< भजन संहिता 102 >
1 १ दीन जन की उस समय की प्रार्थना जब वह दुःख का मारा अपने शोक की बातें यहोवा के सामने खोलकर कहता हो हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; मेरी दुहाई तुझ तक पहुँचे!
Senhor, ouve a minha oração, e chegue a ti o meu clamor.
2 २ मेरे संकट के दिन अपना मुख मुझसे न छिपा ले; अपना कान मेरी ओर लगा; जिस समय मैं पुकारूँ, उसी समय फुर्ती से मेरी सुन ले!
Não escondas de mim o teu rosto no dia da minha angustia, inclina para mim os teus ouvidos; no dia em que eu clamar, ouve-me depressa.
3 ३ क्योंकि मेरे दिन धुएँ के समान उड़े जाते हैं, और मेरी हड्डियाँ आग के समान जल गई हैं।
Porque os meus dias se consomem como o fumo, e os meus ossos ardem como um lar.
4 ४ मेरा मन झुलसी हुई घास के समान सूख गया है; और मैं अपनी रोटी खाना भूल जाता हूँ।
O meu coração está ferido e secco como a herva, pelo que me esqueço de comer o meu pão
5 ५ कराहते-कराहते मेरी चमड़ी हड्डियों में सट गई है।
Por causa da voz do meu gemido os meus ossos se apegam á minha pelle.
6 ६ मैं जंगल के धनेश के समान हो गया हूँ, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूँ।
Sou similhante ao pelicano no deserto: sou como um mocho nas solidões.
7 ७ मैं पड़ा-पड़ा जागता रहता हूँ और गौरे के समान हो गया हूँ जो छत के ऊपर अकेला बैठता है।
Vigio, sou como o pardal solitario no telhado.
8 ८ मेरे शत्रु लगातार मेरी नामधराई करते हैं, जो मेरे विरुद्ध ठट्ठा करते है, वह मेरे नाम से श्राप देते हैं।
Os meus inimigos me affrontam todo o dia: os que se enfurecem contra mim teem jurado.
9 ९ क्योंकि मैंने रोटी के समान राख खाई और आँसू मिलाकर पानी पीता हूँ।
Pois tenho comido cinza como pão, e misturado com lagrimas a minha bebida.
10 १० यह तेरे क्रोध और कोप के कारण हुआ है, क्योंकि तूने मुझे उठाया, और फिर फेंक दिया है।
Por causa da tua ira e da tua indignação, pois tu me levantaste e me arremeçaste.
11 ११ मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं आप घास के समान सूख चला हूँ।
Os meus dias são como a sombra que declina, e como a herva me vou seccando.
12 १२ परन्तु हे यहोवा, तू सदैव विराजमान रहेगा; और जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
Mas tu, Senhor, permanecerás para sempre, e a tua memoria de geração em geração.
13 १३ तू उठकर सिय्योन पर दया करेगा; क्योंकि उस पर दया करने का ठहराया हुआ समय आ पहुँचा है।
Tu te levantarás e terás piedade de Sião; pois o tempo de te compadeceres d'ella, o tempo determinado, já chegou.
14 १४ क्योंकि तेरे दास उसके पत्थरों को चाहते हैं, और उसके खंडहरों की धूल पर तरस खाते हैं।
Porque os teus servos teem prazer nas suas pedras, e se compadecem do seu pó.
15 १५ इसलिए जाति-जाति यहोवा के नाम का भय मानेंगी, और पृथ्वी के सब राजा तेरे प्रताप से डरेंगे।
Então as nações temerão o nome do Senhor, e todos os reis da terra a tua gloria.
16 १६ क्योंकि यहोवा ने सिय्योन को फिर बसाया है, और वह अपनी महिमा के साथ दिखाई देता है;
Quando o Senhor edificar a Sião, apparecerá na sua gloria.
17 १७ वह लाचार की प्रार्थना की ओर मुँह करता है, और उनकी प्रार्थना को तुच्छ नहीं जानता।
Elle attenderá á oração do desamparado, e não desprezará a sua oração.
18 १८ यह बात आनेवाली पीढ़ी के लिये लिखी जाएगी, ताकि एक जाति जो उत्पन्न होगी, वह यहोवा की स्तुति करे।
Isto se escreverá para a geração futura; e o povo que se crear louvará ao Senhor.
19 १९ क्योंकि यहोवा ने अपने ऊँचे और पवित्रस्थान से दृष्टि की; स्वर्ग से पृथ्वी की ओर देखा है,
Pois olhou desde o alto do seu sanctuario, desde os céus o Senhor contemplou a terra.
20 २० ताकि बन्दियों का कराहना सुने, और घात होनेवालों के बन्धन खोले;
Para ouvir o gemido dos presos, para soltar os sentenciados á morte;
21 २१ तब लोग सिय्योन में यहोवा के नाम का वर्णन करेंगे, और यरूशलेम में उसकी स्तुति की जाएगी;
Para annunciarem o nome do Senhor em Sião, e o seu louvor em Jerusalem;
22 २२ यह उस समय होगा जब देश-देश, और राज्य-राज्य के लोग यहोवा की उपासना करने को इकट्ठे होंगे।
Quando os povos se ajuntarem, e os reinos, para servirem ao Senhor.
23 २३ उसने मुझे जीवन यात्रा में दुःख देकर, मेरे बल और आयु को घटाया।
Abateu a minha força no caminho; abreviou os meus dias.
24 २४ मैंने कहा, “हे मेरे परमेश्वर, मुझे आधी आयु में न उठा ले, तेरे वर्ष पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे!”
Dizia eu: Meu Deus, não me leves no meio dos meus dias, os teus annos são por todas as gerações.
25 २५ आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ है।
Desde a antiguidade fundaste a terra: e os céus são obra das tuas mãos.
26 २६ वह तो नाश होगा, परन्तु तू बना रहेगा; और वह सब कपड़े के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको वस्त्र के समान बदलेगा, और वह मिट जाएगा;
Elles perecerão, mas tu permanecerás: todos elles se envelhecerão como um vestido; como roupa os mudarás, e ficarão mudados.
27 २७ परन्तु तू वहीं है, और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।
Porém tu és o mesmo, e os teus annos nunca terão fim.
28 २८ तेरे दासों की सन्तान बनी रहेगी; और उनका वंश तेरे सामने स्थिर रहेगा।
Os filhos dos teus servos continuarão, e a sua semente ficará firmada perante ti.