< मीका 6 >

1 जो बात यहोवा कहता है, उसे सुनो उठकर, पहाड़ों के सामने वाद विवाद कर, और टीले भी तेरी सुनने पाएँ।
Ecoutez maintenant ce que dit l'Eternel: Lève-toi, plaide par-devant les montagnes, et que les collines entendent ta voix.
2 हे पहाड़ों, और हे पृथ्वी की अटल नींव, यहोवा का वाद विवाद सुनो, क्योंकि यहोवा का अपनी प्रजा के साथ मुकद्दमा है, और वह इस्राएल से वाद-विवाद करता है।
Ecoutez, montagnes, le procès de l'Eternel, [écoutez-le] aussi vous qui êtes les plus fermes fondements de la terre; car l'Eternel a un procès avec son peuple, et il plaidera avec Israël.
3 “हे मेरी प्रजा, मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है? क्या करके मैंने तुझे थका दिया है?
Mon peuple, que t'ai-je fait, ou en quoi t'ai-je causé de la peine? Réponds-moi.
4 मेरे विरुद्ध साक्षी दे! मैं तो तुझे मिस्र देश से निकाल ले आया, और दासत्व के घर में से तुझे छुड़ा लाया; और तेरी अगुआई करने को मूसा, हारून और मिर्याम को भेज दिया।
Car je t'ai fait remonter hors du pays d'Egypte, et t'ai délivré de la maison de servitude, et j'ai envoyé devant toi Moïse, Aaron et Marie.
5 हे मेरी प्रजा, स्मरण कर, कि मोआब के राजा बालाक ने तेरे विरुद्ध कौन सी युक्ति की? और बोर के पुत्र बिलाम ने उसको क्या सम्मति दी? और शित्तीम से गिलगाल तक की बातों का स्मरण कर, जिससे तू यहोवा के धार्मिकता के काम समझ सके।”
Mon peuple, qu'il te souvienne, je te prie, quel conseil Balak Roi de Moab avait pris [contre toi], et de ce que Balaam fils de Béhor lui répondit: [et de ce que j'ai fait] depuis Sittim jusqu'à Guilgal, afin que tu connaisses les justices de l'Eternel.
6 “मैं क्या लेकर यहोवा के सम्मुख आऊँ, और ऊपर रहनेवाले परमेश्वर के सामने झुकूँ? क्या मैं होमबलि के लिये एक-एक वर्ष के बछड़े लेकर उसके सम्मुख आऊँ?
Avec quoi préviendrai-je l'Eternel, et me prosternerai-je devant le Dieu souverain? Le préviendrai-je avec des holocaustes, et avec des veaux d'un an?
7 क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, या तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित में अपने पहलौठे को या अपने पाप के बदले में अपने जन्माए हुए किसी को दूँ?”
L'Eternel prendra-t-il plaisir aux milliers de moutons, ou à dix mille torrents d'huile? Donnerai-je mon premier-né [pour] mon crime, le fruit de mon ventre [pour] le péché de mon âme?
8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?
Ô homme! Il t'a déclaré ce qui [est] bon; et qu'est-ce que l'Eternel requiert de toi, sinon que tu fasses ce qui est juste, que tu aimes la bénignité, et que tu marches en toute humilité avec ton Dieu.
9 यहोवा की वाणी इस नगर को पुकार रही है, और सम्पूर्ण ज्ञान, तेरे नाम का भय मानना है: राजदण्ड की, और जो उसे देनेवाला है उसकी बात सुनो!
La voix de l'Eternel crie à la ville, (car ton Nom voit comme il va de tout: ) Ecoutez la verge, et celui qui l'a assignée?
10 १० क्या अब तक दुष्ट के घर में दुष्टता से पाया हुआ धन और छोटा एपा घृणित नहीं है?
Chacun n'a-t-il pas encore une maison de méchant, des trésors de méchanceté, et un Epha court, et détestable?
11 ११ क्या मैं कपट का तराजू और घटबढ़ के बटखरों की थैली लेकर पवित्र ठहर सकता हूँ?
Tiendrai-je pour net celui qui a de fausses balances, et de fausses pierres [à peser] dans son sachet?
12 १२ यहाँ के धनवान लोग उपद्रव का काम देखा करते हैं; और यहाँ के सब रहनेवाले झूठ बोलते हैं और उनके मुँह से छल की बातें निकलती हैं।
Car ses riches sont remplis de choses ravies par violence, ses habitants usent de mensonge, et il y a une langue trompeuse dans leur bouche.
13 १३ इस कारण मैं तुझे मारते-मारते बहुत ही घायल करता हूँ, और तेरे पापों के कारण तुझको उजाड़ डालता हूँ।
C'est pourquoi je t'ai rendue languissante en te frappant, et te rendant désolée à cause de tes péchés.
14 १४ तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पेट जलता ही रहेगा; और तू अपनी सम्पत्ति लेकर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चलाकर लुटवा दूँगा।
Tu mangeras, mais tu ne seras point rassasiée; et [la cause de] ton abaissement [sera] au-dedans de toi-même; tu ôteras de devant, mais tu ne sauveras point; et ce que tu auras sauvé, je le livrerai à l'épée.
15 १५ तू बोएगा, परन्तु लवने न पाएगा; तू जैतून का तेल निकालेगा, परन्तु लगाने न पाएगा; और दाख रौंदेगा, परन्तु दाखमधु पीने न पाएगा।
Tu sèmeras, mais tu ne moissonneras point; tu presseras l'olive, mais tu ne t'oindras point d'huile; et le moût, mais tu ne boiras point le vin.
16 १६ क्योंकि वे ओम्री की विधियों पर, और अहाब के घराने के सब कामों पर चलते हैं; और तुम उनकी युक्तियों के अनुसार चलते हो; इसलिए मैं तुझे उजाड़ दूँगा, और इस नगर के रहनेवालों पर ताली बजवाऊँगा, और तुम मेरी प्रजा की नामधराई सहोगे।
Car on a gardé les ordonnances de Homri, et toute l'œuvre de la maison d'Achab, et vous avez marché dans leurs conseils, afin que je mette en désolation et en opprobre ceux qui habitent en elle, et que vous portiez l'opprobre de mon peuple.

< मीका 6 >