< भजन संहिता 1 >

1 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!
Nhyira ne onipa a ontie amumɔyɛfo afotu na onni nnebɔneyɛfo nhwɛso akyi na ɔntena fɛwdifo tenabea.
2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है।
Na mmom, Awurade mmara sɔ nʼani, na osusuw ho awia ne anadwo.
3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।
Ɔte sɛ dua a wɔatɛw wɔ asuten ho, na ɛsow nʼaba ne bere mu a nʼahaban no nguan da. Nea ɔyɛ biara yɛ yiye.
4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।
Nanso nnebɔneyɛfo nte saa; wɔte sɛ ntɛtɛ a mframa bɔ gu.
5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;
Enti amumɔyɛfo rentumi nnyina atemmu no ano, na nnebɔneyɛfo nso rentena atreneefo asafo mu.
6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।
Efisɛ Awurade kyerɛ ɔtreneeni kwan nanso amumɔyɛfo kwan de, ɛbɛyera.

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