची है।
O SENHOR está elevado acima de todas as nações; [e] sua glória acima dos céus.
5 ५ हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है? वह तो ऊँचे पर विराजमान है,
Quem é como o SENHOR nosso Deus? Ele que habita nas alturas,
6 ६ और आकाश और पृथ्वी पर, दृष्टि करने के लिये झुकता है।
Que se abaixa para ver [o que há] nos céus e na terra;
7 ७ वह कंगाल को मिट्टी पर से, और दरिद्र को घूरे पर से उठाकर ऊँचा करता है,
Que do levanta o pobre do pó da terra, e levanta o necessitado da sujeira;
8 ८ कि उसको प्रधानों के संग, अर्थात् अपनी प्रजा के प्रधानों के संग बैठाए।
Para fazê-lo sentar com os príncipes, com os príncipes de seu povo;
9 ९ वह बाँझ को घर में बाल-बच्चों की आनन्द करनेवाली माता बनाता है। यहोवा की स्तुति करो!
Que faz a estéril habitar em família, como alegre mãe de filhos. Aleluia!