< नीतिवचन 3 >

1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;
ای پسر من، تعلیم مرا فراموش مکن و دل تو اوامر مرا نگاه دارد،۱
2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।
زیرا که طول ایام وسالهای حیات و سلامتی را برای تو خواهدافزود.۲
3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएँ; वरन् उनको अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदयरूपी पटिया पर लिखना।
زنهار که رحمت و راستی تو را ترک نکند. آنها را بر گردن خود ببند و بر لوح دل خودمرقوم دار.۳
4 तब तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति प्रतिष्ठित होगा।
آنگاه نعمت و رضامندی نیکو، درنظر خدا و انسان خواهی یافت.۴
5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।
به تمامی دل خود بر خداوند توکل نما و بر عقل خود تکیه مکن.۵
6 उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।
در همه راههای خود او را بشناس، و اوطریقهایت را راست خواهد گردانید.۶
7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।
خویشتن را حکیم مپندار، از خداوند بترس و از بدی اجتناب نما.۷
8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियाँ पुष्ट रहेंगी।
این برای ناف تو شفا، وبرای استخوانهایت مغز خواهد بود.۸
9 अपनी सम्पत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की सारी पहली उपज देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना;
از مایملک خود خداوند را تکریم نما و از نوبرهای همه محصول خویش.۹
10 १० इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रसकुण्डों से नया दाखमधु उमड़ता रहेगा।
آنگاه انبارهای تو به وفورنعمت پر خواهد شد، و چرخشتهای تو از شیره انگور لبریز خواهد گشت.۱۰
11 ११ हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुँह न मोड़ना, और जब वह तुझे डाँटे, तब तू बुरा न मानना,
‌ای پسر من، تادیب خداوند را خوار مشمار، و توبیخ او را مکروه مدار.۱۱
12 १२ जैसे पिता अपने प्रिय पुत्र को डाँटता है, वैसे ही यहोवा जिससे प्रेम रखता है उसको डाँटता है।
زیرا خداوند هر‌که را دوست داردتادیب می‌نماید، مثل پدر پسر خویش را که از اومسرور می‌باشد.۱۲
13 १३ क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
خوشابحال کسی‌که حکمت را پیدا کند، و شخصی که فطانت را تحصیل نماید.۱۳
14 १४ जो उपलब्धि बुद्धि से प्राप्त होती है, वह चाँदी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ शुद्ध सोने के लाभ से भी उत्तम है।
زیرا که تجارت آن از تجارت نقره ومحصولش از طلای خالص نیکوتر است.۱۴
15 १५ वह बहुमूल्य रत्नों से अधिक मूल्यवान है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उनमें से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
ازلعلها گرانبهاتر است و جمیع نفایس تو با آن برابری نتواند کرد.۱۵
16 १६ उसके दाहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएँ हाथ में धन और महिमा हैं।
به‌دست راست وی طول ایام است، و به‌دست چپش دولت و جلال.۱۶
17 १७ उसके मार्ग आनन्ददायक हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
طریقهای وی طریقهای شادمانی است و همه راههای وی سلامتی می‌باشد.۱۷
18 १८ जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उसको पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं।
به جهت آنانی که او را به‌دست گیرند، درخت حیات‌است وکسی‌که به او متمسک می‌باشد خجسته است.۱۸
19 १९ यहोवा ने पृथ्वी की नींव बुद्धि ही से डाली; और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।
خداوند به حکمت خود زمین را بنیاد نهاد، و به عقل خویش آسمان را استوار نمود.۱۹
20 २० उसी के ज्ञान के द्वारा गहरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है।
به علم او لجه‌ها منشق گردید، و افلاک شبنم رامی چکانید.۲۰
21 २१ हे मेरे पुत्र, ये बातें तेरी दृष्टि की ओट न होने पाए; तू खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर,
‌ای پسر من، این چیزها از نظر تودور نشود. حکمت کامل و تمیز را نگاه دار.۲۱
22 २२ तब इनसे तुझे जीवन मिलेगा, और ये तेरे गले का हार बनेंगे।
پس برای جان تو حیات، و برای گردنت زینت خواهد بود.۲۲
23 २३ तब तू अपने मार्ग पर निडर चलेगा, और तेरे पाँव में ठेस न लगेगी।
آنگاه در راه خود به امنیت سالک خواهی شد، و پایت نخواهد لغزید.۲۳
24 २४ जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख की नींद आएगी।
هنگامی که بخوابی، نخواهی ترسید و چون دراز شوی خوابت شیرین خواهد شد.۲۴
25 २५ अचानक आनेवाले भय से न डरना, और जब दुष्टों पर विपत्ति आ पड़े, तब न घबराना;
از خوف ناگهان نخواهی ترسید، و نه از خرابی شریران چون واقع شود.۲۵
26 २६ क्योंकि यहोवा तुझे सहारा दिया करेगा, और तेरे पाँव को फंदे में फँसने न देगा।
زیرا خداوند اعتماد تو خواهد بود و پای تو را از دام حفظ خواهد نمود.۲۶
27 २७ जो भलाई के योग्य है उनका भला अवश्य करना, यदि ऐसा करना तेरी शक्ति में है।
احسان را ازاهلش باز مدار، هنگامی که بجا آوردنش در قوت دست توست.۲۷
28 २८ यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूँगा।
به همسایه خود مگو برو وبازگرد، و فردا به تو خواهم داد، با آنکه نزد توحاضر است.۲۸
29 २९ जब तेरा पड़ोसी तेरे पास निश्चिन्त रहता है, तब उसके विरुद्ध बुरी युक्ति न बाँधना।
بر همسایه ات قصد بدی مکن، هنگامی که او نزد تو در امنیت ساکن است.۲۹
30 ३० जिस मनुष्य ने तुझ से बुरा व्यवहार न किया हो, उससे अकारण मुकद्दमा खड़ा न करना।
باکسی‌که به تو بدی نکرده است، بی‌سبب مخاصمه منما.۳۰
31 ३१ उपद्रवी पुरुष के विषय में डाह न करना, न उसकी सी चाल चलना;
بر مرد ظالم حسد مبر وهیچکدام از راههایش را اختیار مکن.۳۱
32 ३२ क्योंकि यहोवा कुटिल मनुष्य से घृणा करता है, परन्तु वह अपना भेद सीधे लोगों पर प्रगट करता है।
زیراکج خلقان نزد خداوند مکروهند، لیکن سر او نزدراستان است،۳۲
33 ३३ दुष्ट के घर पर यहोवा का श्राप और धर्मियों के वासस्थान पर उसकी आशीष होती है।
لعنت خداوند بر خانه شریران است. اما مسکن عادلان را برکت می‌دهد.۳۳
34 ३४ ठट्ठा करनेवालों का वह निश्चय ठट्ठा करता है; परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।
یقین که مستهزئین را استهزا می‌نماید، اما متواضعان رافیض می‌بخشد.۳۴
35 ३५ बुद्धिमान महिमा को पाएँगे, परन्तु मूर्खों की बढ़ती अपमान ही की होगी।
حکیمان وارث جلال خواهند شد، اما احمقان خجالت را خواهند برد.۳۵

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