< भजन संहिता 112 >

1 यहोवा की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह पुरुष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है!
Hallelujah! Wohl dem, der den HERRN fürchtet, der große Lust hat an seinen Geboten!
2 उसका वंश पृथ्वी पर पराक्रमी होगा; सीधे लोगों की सन्तान आशीष पाएगी।
Des Same wird gewaltig sein auf Erden; das Geschlecht der Redlichen wird gesegnet sein.
3 उसके घर में धन-सम्पत्ति रहती है; और उसका धर्म सदा बना रहेगा।
Reichtum und Fülle ist in seinem Hause, und seine Gerechtigkeit besteht ewiglich.
4 सीधे लोगों के लिये अंधकार के बीच में ज्योति उदय होती है; वह अनुग्रहकारी, दयावन्त और धर्मी होता है।
Den Redlichen geht ein Licht auf in der Finsternis, gnädig, barmherzig und gerecht.
5 जो व्यक्ति अनुग्रह करता और उधार देता है, और ईमानदारी के साथ अपने काम करता है, उसका कल्याण होता है।
Wohl dem Manne, der barmherzig ist und leiht; er wird sein Recht behaupten im Gericht;
6 वह तो सदा तक अटल रहेगा; धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा।
denn er wird ewiglich nicht wanken; des Gerechten wird ewiglich gedacht.
7 वह बुरे समाचार से नहीं डरता; उसका हृदय यहोवा पर भरोसा रखने से स्थिर रहता है।
Vor bösem Gerücht fürchtet er sich nicht; sein Herz vertraut fest auf den HERRN.
8 उसका हृदय सम्भला हुआ है, इसलिए वह न डरेगा, वरन् अपने शत्रुओं पर दृष्टि करके सन्तुष्ट होगा।
Sein Herz ist getrost, er fürchtet sich nicht, bis er seine Lust an seinen Feinden sieht.
9 उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा; और उसका सींग आदर के साथ ऊँचा किया जाएगा।
Er hat ausgestreut, er hat den Armen gegeben; seine Gerechtigkeit besteht ewiglich, sein Horn wird emporragen in Ehren.
10 १० दुष्ट इसे देखकर कुढ़ेगा; वह दाँत पीस-पीसकर गल जाएगा; दुष्टों की लालसा पूरी न होगी।
Der Gottlose wird es sehen und sich ärgern; er wird mit den Zähnen knirschen und vergehen; der Gottlosen Wunsch bleibt unerfüllt.

< भजन संहिता 112 >