< नीतिवचन 16 >
1 १ मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुँह से कहना यहोवा की ओर से होता है।
L’Homme est maître des résolutions de son cœur; mais c’est l’Eternel qui prononce sur elles.
2 २ मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में पवित्र ठहरता है, परन्तु यहोवा मन को तौलता है।
Toutes les voies de l’homme sont pures à ses yeux, mais l’Eternel sonde les esprits.
3 ३ अपने कामों को यहोवा पर डाल दे, इससे तेरी कल्पनाएँ सिद्ध होंगी।
Remets le succès de tes œuvres à l’Eternel, et tes projets s’en trouveront affermis.
4 ४ यहोवा ने सब वस्तुएँ विशेष उद्देश्य के लिये बनाई हैं, वरन् दुष्ट को भी विपत्ति भोगने के लिये बनाया है।
L’Eternel a tout fait pour un but prédestiné, même le méchant pour le jour du malheur.
5 ५ सब मन के घमण्डियों से यहोवा घृणा करता है; मैं दृढ़ता से कहता हूँ, ऐसे लोग निर्दोष न ठहरेंगे।
Tout cœur hautain est en horreur à l’Eternel: haut la main! il ne restera pas indemne.
6 ६ अधर्म का प्रायश्चित कृपा, और सच्चाई से होता है, और यहोवा के भय मानने के द्वारा मनुष्य बुराई करने से बच जाते हैं।
La bonté et la bienveillance effacent la faute; la crainte de l’Eternel fait éviter le mal.
7 ७ जब किसी का चाल चलन यहोवा को भावता है, तब वह उसके शत्रुओं का भी उससे मेल कराता है।
Dieu agrée-t-il les voies d’un homme, il lui concilie même la faveur de ses ennemis.
8 ८ अन्याय के बड़े लाभ से, न्याय से थोड़ा ही प्राप्त करना उत्तम है।
Mieux vaut une honnête médiocrité qu’un grand revenu, acquis par l’improbité.
9 ९ मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है।
Le cœur de l’homme choisit sa voie; mais l’Eternel dirige ses pas.
10 १० राजा के मुँह से दैवीवाणी निकलती है, न्याय करने में उससे चूक नहीं होती।
Ce sont des oracles qui émanent des lèvres du roi: quand il rend la justice, sa bouche ne faillit pas.
11 ११ सच्चा तराजू और पलड़े यहोवा की ओर से होते हैं, थैली में जितने बटखरे हैं, सब उसी के बनवाए हुए हैं।
Les plateaux, les balances exactes sont choses de Dieu, il est l’auteur de tous les justes poids.
12 १२ दुष्टता करना राजाओं के लिये घृणित काम है, क्योंकि उनकी गद्दी धर्म ही से स्थिर रहती है।
Faire le mal est chose odieuse aux rois; car les trônes s’affermissent par la justice.
13 १३ धर्म की बात बोलनेवालों से राजा प्रसन्न होता है, और जो सीधी बातें बोलता है, उससे वह प्रेम रखता है।
Des lèvres loyales font plaisir aux rois; ils aiment qui parle avec droiture.
14 १४ राजा का क्रोध मृत्यु के दूत के समान है, परन्तु बुद्धिमान मनुष्य उसको ठंडा करता है।
Le courroux du roi est un messager de mort, un homme sage sait l’apaiser.
15 १५ राजा के मुख की चमक में जीवन रहता है, और उसकी प्रसन्नता बरसात के अन्त की घटा के समान होती है।
Que le visage du roi s’éclaire, c’est un gage de vie; sa faveur est comme une nuée chargée de pluie printanière.
16 १६ बुद्धि की प्राप्ति शुद्ध सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चाँदी से बढ़कर योग्य है।
Acquérir la sagesse, combien cela est plus précieux que l’or fin! S’Enrichir en sagacité vaut mieux que l’argent.
17 १७ बुराई से हटना धर्मियों के लिये उत्तम मार्ग है, जो अपने चाल चलन की चौकसी करता, वह अपने प्राण की भी रक्षा करता है।
La route des justes les éloigne du mal; qui suit droit son chemin préserve sa vie.
18 १८ विनाश से पहले गर्व, और ठोकर खाने से पहले घमण्ड आता है।
L’Orgueil précède la ruine, l’arrogance est le signe avant-coureur de la chute.
19 १९ घमण्डियों के संग लूट बाँट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।
Prendre une attitude modeste avec les humbles vaut mieux que partager du butin avec les orgueilleux.
20 २० जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
Qui réfléchit mûrement à une affaire s’assure des avantages; mais heureux qui met sa confiance en l’Eternel!
21 २१ जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझवाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
Qui a le cœur sage mérite d’être appelé intelligent; la douceur des lèvres augmente la force de persuasion.
22 २२ जिसमें बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का स्रोत है, परन्तु मूर्ख का दण्ड स्वयं उसकी मूर्खता है।
L’Intelligence est une source de vie pour celui qui en est doué; le châtiment des sots, c’est leur sottise.
23 २३ बुद्धिमान का मन उसके मुँह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है।
Le cœur du sage inspire sa bouche, et augmente la force de persuasion de ses lèvres.
24 २४ मनभावने वचन मधु भरे छत्ते के समान प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।
Des paroles amènes sont un rayon de miel, doux à l’âme, bienfaisant au corps.
25 २५ ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा जान पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।
Tel chemin paraît tout uni à l’homme, et il aboutit aux avenues de la mort.
26 २६ परिश्रमी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उसको उभारती रहती है।
C’Est pour lui-même que travaille le laborieux, car pressantes sont les exigences de sa bouche.
27 २७ अधर्मी मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है।
L’Homme sans valeur morale est un artisan de malheur; sur ses lèvres il y a comme un feu dévorant.
28 २८ टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करनेवाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।
L’Homme artificieux déchaîne la discorde; le boutefeu sème la division entre amis.
29 २९ उपद्रवी मनुष्य अपने पड़ोसी को फुसलाकर कुमार्ग पर चलाता है।
L’Homme violent circonvient son prochain et le mène dans une mauvaise voie.
30 ३० आँख मूँदनेवाला छल की कल्पनाएँ करता है, और होंठ दबानेवाला बुराई करता है।
Il ferme les yeux pour méditer de mauvais coups; il se pince les lèvres: il a consommé le mal!
31 ३१ पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं।
La haute vieillesse est une couronne d’honneur; c’est sur le chemin de la vertu qu’elle se rencontre.
32 ३२ विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर को जीत लेने से उत्तम है।
Qui résiste à la colère l’emporte sur le héros; qui domine ses passionssur un preneur de villes.
33 ३३ चिट्ठी डाली जाती तो है, परन्तु उसका निकलना यहोवा ही की ओर से होता है।
On agite le sort dans l’urne mais l’arrêt qu’il prononce vient de l’Eternel.