< भजन संहिता 112 >
1 १ यहोवा की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह पुरुष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है!
Beato l'uomo che teme il Signore e trova grande gioia nei suoi comandamenti. Alleluia.
2 २ उसका वंश पृथ्वी पर पराक्रमी होगा; सीधे लोगों की सन्तान आशीष पाएगी।
Potente sulla terra sarà la sua stirpe, la discendenza dei giusti sarà benedetta.
3 ३ उसके घर में धन-सम्पत्ति रहती है; और उसका धर्म सदा बना रहेगा।
Onore e ricchezza nella sua casa, la sua giustizia rimane per sempre.
4 ४ सीधे लोगों के लिये अंधकार के बीच में ज्योति उदय होती है; वह अनुग्रहकारी, दयावन्त और धर्मी होता है।
Spunta nelle tenebre come luce per i giusti, buono, misericordioso e giusto.
5 ५ जो व्यक्ति अनुग्रह करता और उधार देता है, और ईमानदारी के साथ अपने काम करता है, उसका कल्याण होता है।
Felice l'uomo pietoso che dà in prestito, amministra i suoi beni con giustizia.
6 ६ वह तो सदा तक अटल रहेगा; धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा।
Egli non vacillerà in eterno: Il giusto sarà sempre ricordato.
7 ७ वह बुरे समाचार से नहीं डरता; उसका हृदय यहोवा पर भरोसा रखने से स्थिर रहता है।
Non temerà annunzio di sventura, saldo è il suo cuore, confida nel Signore.
8 ८ उसका हृदय सम्भला हुआ है, इसलिए वह न डरेगा, वरन् अपने शत्रुओं पर दृष्टि करके सन्तुष्ट होगा।
Sicuro è il suo cuore, non teme, finché trionferà dei suoi nemici.
9 ९ उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा; और उसका सींग आदर के साथ ऊँचा किया जाएगा।
Egli dona largamente ai poveri, la sua giustizia rimane per sempre, la sua potenza s'innalza nella gloria.
10 १० दुष्ट इसे देखकर कुढ़ेगा; वह दाँत पीस-पीसकर गल जाएगा; दुष्टों की लालसा पूरी न होगी।
L'empio vede e si adira, digrigna i denti e si consuma. Ma il desiderio degli empi fallisce.