< नहेमायाह 8 >
1 १ जब सातवाँ महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने-अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन होकर, जलफाटक के सामने के चौक में इकट्ठे होकर, एज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ।
সমস্ত লোক একসঙ্গে জল-দ্বারের সামনের চকে জড়ো হল। তারা বিধানের অধ্যাপক ইষ্রাকে মোশির বিধানপুস্তক আনতে বলল, যেখানে ইস্রায়েলের জন্য সদাপ্রভুর আদেশ দেওয়া ছিল।
2 २ तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभी के सामने व्यवस्था को ले आया।
সুতরাং সপ্তম মাসের প্রথম দিনে যাজক ইষ্রা সমাজের সামনে, স্ত্রী ও পুরুষ এবং যারা শুনে বুঝতে পারে, তাদের সামনে বিধানপুস্তক আনলেন।
3 ३ वह उसकी बातें भोर से दोपहर तक उस चौक के सामने जो जलफाटक के सामने था, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे।
তিনি জল-দ্বারের সামনের চকের দিকে মুখ করে পুরুষ, স্ত্রী এবং যত লোক বুঝতে পারে তাদের কাছে ভোর থেকে দুপুর পর্যন্ত তা জোরে জোরে পড়ে শোনালেন। আর সমস্ত লোক মন দিয়ে বিধানপুস্তকের কথা শুনল।
4 ४ एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, खड़ा हो गया; और उसकी दाहिनी ओर मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्किय्याह और मासेयाह; और बाईं ओर, पदायाह, मीशाएल, मल्किय्याह, हाशूम, हश्बद्दाना, जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए।
এই কাজের জন্য যে কাঠের মঞ্চ তৈরি করা হয়েছিল তার উপর বিধানের অধ্যাপক ইষ্রা দাঁড়িয়েছিলেন। তার ডানদিকে মত্তিথিয়, শেমা, অনায়, ঊরিয়, হিল্কিয় ও মাসেয় এবং বাঁদিকে পদায়, মীশায়েল, মল্কিয়, হশুম, হশবদ্দানা, সখরিয় ও মশুল্লম দাঁড়িয়েছিলেন।
5 ५ तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊँचे पर था, सभी के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उसने उसको खोला, तब सब लोग उठ खड़े हुए।
ইষ্রা পুস্তকখানি খুললেন। সমস্ত লোক তাকে দেখতে পাচ্ছিল কেননা তিনি তাদের থেকে উঁচুতে দাঁড়িয়েছিলেন, আর তিনি যখন পুস্তকটি খুললেন, সমস্ত লোক উঠে দাঁড়াল।
6 ६ तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने-अपने हाथ उठाकर आमीन, आमीन, कहा; और सिर झुकाकर अपना-अपना माथा भूमि पर टेककर यहोवा को दण्डवत् किया।
ইষ্রা মহান ঈশ্বর সদাপ্রভুর গৌরব করলেন, আর সমস্ত লোক হাত তুলে উত্তর দিল, “আমেন! আমেন!” তারপর তারা মাটিতে মাথা ঠেকিয়ে সদাপ্রভুর আরাধনা করল।
7 ७ येशुअ, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिय्याह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नामक लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने-अपने स्थान पर खड़े रहे।
যেশূয়, বানি, শেরেবিয়, যামীন, অক্কূব, শব্বথয়, হোদিয়, মাসেয়, কলীট, অসরিয়, যোষাবদ, হানন, পলায়—এই লেবীয়েরা সেই দাঁড়িয়ে থাকা লোকদের বিধানপুস্তকের মানে বুঝিয়ে দিল।
8 ८ उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया।
লোকেরা যেন বুঝতে পারে সেইজন্য তারা ঈশ্বরের বিধানপুস্তক স্পষ্ট করে পড়ে তার অর্থ বুঝিয়ে দিল।
9 ९ तब नहेम्याह जो अधिपति था, और एज्रा जो याजक और शास्त्री था, और जो लेवीय लोगों को समझा रहे थे, उन्होंने सब लोगों से कहा, “आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिए विलाप न करो और न रोओ।” क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे।
তারপর শাসনকর্তা নহিমিয়, যাজক ও বিধানের অধ্যাপক ইষ্রা এবং যে লেবীয়েরা লোকদের শিক্ষা দিচ্ছিলেন তারা বললেন, “আজকের এই দিনটি তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে পবিত্র। তোমরা শোক বা কান্নাকাটি কোরো না।” কেননা সমস্ত লোকেরা বিধানপুস্তকের কথা শুনে কাঁদছিল।
10 १० फिर उसने उनसे कहा, “जाकर चिकना-चिकना भोजन करो और मीठा-मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास भोजन सामग्री भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है।”
নহিমিয় বললেন, “তোমরা গিয়ে ভালো ভালো খাবার খাও ও মিষ্টি রস পান করে আনন্দ করো, এবং যারা কিছু প্রস্তুত করতে পারেনি তাদের পাঠিয়ে দাও। এই দিনটি প্রভুর উদ্দেশে পবিত্র। তোমরা দুঃখ করো না, কারণ সদাপ্রভুতে যে আনন্দ, তাই তোমাদের শক্তি।”
11 ११ अतः लेवियों ने सब लोगों को यह कहकर चुप करा दिया, “चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्र है; और उदास मत रहो।”
লেবীয়েরা সমস্ত লোকদের শান্ত করে বললেন, “তোমরা নীরব হও, কারণ আজকের দিনটি পবিত্র। তোমরা দুঃখ করো না।”
12 १२ तब सब लोग खाने, पीने, भोजन सामग्री भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उनको समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे। (झोपड़ियों का पर्व)
তখন সমস্ত লোক খুব আনন্দের সঙ্গে খাওয়াদাওয়া করার জন্য ও খাবারের অংশ পাঠাবার জন্য চলে গেল, কারণ যেসব কথা তাদের জানানো হয়েছিল তা তারা বুঝতে পেরেছিল।
13 १३ दूसरे दिन भी समस्त प्रजा के पितरों के घराने के मुख्य-मुख्य पुरुष और याजक और लेवीय लोग, एज्रा शास्त्री के पास व्यवस्था के वचन ध्यान से सुनने के लिये इकट्ठे हुए।
আর মাসের দ্বিতীয় দিনে সমস্ত লোকের পিতৃকুলপতিরা, যাজকেরা ও লেবীয়েরা বিধানের কথা ভালো করে বুঝবার জন্য অধ্যাপক ইষ্রার কাছে একত্র হল।
14 १४ उन्हें व्यवस्था में यह लिखा हुआ मिला, कि यहोवा ने मूसा को यह आज्ञा दी थी, कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय झोपड़ियों में रहा करें,
তারা ব্যবস্থায় দেখতে পেল মোশির মাধ্যমে সদাপ্রভু এই আজ্ঞা দিয়েছিলেন যে, সপ্তম মাসের পর্বের সময় ইস্রায়েলীরা কুঁড়ে ঘরে বাস করবে,
15 १५ और अपने सब नगरों और यरूशलेम में यह सुनाया और प्रचार किया जाए, “पहाड़ पर जाकर जैतून, तैलवृक्ष, मेंहदी, खजूर और घने-घने वृक्षों की डालियाँ ले आकर झोपड़ियाँ बनाओ, जैसे कि लिखा है।”
আর তাদের সকল নগরে ও জেরুশালেমে তারা এই কথা প্রচার ও ঘোষণা করবে “তোমরা পাহাড়ি এলাকায় গিয়ে কুঁড়ে ঘর তৈরি করার জন্য জলপাই, বুনো জলপাই গাছের ডাল এবং গুলমেদির ডাল, খেজুর গাছের ডাল ও পাতাভরা গাছের ডাল নিয়ে আসবে,” যেমন লেখা আছে।
16 १६ अतः सब लोग बाहर जाकर डालियाँ ले आए, और अपने-अपने घर की छत पर, और अपने आँगनों में, और परमेश्वर के भवन के आँगनों में, और जलफाटक के चौक में, और एप्रैम के फाटक के चौक में, झोपड़ियाँ बना लीं।
সেইজন্য লোকেরা বাইরে গিয়ে ডাল নিয়ে এসে তাদের ঘরের ছাদের উপর, উঠানে, ঈশ্বরের গৃহের উঠানে ও জল-দ্বারের কাছের চকে এবং ইফ্রয়িমের দ্বারের চকে নিজেদের জন্য কুঁড়ে ঘর তৈরি করল।
17 १७ वरन् सब मण्डली के लोग जितने बँधुआई से छूटकर लौट आए थे, झोपड़ियाँ बनाकर उनमें रहे। नून के पुत्र यहोशू के दिनों से लेकर उस दिन तक इस्राएलियों ने ऐसा नहीं किया था। उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ।
বন্দিদশা থেকে ফিরে আসা গোটা দলটাই কুঁড়ে ঘর তৈরি করে সেগুলির মধ্যে বাস করল। নূনের ছেলে যিহোশূয়ের সময় থেকে সেদিন পর্যন্ত ইস্রায়েলীরা এইরকম আর করেনি। আর তাদের খুব আনন্দ হল।
18 १८ फिर पहले दिन से अन्तिम दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। वे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और आठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई।
প্রথম দিন থেকে শুরু করে শেষদিন পর্যন্ত ইষ্রা প্রতিদিনই ঈশ্বরের বিধানপুস্তক পড়লেন। লোকেরা সাত দিন ধরে পর্ব পালন করল আর অষ্টম দিনে নিয়ম অনুসারে শেষ দিনের বিশেষ সভা হল।