< भजन संहिता 11 >
1 १ प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन मैं यहोवा में शरण लेता हूँ; तुम क्यों मेरे प्राण से कहते हो “पक्षी के समान अपने पहाड़ पर उड़ जा”;
Pour la fin, psaume de David. Je me confie dans le Seigneur: comment dites-vous à mon âme: Émigré sur la montagne comme un passereau?
2 २ क्योंकि देखो, दुष्ट अपना धनुष चढ़ाते हैं, और अपने तीर धनुष की डोरी पर रखते हैं, कि सीधे मनवालों पर अंधियारे में तीर चलाएँ।
Parce que voilà que les pécheurs ont tendu un arc; ils ont préparé leurs flèches dans un carquois, pour percer dans les ténèbres les hommes droits de cœur.
3 ३ यदि नींवें ढा दी जाएँ तो धर्मी क्या कर सकता है?
Parce que, ce que vous avez établi, ils l’ont détruit; mais le juste, qu’a-t-il fait?
4 ४ यहोवा अपने पवित्र भवन में है; यहोवा का सिंहासन स्वर्ग में है; उसकी आँखें मनुष्य की सन्तान को नित देखती रहती हैं और उसकी पलकें उनको जाँचती हैं।
Le Seigneur est dans son saint temple; le Seigneur, son trône est dans le ciel. Ses yeux observent le pauvre: ses paupières interrogent les enfants des hommes.
5 ५ यहोवा धर्मी और दुष्ट दोनों को परखता है, परन्तु जो उपद्रव से प्रीति रखते हैं उनसे वह घृणा करता है।
Le Seigneur interroge le juste et l’impie; mais celui qui aime l’iniquité hait son âme.
6 ६ वह दुष्टों पर आग और गन्धक बरसाएगा; और प्रचण्ड लूह उनके कटोरों में बाँट दी जाएँगी।
Il fera pleuvoir sur les pécheurs des pièges; le feu, le soufre et le vent des tempêtes sont la part de leur calice.
7 ७ क्योंकि यहोवा धर्मी है, वह धार्मिकता के ही कामों से प्रसन्न रहता है; धर्मी जन उसका दर्शन पाएँगे।
Car le Seigneur est juste et il aime la justice: son visage a vu l’équité.